Friday, 19 August 2016

एक महानगर

एक महानगर
------------- 
पेड़ों के झुण्ड ,खम्बों की कतारें
सीमेंटेड सड़क ,बेशुमार कारें
ठिठुरते बदन , थिरकते होंठ
जोर का ठहाका ,भूख की दौड़

झूमते मदहोश ,अधनंगे बदन
सीने से चिपकाए ,खोखले स्तन
स्टार कल्चर ,ज़िंदगी को आंके
कूड़े के  ढेर  ,चंद निराश आँखें

गगनचुम्भी इमारतें ,रंगीन मुलाकातें
झोपड़ पट्टी की खुली खुली रांतें 
आकाश -धरती के मिलन में बाधक
जीव और जंतु के मिलेगें ग्राहक

क्लब, सिनेमा, काफी हाउस
सब को रिझाये मिकी माउस 
त्रस्त व्यस्त जनता ,मौत का डेरा
बेकारी, हड़ताल ,दंगों का घेरा 

राजनीतिक दांव पेच,धोखा मक्कारी 
वादों में उलझी जनता बेचारी
उग्र वाद,अलगाव वाद ,आतंकवाद
अनगिनित घटनाएं , रखे कौन याद.

आभासी दुनिया , मोबाइल के  झोल
भेड़िये के शरीर पर मेमने का खोल
सच्चाई से अधिक झूठों के तराने
राज करें जनता पर छोटे बड़े घराने

यह एक महानगर है , यहाँ शाइस्ता कोई नहीं
इंसान सभी ,इंसानियत सी अनुकूलता कोई नहीं
फिर भी यह एक महानगर है बहुत बड़ा शहर
आती है दुनिया देखने ,चारों ओर से चारों पहर।I
======================== शाइस्ता = विनर्म , विनीत , सभ्य , सुशील
सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल



No comments:

Post a Comment