Thursday 12 November 2015

मेरी गौरैया

मेरी  गौरैया
--------------
मेरी गौरैया  बच कर रहियो
यहाँ दरिन्दे आम हैं
ना उनके बेटी ना उनकी बहना
उनका संगीकामहै .

पहन मखोटे तरह तरह के
सब को यह भरमाये हैं
मानवी रिश्तों का मोल नहीं 
राक्षसों के यहाँ से आयें हैं .

मानसिकता है गिरी हुई
चेतना शुन्य लोग यहाँ
इनसे बचके रहना री गौरैया
नोचने को तत्पर यहाँ .

इन गिद्दों से बच कर रहना
आकाश में मंडराते हैं 
जहाँ भी देखी अकेली गौरैया
झपटा मार ले जाते हैं .

छतरी के नीचे कब तक रखूँ  मैं
आखिर बाहर निकलना है 
लड़ना मरना सीख ले गौरैया
अब तो यही तेरा गहना है

एक गौरैया  निर्भय  भी  थी 
जागृत कर, जो विलीन हो गई
मशाल बन तुम, जलते रहना
जो  अपना अस्तित्व बचाना है
---------------------------------

सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल

Image curtsy Google

9 comments:

  1. Shweta Pd 5:49am Nov 14
    Bahut subdar sir....yes marmsparshi vichar aankhe nam kar gaye!
    --------------------------------------------------------------------------------------------
    Manjula Verma Thakur 8:41pm Nov 13
    अत्यधिक मार्मिक
    -------------------------------------------------------------------
    Jai Krishna 7:44pm Nov 13
    कवि होना वैसे ही जहर का प्याला पीना है , ऊपर से कवि अगर बेटी का पिता हो तो यह सघन पीड़ा मार्मिकता की हद पार कर जाती है :
    " छतरी के नीचे कब तक रखूँ मैं?"
    " लड़ना मरना सीख ले गौरैया "
    इस " लड़ना-मरना " में मार्मिकता चरम को छू जाती है .
    --------------------------------------------------------------------------------
    via fb/Poetry Society of India

    ReplyDelete
  2. Musafir Vyas 8:40am Nov 14
    आद ।
    शानदार अभिव्यक्ति
    ----------------------------------------------------------------------------
    Milan Singh 7:29am Nov 14
    अति सुंदर सृजन।सादर नमन।
    ---------------------------------------------------------------------------
    Brahma Dev Sharma 10:47pm Nov 13
    वाह , अति सुन्दर..सृजन
    --------------------------------------------------------------------------
    Gulzar Singh Yadav Kavi 10:10pm Nov 13
    वाह! सुंदर सृजन
    --------------------------------------------------------------------------------
    Subhashini Joshi 8:44pm Nov 13
    बेहतरीन पंक्तियाँ, खूबसूरत रचना,
    -----------------------------------------------------------
    via fb/ Yuva Utkarsh Sahityk Manch

    ReplyDelete
  3. Pawan Batra 6:13pm Nov 13
    बहुत सूंदर
    ---------------------------------------------------------------------
    Urvashi Tripathi 6:06pm Nov 13
    वाह वाह अनुपम सृजन
    -------------------------------------------------------------------
    Priyendra Singh 4:50pm Nov 13
    वाह्ह्ह्ह्
    --------------------------------------------------------------------
    Lokendra Mudgal 4:19pm Nov 13
    Waaaahhhh sir ji waaahhh atisundar bhavpurn sarthak srijan . Sadar vandan
    -----------------------------------------------------------------------
    Rajesh Pathak 3:09pm Nov 13
    अति सुन्दर....󾮟
    ----------------------------------------------------------
    via fb/YUSM

    ReplyDelete
  4. Indira Sharma 2:22pm Nov 13
    उत्तम सृजन
    ----------------------------------------------------------
    Kamini Golwalkar 2:07pm Nov 13
    बहुत खूब
    ------------------------------------------------------------
    अरुण शर्मा 1:39pm Nov 13
    वाह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह् अति उत्कृष्ट भावपूर्ण सृजन सर जी ।
    एक गौरैया निर्भय भी थी
    जागृत कर, जो विलीन हो गई
    मशाल बन तुम, जलते रहना
    जो अपना अस्तित्व बचाना है
    गजब सर जी ।
    ---------------------------------------------------------------
    Om Prakash Shukla 12:41pm Nov 13
    वाह ,, सुन्दर और सार्थक
    संदेश प्रद
    हार्दिक अभिनन्दन है आदरणीय
    ---------------------------------------------------------
    Chanchlesh Shakya 12:41pm Nov 13
    वाह्ह्ह्ह अति सुन्दर..सृजन..
    आदरणीय...नमन
    ----------------------------------------------------------
    via fb/YUSM

    ReplyDelete
  5. Kavindra Dhir 4:37pm Nov 13
    soooooo nyccccc

    via fb/PC

    ReplyDelete
  6. Kashmir Aneja 4:33pm Nov 13
    waaaaaaaaah

    via fb/Purple Pen

    ReplyDelete
  7. Arun Kumar Jain 3:14pm Nov 13
    Bahut Sundar
    --------------------------------------------------------------
    Rashmi Jain 1:46pm Nov 13
    कटु सत्य
    ------------------------------------------------------------
    Mangal Purohit 1:08pm Nov 13
    nice
    --------------------------------------------------
    via fb/Kastoori Kanchan

    ReplyDelete
  8. Shailesh Gupta 3:22pm Nov 14
    छतरी के नीचे कब तक रखूँ मैं
    आखिर बाहर निकलना है
    लड़ना मरना सीख ले गौरैया
    अब तो यही तेरा गहना है..... बहुत सुंदर.... सार्थक सृजन....
    --------------------------------------------------------------------------
    रंजना नौटियाल 1:35pm Nov 14
    सटीक रचना की बधाई ।
    --------------------------------------------------------------------------------
    via fb/Purple Pen

    ReplyDelete
  9. Rajeshwer Sharma 12:34pm Nov 15
    So touching write.
    -----------------------------------------------------------------
    via fb/PSOI

    ReplyDelete