Thursday 28 July 2016

आगमन साहित्य सम्मान -2016


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To     Tribhawan Kaul Jul 26 at 12:02 AM

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Pawan wrote: ""आगमन साहित्य सम्मान -2016" हेतु चयनित कवि/साहित्यकारों के नाम निम्न प्रकार है ...सभी को व्यक्तिगत रूप से भी सूचित किया जा रहा है ...सभी को बहुत बहुत बधाई . डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ( लखनऊ ) , श्री अजय अज्ञात ( फरीदाबाद ) , श्री कपिल जैन ( भीलवाडा ) , कर्नल केशव सिंह ( ग्रेटर नॉएडा ) , श्रीमती कोमलदीप कौर ( लुधियाना ) , कुमारी स्मृति ( पटना ) , श्री मोती झरोटिया ( नई दिल्ली ) , श्री नीरज वर्मा 'नीर ' ( वाराणसी ) , श्रीमती नीरजा मेहता ( गाजियाबाद ) , श्री प्रकाश यादव 'निर्भीक ' ( वडोदरा ) , श्री सचिन अग्रवाल ( बरेली) , श्रीमती शिवानी शर्मा ( जयपुर ) , श्री त्रिभवन कौल ( मुंबई ) , श्रीमती विजयश्री तनवीर ( नई दिल्ली ) , श्री रवि कुमार गोंड ( काँगड़ा ) , डॉ यशोयश ( आगरा )"
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"आगमन साहित्य सम्मान -2016" के हेतु  मेरे नाम के चयन के लिए  मैं पूरे आगमन समहू का, चयनकर्ताओं का एवं आदरणीय पवन जैन जी  का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।  सभी  चयनित साहित्य मनीषियों  को भी हार्दिक बधाई और शुभकामनायें। सभी मित्रों का, पाठकों का हार्दिक धन्यवाद जिनके समर्थन और प्रोत्साहन के बिना मैं इस मुकाम पर नहीं पहुँचता।  सादर।  त्रिभवन कौल / २६-०७-२०१६

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Refreshing Writes-- a bird's eye view.

Jai Krishna
July 24 at 2:09pm ·
Really Refreshes :
"Refreshing Writes"
Of
Tribhawan Kaul
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A book review
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Many books will come and go,
The real refresher will remain to glow.
The above said couplet is response my poet-heart reflects at first while reading the book .
Poet Tribhawan Kaul is well-known to us but what is surprising, is to find him as a short story writer.
Magnificent writer he is in this concern . His short stories are the aboveboard reflexions of his virtual experience of life .
His autobiographical style is in free flow and his diction makes it interesting to read whole in one breathe.
Published by Authors Press, New Delhi, the book can be categorized in must read category.
Thank you very much .
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Tribhawan Kaul
I am honoured Jai Krishna Ji. Thanks. Stay blessed. :)
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Jai Krishna 
Nice short stories sir !
The story " Love of third kind" has changed your image in my mind . ha..ha..ha .
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Tribhawan Kaul
Jai Krishna Ji : :) :) :) I know. We, poets/writers have to be alive to changes occurring in our society day in and day out. IVF, surrogate mothers, renting of wombs, semen/sperm banks etc. are slowly & steadily taking roots. The story is one of its offshoots. Thanks for your lovely observation . I love that. Happy reading. :) :) :)
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 Note by Tribhawan Kaul :- The book is available on www.amazon.in  and www.flipkart.com as well as with the publisher Aurthors Press, India




Monday 25 July 2016

नारी

नारी
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नारी है तो संसार है
नारी ही स्रष्टी  का आधार है
नारी नहीं तो कुछ भी नहीं
नारी बिना तो हम भी नहीं.

नारी होना फिर लानत है क्यूं ?
नारी के लिए ज़लालत है क्यूं ?
नारी ही क्यूँ बनती शिकार
नारी की सुनता कोई पुकार.

नारी है बेटी, नारी बहू
नारी है सास, नारी पोतोहू
नारी ननद तो नारी भाभी
नारी है बहना, नारी अर्दान्गिनी.

नारी ने नारी को क्यूँ प्रताड़ित किया ?
सास ने बहू को जला क्यूं दिया ?
ननद ने क्यूं खायी भाभी से खार ?
नारी ने छीना क्यूं दूजे का संसार ?

नारी की शक्ति ने सब को है माना
नारी ने पर अपनी शक्ति को जाना
नारी उठे तो दुर्गा बन जाये
नारी चले तो भूचाल जाये
नारी जहाँ उत्थान वहीँ है
नारी नहीं शमशान वहीँ है.

फिर नारी जन्म पर त्रिस्कार क्यूं ?
नारी को केवल नर स्वीकार क्यूं ?
नारी से नर को बल है मिला
नारी को नर से भला क्या मिला.

नारी जन्म की है ये व्यथा
नारी ने ही की नारी की दुर्दशा
नारी ने जो नारी का साथ दिया होता
नारी का यह शोषण कभी होता.
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सर्वाधिकार सुरक्षित त्रिभवन कौल



Sunday 24 July 2016

एक हास्य प्रहसन/स्किट श्रवण - उपकरण (Hearing Aid)

