यह एक हास्य प्रहसन /स्किट है. किसी भी प्रकार से किसी का मज़ाक उड़ाने के लिए या किसी का दिल दुखाने के लिए नहीं लिखा गया है.
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श्रवण - उपकरण (Hearing Aid)
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घर का माहोल . ६० वर्ष का भास्कर सोफे पर बैठा अकबार पढ़ रहा है. उसकी पत्नी शीला रसोई से पुकारती है.
शीला :- अजी सुनते हो.....राजू के बापू.....सुनते हो ....... ( वह कोई उत्तर न पा कर बाहर आती है) हाय हाय मैं कब से आवाजें लगा रही हूँ ....तुम्हे सुनाई नहीं दे रहा क्याआआ.....
(भास्कर कोई उत्तर नहीं देता. अकबार पढता है.)
शीला :- ओफ्हो, कितनी बार कहा है इस कान में मशीन लगा कर बैठा करो. पर तुम सुनते ही नहीं.....( वह मशीन को उसकी जेब से निकाल कर उसके कान में ठूंसती है )
भास्कर :- यह क्या कर रही हो, भाग्यवान. कभी तो चैन से बैठ कर न्यूज़ पेपर पढ़ने दिया करो.
शीला :- अरे यह २५००/= कि मशीन किस लिए है.
भास्कर :- क्या बोला ?
शीला :- हे भगवन, में पूछती हूँ , यह मशीन किस काम की है, जब लगानी ही नहीं. (वह उसको हियरिंग ऐड दिखाती है और कान में लगाती है ) चाय पीनी है.............. लाऊँ क्या ?
भास्कर :- ठीक से बोलो..... क्यों मशीन लानी है..लायी तो है २५०० /= की है. डिस्काउंट भी कुछ नहीं मिला. (शीला अपने पति को घूर कर देखती है )
शीला :- मैं कुछ पूछ रही हूँ, तुम कुछ जवाब दे रहे हो....क्या हो गया है तुमको.
भास्कर :- तुमने अभी तक चाय नहीं पिलाई.
शीला :- वही तो पूछने आई थी...पर तुम सुनते कहाँ हो. ( वह चारों और घूमती है ) यह तो देखो, मेरी नयी ड्रेस. मिसेस शर्मा ने गिफ्ट दी है. देख रहे हो न.
भास्कर :- नहीं अब मैं चाय नहीं ......... यह तुम नाच क्यों रही हो. इस तरह से चाय बनती है क्या ? (शीला माथे पर हाथ रख, वहीँ पर बैठ जाती है. राधा का प्रवेश होता है.)
राधा :- नमस्कार ,
नमस्कार शीला जी , भास्कर जी , क्या हो रहा है. (भास्कर राधा को देख खड़ा हो जाता है )
भास्कर :- वाह वाह..क्या बात है...आज तो ईद का चाँद भी निकल आये तो में उस तरफ ना देखूं. (शीला का मुँह उतर जाता है और वह भास्कर को चिकोटी काटती है )
राधा :- अरे भास्कर जी.. लम्बी लम्बी छोड़ने की आदत अभी तक गयी नहीं.......अब इस उम्र में भी ठिठोली सूझती है. ? (शीला भास्कर को चिकोटी काटती है )
भास्कर :- नहीं यह राधा चिकोटी काट रही है.
शीला :- देखो न राधा, मशीन लगा के भी ठीक से नहीं सुन पा रहे.
भास्कर :- ठीक कह रही है... राधा हम तुम्हारे बारे में ही हम बात कर रहे थे.
राधा :- मेरे बारे में.....क्या बात.....
शीला :- क्या हो गया है तुमको जी. हम कुछ बोल रहें है तुम सुन कुछ और रहे हो.
भास्कर :- वही तो में भी कह रहा हूँ. इसी के बारे में बात कर रहे थे .........
शीला : चलो राधा, चलो अंदर. इनके लिए चाय लाती हूँ. (राधा को खींच कर लेजाती है. भास्कर बैठ जाता है )
भास्कर :- हद हो गयी....अरे...बात करो तो मुश्किल, नहीं करो तो मुश्किल.. पता नहीं ईश्वर ने आदमी ज़ात क्यों पैदा की. ( मशीन को कान से निकाल कर ठीक करने लगता है , राधा चाय ले कर आती है )
राधा : भास्कर जी चाय.....(भास्कर अकबार पड़ता रहता है ) भास्कर जीइइइइइइइइइइइइइइइइ चाय.( उसको झकझोरती है )
भास्कर :- अरे आपने क्यों तकलीफ की...मैं खुद ही ले आता.
