Thursday 21 May 2015

चतुष्पदी (Quatrain)-4

चतुष्पदी 
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दिन दहाड़े अत्याचार -क्यों ज़ुबाँ नहीं खुलती
सरे आम हो अनाचार -क्यों ज़ुबाँ नहीं खुलती
बलि मानवता की चढ़े बेगैरत शब्दों पर
स्त्री सहती दुराचार -क्यों ज़ुबाँ नहीं खुलती.
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सर्वधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल

din dhaade atyachaar- kyun zuban nahi khulti 
sare aam ho anachaar-kyun zuban nahi khulti
bali manavta kee chade begairat shabdon par
stree sahti doorachaar-kyun zuban nahi khulti
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14 comments:


  1. Balram Nigam 12:08am May 22
    वाह क्या बात क्या बात क्या बात।
    Sunil Tripathi
    Sunil Tripathi 12:07am May 22
    वाह्ह्ह्ह्ह्ह सटीक प्रश्न!!!!!
    Awanish Tripathi
    Awanish Tripathi 12:05am May 22
    क्यों ज़ुबाँ नहीं खुलती???
    बहुत ही सार्थक प्रश्न सर।
    नमन।
    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हज

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  2. Pawan Batra 9:51am May 22
    आदरणीय बहुत सुन्दर
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    बृजेश 'ब्रज' 8:16am May 22
    बहुत ही उचित भावाव्यक्ति
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    Kailash Chand 12:11am May 22
    वाह्ह्ह्ह्ह्ह आदरणीय
    बहुत खूब ,,,,,,,बेहतरीन अभिव्यक्ति
    क्यों जुबां नहीं खुलती- वाह्ह्ह्ह्ह

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  3. Kailash Chand 12:11am May 22
    वाह्ह्ह्ह्ह्ह आदरणीय
    बहुत खूब ,,,,,,,बेहतरीन अभिव्यक्ति
    क्यों जुबां नहीं खुलती- वाह्ह्ह्ह्ह
    -------------------------------------------
    Balram Nigam 12:08am May 22
    वाह क्या बात क्या बात क्या बात।
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    Sunil Tripathi 12:07am May 22
    वाह्ह्ह्ह्ह्ह सटीक प्रश्न!!!!!

    via fb/Kavitalok

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  4. DrHemlata Suman 10:16am May 22
    वाह्ह्ह्ह्ह बहुत खूब आदरणीय !!!!
    क्यों ज़ुबाँ नहीं खुलती???
    बहुत ही सार्थक प्रश्न सर।
    नमन।
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    Pawan Batra 9:51am May 22
    आदरणीय बहुत सुन्दर
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    बृजेश 'ब्रज' 8:16am May 22
    बहुत ही उचित भावाव्यक्ति

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  5. Satish Gupta
    पल पल अन्याय का सामना करों तुम
    लमहों मे अहिसा को किनारे करो तुम.......
    इन भावों से तराशी बेमिशाल रचना
    मेरे भाई बधाई

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  6. Arun Sharma वाह्ह्ह्ह्ह् बहुत सही प्रश्न आदरणीय श्री ।
    सादर नमन ।
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    Pradyumna Chaturvedi वाह_वाहहहहहह_
    बहुत ही सुन्दर_सार्थक_लाजवाब_
    सादर नमन।
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    Yamuna Prasad Dubey Pankaj बहुत सुन्दर और सार्थक भावाभिव्यक्ति,वाह

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  7. Sajal Prasad सुंदर सृजन
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    Laxmanprasad Raamaanuj Ladiwala बहुत सुंदर
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    भारती जैन दिव्यांशी बहुत सुंदर सृजन आदरणीय
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    Vijay Mishr Daanish बहुत उम्दा

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  8. Uddhav Deoli दिन दहाड़े अत्याचार -क्यों ज़ुबाँ नहीं खुलती
    सरे आम हो अनाचार -क्यों ज़ुबाँ नहीं खुलती
    बलि मानवता की चढ़े बेगैरत शब्दों परस्त्री सहती दुराचार -क्यों ज़ुबाँ नहीं खुलती.|\वाह्ह्ह्ह समाज में पनप रही बिकृत समस्याओं पर ध्यान आकृष्ट कराती सुन्दर सार्थक सृजन हेतु बधाई माननीय||
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    Ramesh Govind Ram Sharma बहुत सुन्दर वाहवाह
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    Satish Verma अति सुन्दर और भावपूर्ण रचना।
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    via fb/kavitalok

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  9. Laxmanprasad Raamaanuj Ladiwala बहुत सुंदर
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    Tadala SN Murthy Zuban is too busy with other things-may be
    via fb

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  10. Om Prakash Shukla यथार्थ है
    सुन्दर सृजन
    सादर अभिनन्दन ,, नमन
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    Ramkishore Upadhyay अति सुंदर चतुष्पदी ,,बधाई
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    जितेन्र्द कुमार 'राजन' बहुत सुंदर चतुष्पदी
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    Prince Mandawra यथार्थ चित्रण
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    Ajay Bhojpuri सुंदर प्रेरक सिद्ध मुक्तक ।भाव-शिल्प का संगम ।बधाई बन्धु ।
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    DrHemlata Suman Bahut khub....sir

    via YUSM/FB-24-05-2015

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  11. Gupta Kumar Sushil सार्थक चित्रण है समसामयिक भाव सहित आदरणीय

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  12. प्रो. विश्वम्भर शुक्ल
    सुन्दर ,अनुपम अभिव्यक्ति-
    बलि मानवता की चढ़े बेगैरत शब्दों पर
    स्त्री सहती दुराचार -क्यों ज़ुबाँ नहीं खुलती

    via fb/YUSM on 25 May 2015

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  13. Jeetesh Vaishya
    May 25 at 8:49pm

    Bahut hi achche.....khoob umda

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