यह एक हास्य प्रहसन /स्किट है. किसी भी प्रकार से किसी का मज़ाक उड़ाने के लिए या किसी का दिल दुखाने के लिए नहीं लिखा गया है.
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श्रवण - उपकरण (Hearing Aid)
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घर का माहोल . ६० वर्ष का भास्कर सोफे पर बैठा अकबार पढ़ रहा हैउसकी पत्नी शीला रसोई से पुकारती है.
शीला :-   अजी सुनते हो.....राजू के बापू.....सुनते हो ....... ( वह कोई उत्तर पा कर बाहर आती हैहाय  हाय  मैं कब से आवाजें लगा रही हूँ ....तुम्हे सुनाई नहीं दे रहा क्याआआ.....
(भास्कर कोई उत्तर नहीं देता. अकबार पढता है.)
शीला :-  ओफ्हो, कितनी बार कहा है इस कान में मशीन लगा कर बैठा करो. पर तुम  सुनते ही नहीं.....( वह मशीन को उसकी जेब से निकाल कर उसके कान में ठूंसती है )
भास्कर :- यह क्या कर रही हो, भाग्यवानकभी तो चैन से बैठ कर न्यूज़ पेपर पढ़ने दिया करो.
शीला :- अरे यह २५००/= कि मशीन किस लिए है.
भास्कर  :- क्या बोला ?
शीला  :-  हे भगवन, में पूछती हूँ , यह मशीन किस काम की है, जब लगानी ही  नहीं.  (वह उसको हियरिंग ऐड दिखाती  है और कान में लगाती है ) चाय पीनी है.............. लाऊँ क्या ?
भास्कर :- ठीक से बोलो..... क्यों मशीन लानी है..लायी तो है  २५०० /= की है. डिस्काउंट भी कुछ नहीं मिला.  (शीला अपने पति को घूर कर देखती है )
शीला :- मैं कुछ पूछ रही हूँ, तुम कुछ जवाब दे रहे हो....क्या हो गया है तुमको.
भास्कर :- तुमने अभी तक चाय नहीं पिलाई.
शीला :- वही तो पूछने आई थी...पर तुम सुनते कहाँ हो. ( वह चारों और घूमती हैयह तो देखो, मेरी नयी ड्रेस. मिसेस शर्मा ने गिफ्ट दी है. देख रहे हो .
भास्कर :- नहीं अब मैं चाय नहीं ......... यह तुम नाच क्यों रही हो. इस तरह से चाय बनती है क्या ? (शीला माथे पर हाथ रख, वहीँ पर बैठ जाती है. राधा का प्रवेश होता है.)
राधा :-  नमस्कार , नमस्कार शीला जी , भास्कर जी  , क्या हो रहा है. (भास्कर राधा को देख खड़ा हो जाता है )
भास्कर :- वाह वाह..क्या बात है...आज तो ईद का चाँद भी निकल आये तो में उस तरफ ना देखूं. (शीला का मुँह उतर जाता है  और वह भास्कर को चिकोटी काटती है )
राधा :- अरे भास्कर जी.. लम्बी लम्बी छोड़ने की आदत अभी तक गयी नहीं.......अब इस उम्र में भी ठिठोली सूझती है. ? (शीला भास्कर को चिकोटी काटती है )
भास्कर :- नहीं यह राधा चिकोटी काट रही है.
शीला :- देखो राधा, मशीन लगा के भी ठीक से नहीं सुन पा रहे.
भास्कर :- ठीक  कह रही है... राधा हम तुम्हारे बारे में ही हम बात कर रहे थे.
राधा :- मेरे बारे में.....क्या बात.....
शीला :- क्या हो गया है तुमको जी. हम कुछ बोल रहें है तुम सुन कुछ और रहे हो.
भास्कर :- वही तो में भी कह रहा हूँ. इसी के बारे में बात कर रहे थे .........
शीला : चलो राधा, चलो अंदर. इनके लिए चाय लाती हूँ.  (राधा को खींच कर लेजाती है. भास्कर बैठ जाता है )
भास्कर :- हद हो गयी....अरे...बात करो तो मुश्किल, नहीं करो तो मुश्किल.. पता नहीं ईश्वर ने आदमी ज़ात क्यों पैदा की. ( मशीन को  कान से निकाल कर ठीक करने लगता है , राधा चाय ले कर आती है )
राधा : भास्कर जी चाय.....(भास्कर अकबार पड़ता रहता हैभास्कर जीइइइइइइइइइइइइइइइइ चाय.( उसको झकझोरती है )
भास्कर :- अरे आपने क्यों तकलीफ की...मैं खुद ही ले आता
शीला  (आते हुए) .....अच्छा पत्नी के लिए उठ नहीं सकते, सुन नहीं सकते और राधा के लिए सब कल पुर्ज़े ठीक हैं.
 भास्कर :- गुर्दे, गुर्दे किसके खराब हैं.
   राधा  :- भास्कर जी , गुर्दे नहीं , पुर्ज़े.. पुर्ज़े..... (शीला फिर सर पर हाथ रख कर बैठ जाती है )
   भास्कर :- वही तो मैं  भी कह रहा हूँ....पुर्ज़े नहीं गुर्दे गुर्दे   (राधा हंसती है) (भास्कर का मित्र शर्मा आता है.)
   शर्मा  :-  ओह्हो ......यहां तो पहले से ही चांडाल चोकड़ी विराजमान है. ( शर्मा और भास्कर गले मिलतें हैं )
   शीला :- भाई साहिब, जरा देखए नाहम कहते कुछ हैं, यह सुनते कुछ हैं.
    शर्मा :-हियरिंग ऐड नहीं लगाया क्या ?
    भास्कर : क्यों क्या हुआ...बैंड ऐड की क्या जरूरत पड़ गयी.
    शर्मा :- यार भास्कर तुम्हे भी...दिखाओ यह हियरिंग ऐड......( शर्मा भास्कर के कान से हियरिंग ऐड निकालता है )
    शर्मा :- अरे इसका तो स्विच ऑफ है...सुनाई कैसे देगा.......

    (सब एक साथ )  :  क्याआआआआ ..........(पर्दा गिरता है )
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल