एक रपट
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जलवृष्टि भी जो ना रोक पाया उन काव्य
साधकों को क्या कहिये
किया सराबोर काव्य सुधा से उन काव्य
साधकों को क्या कहिये
किसी ने पिलाई रूप सुधा किसी ने कविता
को बस प्यार किया
दीवानगी जिनपर छायी रज रज उन काव्य
साधकों को क्या कहिये
------------------------------------------------.त्रिभवन
कौल।
मूसलाधार बारिश होते हुए भी , जगह जगह
लम्बे जाम होते हुए भी यदि काव्य रस बरसाने
वाले कविगण एक फासला तय कर किसी काव्य गोष्ठी
में पहुँच कर अपनी कविताओं से कुछ ही सही पर सभी उपस्तिथ सम्मानीय कवियों को नहला दें
तो में समझता हूँ की उस काव्य गोष्ठी का सफल होना तय है. डॉ, विनोद कुमार भल्ला जी
की अध्यक्षता में हुई युवा उत्कर्ष साहित्यक मंच के तत्वधान में कल यानि कि ३१ जुलाई
२०१६ को सांय ३ बजे से साढ़े ६ बजे तक काव्य गोष्टी को अंजाम दिया गया।
गोष्टी में डॉ. भल्ला जी के अतिरिक्त
सर्वश्री त्रिभवन कौल, देओ नारायण शर्मा जी,
राजकिशोर मिश्र जी, विजय मिश्र जी, अंकित तिवारी जी ,ईशान तनेजा जी, सुश्री अंजना मिश्र
जी ऐवम सुश्री संतोष बजाज जी की उपस्तिथि माँ सरस्वती का आशीर्वाद ही सिद्ध हुई।
यद्यपि आदरणीय लव कुमार प्रणय जी की,(नवी मुम्बई), श्री
अरुण वर्मा जी (भिवंडी/महाराष्ट्र) सुश्री दीप्ति जी (पवई ) एवं पूना से आने वाले कविगणों
को भयंकर जलवृष्टि ने हमें उनके सानिध्य से
वंचित रखा ,उनकी कमी खली पर जो भरपूर काव्य पाठ का अवसर सबको मिला, उस कमी की
भरपूर भरपाई हो गयी.
डॉ. भल्ला जी के नव रचित आने वाले संग्रह
' रूप सुधा ' से कुछ प्यारी प्यारी पंक्तियाँ :-
पथिक :-
फैला कर झोली प्यार की
आया हूँ में द्वार तेरे
जन्म जन्म की प्यास लिए
आया हूँ में घाट तेरे
पनिहारिन :-
मैं हूँ एक पनिहारिन
मैं जल पिलाती आयी हूँ
जल के प्यासे पथिको की
मैं प्यास बुझाती आयी हूँ.
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आदरणीय देओ नारायण शर्मा जी की कविता
' प्यार कर लूँ तुमको कविता ' :-
यह जीवन उपवन कितना अंधकारमय
यह पुष्प अनुराग कितना विकलमय
यह पत्र दक्ष आस कितना संकितमय
यह मग्न कपोल कितना रंजितमय
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सुश्री अंजना मिश्र जी की ' संघर्ष
ही है जिंदगी '
संघर्ष ही है जिंदगी
संघर्ष ही है जिंदगी
कभी कभी संघर्ष अपनों से
कभी परायों से है जिंदगी
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श्री विजय मिश्र जी के मुक्तक :-
गम के आंसुओं में मैंने रातें गुज़ार
दी
यादों से सायों में मैंने शामें गुज़ार
दी
लब खामोश हैं कुछ कहते क्यों नहीं
सुनने की आस
में एक उम्र गुज़ार दी
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श्री राजकिशोर जी के मुक्तक :-
नहीं मज़दूर यदि होते इमारत भी नहीं
होती
नहीं मशहूर तुम होते इबादत भी नहीं
होती
जहां का दौर तुम देखो पसीने भी उन्ही
के हैं
अगर मज़दूर नहीं होते शराफत भी नहीं
होती
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श्री अंकित तिवारी ( एक नवांकुर) जी
की 'शहर '
ढका ढका सा आसमान
झुकी झुकी दीवारें
दबी दबी सी जिंदगी
थमी थमी सी साँसे।
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ऐवम इस काव्य गोत्ष्ठी की आयोजक (त्रिभवन
कौल) की कविता ' शहीद ' जैसे रचनाओं ने जैसे मन ही मोह लिया। इसके अतिरिक्त अन्य रचनाओं
में व्याप्त हास्य -व्यंग, मार्मिकता, रोष,
देश -प्रेम की भावनाओं से ओत -प्रोत रचनाओं मन लुभावनी रहीं और खूब तालियां बटोरती
रहीं. उन अविस्मरणीय पलों की कुछ झलकें आपके
सामने पेश हैं। सादर।
जिंदगी माँ तेरे करम का नूर है
कफ़न में लिपटा शहीद कोहेनूर है
आज भी जयचंद मिलेंगे दस हज़ार,
वजह से जिनकी पाक मगरूर है............