शीला (आते हुए) .....अच्छा पत्नी के लिए उठ नहीं सकते, सुन नहीं सकते और राधा के लिए सब कल पुर्ज़े ठीक हैं.
भास्कर :- गुर्दे, गुर्दे किसके खराब हैं.
राधा :- भास्कर जी , गुर्दे नहीं , पुर्ज़े.. पुर्ज़े..... (शीला फिर सर पर हाथ रख कर बैठ जाती है )
भास्कर :- वही तो मैं भी कह रहा हूँ....पुर्ज़े नहीं गुर्दे गुर्दे (राधा हंसती है) (भास्कर का मित्र शर्मा आता है.)
शर्मा :- ओह्हो ......यहां तो पहले से ही चांडाल चोकड़ी विराजमान है. ( शर्मा और भास्कर गले मिलतें हैं )
शीला :- भाई साहिब, जरा देखए ना. हम कहते कुछ हैं, यह सुनते कुछ हैं.
शर्मा :-हियरिंग ऐड नहीं लगाया क्या ?
भास्कर : क्यों क्या हुआ...बैंड ऐड की क्या जरूरत पड़ गयी.
शर्मा :- यार भास्कर तुम्हे भी...दिखाओ यह हियरिंग ऐड......( शर्मा भास्कर के कान से हियरिंग ऐड निकालता है )
शर्मा :- अरे इसका तो स्विच ऑफ है...सुनाई कैसे देगा.......
(सब एक साथ ) : क्याआआआआ ..........(पर्दा गिरता है )
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल
डॉ. पुष्पा जोशी
ReplyDeleteJuly 24 at 5:00pm
वाह Tribhawan Kaul जी ! सजीव नाट्य रुपांतरण....कम सुनने वालों के साथ कुछ इसी प्रकार की घटना घटती है।सार्थक सृजन।
==========================================via fb/Purple Pen
Via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच.
ReplyDelete-------------------------------------
डॉ. पुष्पा जोशी
July 24 at 5:00pm
वाह Tribhawan Kaul जी ! सजीव नाट्य रुपांतरण....कम सुनने वालों के साथ कुछ इसी प्रकार की घटना घटती है।सार्थक सृजन।
via fb/Purple Pen.
ReplyDelete--------------------
नीलोफ़र नीलू 2:10pm Jul 25
वाह... बहुत खूब आदरणीय त्रिभवन कौल जी
Ashok Vashistha
ReplyDeleteबहुत बढ़िया । सहज हास्य पैदा हुआ है आपकी इस रचना में हियरिंग ऐड के माध्यम से ।
July 24 at 1:52pm
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राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी
अतीव सुंदर सृजन
July 24 at 1:56pm
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Om Prakash Shukla
वाह्ह
शानदार व्यंगात्मक कृति
मजा आ गया
एकदम सजीव चित्रण
July 24 at 2:06pm
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अभिषेक शर्मा 'अभी
अति सुन्दर सादर नमन
July 24 at 3:14pm
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Shyamal Sinha
वाह
July 24 at 5:34pm
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Mona Singh
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् अति सुंदर आदरणीय
July 24 at 5:37pm
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Kamini Golwalkar
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्हसुन्दर सृजन आदरणीय जी
July 24 at 7:15pm
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Mahatam Mishra
हा हा हा हा हा , वाह आदरणीय वाह, बहुत ही सुंदर वार्ता वाह वाह
July 24 at 11:01pm
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Shailendra Srivastava
बहुत ही सहज व प्रवाहमय ।
आनंद आ गया पढ़कर ।
July 25 at 11:08am
--------------------via fb/Yuva Utkarsh Sahitya Manch
वसुधा कनुप्रिया
ReplyDeleteहा हा हा ........बहुत ही मज़ेदार लघु कथा है, आदरणीय कौल सा'ब । यह तो बात थी उनकी जिनकी मजबूरी है hearing aid लगाना । पर युवा वर्ग जो हर समय कानों में ear plugs लगाये रहते हैं, accidents का शिकार होते हैं, वह कटु सत्य है । सुन्दर हास्य कहानी पर हार्दिक बधाई
July 26 at 2:11pm
------------------------via fb/Purple Pen
Chandra Prakash Pareek
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह बहुत शानदार हास्य प्रस्तुति आदरणीय ....बधाई..
July 26 at 7:48pm
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Rekha Joshi
bahut khub
July 26 at 7:57pm
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Sonia Gupta
हाहाहा..आनन्द आगया पढ़ कर सर..अनुपम
July 26 at 8:15pm
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Kavita Bisht
अनुपम सृजन
July 26
-------------------------via fb/Purple Pen