Monday 25 May 2015

वर्ण पिरामिड़



क्यों
नेत्र
तुम्हारे
बेकरार
मेरे बगैर
शहादत मेरी
माँ लाएगी बहार
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल

जो
तुम
समझो
नयनो की
यूँ अनकही
भाषा का नर्तन
प्रेम हो हरक्षण
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल

8 comments:

  1. Lokendra Mudgal वह्हा आदरणीय श्री जी बेहद सुन्दर । सादर नमन

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  2. Om Prakash Shukla अरे वाह श्रीमान ।।।
    बेहतरीन ।।।।
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  3. Chanchala Inchulkar Soni बहुत ही बढ़िया सृजन ..._/\_

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  4. Abhishek Kumar वाह वाह बेहतरी, भावपूर्ण सृजन

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  5. Rama Verma वह्हा आदरणीय बेहद सुन्दर पिरामिड रचे हैं आपने .... हार्दिक बधाई एवं नमन varn pyramid

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  6. Prince Mandawra अनुपम, आपको पढकर हम सीख रहे है

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  7. Veena Nigam अत्यंत सुन्दर सृजन
    Yesterday at 7:44am
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    Gupta Kumar Sushil अतिसुंदर रचना |
    Yesterday at 12:20pm

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  8. Rita Thakur बढ़िया रचनायें ! आदरणीय मित्र ! सादर नमन !शुभप्रभातम्!
    8 hrs
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    Suresh Pal Verma Jasala 22 मई से दिल्ली से बाहर होने के कारण समयाभाव के चलते ,, मैं विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं दे पाया ,,उसके लिए खेद है ,,,,मेरी मजबूरी को आप समझेंगे ,,,आपसे सहयोग की अपेक्षा है ,,,

    सुन्दर ,भाव पूर्ण वर्ण पिरामिड पोस्ट करने हेतु आपका हृदय से आभार
    4 hrs
    via fb/VP

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