चतुष्पदी
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किसी के दिल में उतर, तुझे
प्यार मिले
किसी का बन हमसफ़र, तुझे प्यार
मिले
भटकता है तन की प्यासी राहों
पर
तृष्णा का त्याग कर, तुझे प्यार मिले
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सर्वधिकार सुरक्षित/त्रिभवन
कौल
kisi ke dil mein utar, tujhe pyar mile
kisi ka ban humsafar, tujhe pyar mile
bhatakta hai tan kee pyasi rohon par
trishna ka tyag kar, tujhe pyar mile.
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DrHemlata Suman मंच आपको पा कर धन्य हुआ। आपका हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है आदरणीय सर.....
ReplyDeleteTribhawan sir.....आनंद आ गया आपके खूबसूरत रचना को पढ़ कर ।।
प्यास शब्द को पूर्णतः सफल और सार्थक कर दिया आपने ।
........
हार्दिक वंदन और स्वागत है आपका
....सादर धन्यवाद
15 hrs
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Uddhav Deoli भटकता है तन की प्यासी राहों पर
ReplyDeleteतृष्णा का त्याग कर, तुझे प्यार मिले||वाह्ह्हह्ह्ह्ह आदरणीय सार्थक सृजन/सुन्दर भावाभिब्यक्ति|||
15 hrs
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Vijay Mishr Daanish वाह्ह्ह्हह्ह्ह्हह क्या कहने ,बेहतरीन सृजन,बधाई
ReplyDelete14 hrs
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Satish Gupta व्व्व्व्व्व्व्व्वाह! क्या बात!
14 hrs
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Balram Nigam लाजवाब सृजन
ReplyDelete11 hrs
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Sanjay Vaswani व्व्व्व्व्व्व्व्वाह! बहुत सुंदर!
9 hrs
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Om Neerav सच कहा ही आपने !
ReplyDeleteतृष्णा का त्याग किये बिना प्यार नहीं मिलता है ,
भटकता है तन की प्यासी राहों पर
तृष्णा का त्याग कर, तुझे प्यार मिले ... वाह !
मुग्ध हूँ पढ़कर !
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Arun Sharma बहुत सुंदर सृजन आदरणीय श्री
ReplyDelete13 mins
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Manoj Manav बहुत खूब
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Awanish Tripathi अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् क्या बात है।
ReplyDeleteआपको पढ़ने की अनुभूति ही अलग है सर।
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
4 hrs
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Satish Verma अति सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति : सर्वथा सराहनीय।
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