Friday 27 November 2015

चतुष्पदी (Quatrain)-18



चतुष्पदी (Quatrain)-18
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शांत खड़ा है एक टांग सहारे
लगता ऐसाहै ईश द्वारे
मत्स्य आखेटहै दांव यह अनोखा
परिभाषा ,मानव  ने अपना ली प्यारे
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल
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5 comments:

  1. गुप्ता कुमार सुशील 1:52am Nov 28
    वाहह प्रदत्त चित्र को सार्थक करते सृजन का हार्दिक स्वागत है आदरणीय
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    Poet M Hussainabadi Mujahid 12:42am Nov 28
    वसाH काम शब्दों में भुत अच्छे लफ़्ज़ोक सहारा लर कर भुत कुछ ख दिया waaaaaa भुत उम्दा
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    Ashok Ashq 10:29pm Nov 27
    वाह्ह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह्ह बेहद उम्दा सृजन
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  2. Vijay Narayan Singh 9:37pm Nov 27
    बहुत ही सुन्दर भाव और रचना वाहहहहहहहह
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    Shwetabh Pathak 9:22pm Nov 27
    सुन्दर पंक्तियाँ !
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    Pushp Lata 9:18pm Nov 27
    वाहहहह वाहहह उम्दा सृजन नमन लेखनी को
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  3. प्रो. विश्वम्भर शुक्ल 9:42pm Nov 27
    अद्भुत अभिव्यक्ति चित्र को सार्थक करती रचना की बधाई आद.Tribhawan Kaul जी
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  4. अरुण शर्मा 10:05pm Nov 27
    गजब आदरणीय श्री ।
    सादर नमन ।
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    Lokendra Mudgal 9:54pm Nov 27
    Sundar bhav srijan aadarniy shri ji . S
    adar naman
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  5. Chanchala Inchulkar Soni 8:55pm Nov 27
    वाह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह् बेहद उम्दा सृजन .....सादर नमन
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    Milan Singh 8:55pm Nov 27
    उत्कृष्ट सृजन।सादर नमन।
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