दोस्त मिले एसे जो अहसां फरामोश न थे
हमें ही ज़ज्बातों का, कद्र करना न आया.
dost mile aise jo ahsaan framosh na the
hum ko hee jajbaaton kaa kadr karna na aaya .
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सर्वधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल
अरविंद अनजान , वह्ह्ह्ह्ह्
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
6 hrs
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