' शहीद '
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त्रिभवन कौल
01-08-2016
शब्द मसीहा बहुत सुंदर ....हार्दिक बधाई
ReplyDeleteAugust 1 at 7:36pm
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राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी
बहुत सुंदर काव्य गोष्ठी आप सभी के स्नेह के लिए आभार
नहीं मज़दूर यदि होते इमारत भी नहीं होती
नहीं मशहूर तुम होते इबादत भी नहीं होती
जहां का दौर तुम देखो पसीने भी उन्ही के हैं
अगर मज़दूर ना होते शराफत भी नहीं होती
August 1 at 7:43pm
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Rekha Joshi
badhai
August 1 at 7:44pm
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Vijay Mishra
अति सुंदर आयोजन ! आपके संचालन व सभी मनीषियों की रचनाओं ने शमा बाँध दिया ! बधाई सभी को !
August 1 at 7:46pm
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Deo Narain Sharma
बहुत ही सुन्दर और मनभावन काव्यगोष्ठी का कार्यक्रम भारी बारिस के फलस्वरुप भी चलता रहा। किसी का उत्साह कम नही हुआ।
आदरणीय देवनारायण शर्मा जी की कविता ' प्यार कर लूँ तुमको कविता ' :-
यह जीवन उपवन कितना अंधकारमय
यह पुष्प अनुराग कितना विकलमय
यह पत्र दल आस कितना संकितमय
यह भग्न कपोल कितना रंजितमय ॥
August 1 at 7:59pm •
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Anjana Mishra
अति सुंदर आयोजन !कभी ना भूलने वाला पल ___आप सभी कॊ नमन _
• August 1 at 8:05pm
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राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी
बहुत ही सुंदर काव्य गोष्ठी यादगार पल आप सभी साहित्य प्रेमियों की सहभागिता के लिए के लिए बधाई
August 1 at 8:30pm
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Shivani Sharma
सभी को बहुत बधाई...
August 1 at 9:02pm
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Om Prakash Shukla
बहुत बहुत बधाई आदरणीय आप सभी को
सादर नमन स्वीकारें
August 1 at 10:29pm
--------------------via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यक मंच
राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी
ReplyDeleteAugust 1 at 1:14pm
मुंबई मे सावन की मूसलाधार बर्षा मे युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच की सफल सराहनीय काव्यगोष्ठी महाराष्ट्र के प्रभारी आदरणीय त्रिभुवन कौल जी , ड़ा. देव नारायण शर्मा जी डा. विनोद भल्ला जी के अथक सराहनीय प्रयास के लिए आभार आदरणीय विजय मिश्र जी कवियत्री अंजना मिश्रा जी, आदरणीय अंकित तिवारी जी , आदरणीय सन्तोष जी ने सुंदर काव्य पाठ के अंतस से बधाई
अरुण शर्मा
ReplyDeleteAugust 1 at 10:32pm
सादर नमन सर Tribhawan Kaul सर जी
कल के लिए शब्द नहीें है मेरे पास ।
जो आप सभी के सानिध्य प्राप्त करने मे अक्षम रहा ।
बहुत उम्मीद थी मुझे भी आप सबसे
हो गये सब भावनायें जल मग्न ।
क्या कहें मन की व्यथा जो संलग्न।
बह गये उम्मीद जो सोचा ह्रदय
माफ कर दें जो किया है दिल भग्न ।
-----------------------------via fb/YUSM
Ramkishore Upadhyay
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीय ।सभी कविगण वास्तव में बधाई के पात्र हैं और आ.भल्ला जी के द्वारा आयोजन के लिये उन्हें नमन ।आप लोगों के समवेत प्रयास से युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का ध्वज लहराया साहित्य जगत में ,कोटि कोटि आभार
August 1 at 10:36pm
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Om Prakash Shukla
निः संदेह सर
सभी को सादर नमन
August 1 at 10:37pm
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Sanjay Kumar Giri
बहुत सुंदर ....हार्दिक बधाई
August 1 at 11:00pm
----------------------via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यक मंच