Monday 18 May 2015

गणेश जी की दुग्ध महिमा

यह रचना मैंने 25-09-1995 को लिखी थी/ 21-09-1995 को दिल्ली में एक चमत्कार हो गया था जब भगवान ग़णेश दूध पीने लगे थे. विज्ञान और आस्था में एक बहस छिड़ गयी थी.
गणेश जी की दुग्ध महिमा
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दुग्ध चमत्कार देखिके, सगरे रह गए दंग
सन्त,महात्मा,ज्ञानी की, निन्द्रा हो गयी भंग
निंद्रा हो गयी भंग, यह कैसा गोरखधन्धा
मंहगा हुआ दूध, कल तक था जो मन्दा.

धरम करम के नाम पर, लूट सके तू लूट
लोग बनते बेवकूफ, ले पैसे जा फूट
ले पैसे जा फूट, कुछ लोगों का यह धन्धा
अन्धविश्वासी जनता, कौन डालेगा फंदा.

लग जा तू भी लैन मा, छकाई पिला दूध
अवश्य मिलबे तोको यहाँ, मूल सूद दर सूद
मूल सूद दर सूद, "तने" लीला रचाई स
जिनमे थी न आस्था, वा में भी यो जागी स

लीला ‘ उसकी ‘कहे सब , मैं... साइफन एक्शन
भावना जिसकी जैसी, जोड़े वह कनेक्शन
जोड़े वह कनेक्शन, अच्छा "तू" पाठ पढ़ायो 
देख धर्म का नाश, गणेश दुग्धपान करायो
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल



5 comments:

  1. Via fb/YUSM
    बृजेश 'ब्रज' हाहाहा....बहुत सुन्दर
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    Ramkishore Upadhyay वाह वाह
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    प्रदीप शर्मा वआह्ह्ह्ह्ह्
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    Charu Dev एकदम सटीक .......
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    Indira Sharma बहुत ख़ूब, बढ़िया
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  2. Akhand Gahmari बहुत सुन्दर और धर्म के नाम पर लूटन्‍ेा वालो पर करारा प्रहार, बधाई हो
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    Rekha Joshi बहुत बढ़िया
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    Via fb/YUSM

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  3. Gupta Kumar Sushil सार्थक भावाभिव्यक्ति _ नमन |
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    Om Prakash Shukla वाह वाह वाह सर
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    Prince Mandawra शानदार
    via fb/YUSM

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  4. Akhand Gahmari 9:31pm May 19
    समारोह में आपकी रचना का ह‍ार्दिक स्‍वागत है। हिन्‍दू धर्म के पोगें पंडितों एवं धर्म के नाम पर झूठे आडंम्‍बर करने वाले पर प्रहार करती एक बेमिशाल रचना। आपको हार्दिक बधाई एवं नमन।

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  5. Manoj Kamdev Sharma very nice

    via fb

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