Friday 29 May 2015

चतुष्पदी (Quatrain)-5



चतुष्पदी
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किसी के दिल में उतर, तुझे प्यार मिले


किसी का बन हमसफ़र, तुझे प्यार मिले


भटकता है तन की प्यासी राहों पर


तृष्णा का त्याग कर, तुझे प्यार मिले
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सर्वधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल

kisi ke dil mein utar, tujhe pyar mile

kisi ka ban humsafar, tujhe pyar mile

bhatakta hai tan kee pyasi rohon par

trishna ka tyag kar,  tujhe pyar mile.

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7 comments:

  1. DrHemlata Suman मंच आपको पा कर धन्य हुआ। आपका हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है आदरणीय सर.....
    Tribhawan sir.....आनंद आ गया आपके खूबसूरत रचना को पढ़ कर ।।
    प्यास शब्द को पूर्णतः सफल और सार्थक कर दिया आपने ।
    ........
    हार्दिक वंदन और स्वागत है आपका
    ....सादर धन्यवाद
    15 hrs
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  2. Uddhav Deoli भटकता है तन की प्यासी राहों पर
    तृष्णा का त्याग कर, तुझे प्यार मिले||वाह्ह्हह्ह्ह्ह आदरणीय सार्थक सृजन/सुन्दर भावाभिब्यक्ति|||
    15 hrs
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  3. Vijay Mishr Daanish वाह्ह्ह्हह्ह्ह्हह क्या कहने ,बेहतरीन सृजन,बधाई
    14 hrs
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    Satish Gupta व्व्व्व्व्व्व्व्वाह! क्या बात!
    14 hrs
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  4. Balram Nigam लाजवाब सृजन
    11 hrs
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    Sanjay Vaswani व्व्व्व्व्व्व्व्वाह! बहुत सुंदर!
    9 hrs
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  5. Om Neerav सच कहा ही आपने !
    तृष्णा का त्याग किये बिना प्यार नहीं मिलता है ,
    भटकता है तन की प्यासी राहों पर
    तृष्णा का त्याग कर, तुझे प्यार मिले ... वाह !
    मुग्ध हूँ पढ़कर !
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  6. Arun Sharma बहुत सुंदर सृजन आदरणीय श्री
    13 mins
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    Manoj Manav बहुत खूब

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  7. Awanish Tripathi अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् क्या बात है।
    आपको पढ़ने की अनुभूति ही अलग है सर।
    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
    4 hrs
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    Satish Verma अति सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति : सर्वथा सराहनीय।

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