क्यों
नेत्र
तुम्हारे
बेकरार
मेरे बगैर
शहादत मेरी
माँ लाएगी बहार
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल
जो
तुम
समझो
नयनो की
यूँ अनकही
भाषा का नर्तन
प्रेम हो हरक्षण
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल
Lokendra Mudgal वह्हा आदरणीय श्री जी बेहद सुन्दर । सादर नमन
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Om Prakash Shukla अरे वाह श्रीमान ।।।
ReplyDeleteबेहतरीन ।।।।
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Chanchala Inchulkar Soni बहुत ही बढ़िया सृजन ..._/\_
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Abhishek Kumar वाह वाह बेहतरी, भावपूर्ण सृजन
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Rama Verma वह्हा आदरणीय बेहद सुन्दर पिरामिड रचे हैं आपने .... हार्दिक बधाई एवं नमन varn pyramid
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Prince Mandawra अनुपम, आपको पढकर हम सीख रहे है
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Veena Nigam अत्यंत सुन्दर सृजन
ReplyDeleteYesterday at 7:44am
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Gupta Kumar Sushil अतिसुंदर रचना |
Yesterday at 12:20pm
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Rita Thakur बढ़िया रचनायें ! आदरणीय मित्र ! सादर नमन !शुभप्रभातम्!
ReplyDelete8 hrs
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Suresh Pal Verma Jasala 22 मई से दिल्ली से बाहर होने के कारण समयाभाव के चलते ,, मैं विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं दे पाया ,,उसके लिए खेद है ,,,,मेरी मजबूरी को आप समझेंगे ,,,आपसे सहयोग की अपेक्षा है ,,,
सुन्दर ,भाव पूर्ण वर्ण पिरामिड पोस्ट करने हेतु आपका हृदय से आभार
4 hrs
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