कल दिनाँक (16-05-2017) को मुंबई(घाटकोपर) में वर्ण पिरामिड के जनक श्री सुरेश पाल वर्मा 'जसाला ' जी के निवास पर एक छोटी सी काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। इस काव्य गोष्ठी को सफल बनाने के लिए दूर दराज़ क्षेत्रों से सुश्री अंजना मिश्रा जी (मलाड), /श्री सतीश वर्मा जी (अम्बरनाथ) , /श्री विजय मिश्रा जी (मलाड), /श्री राजकिशोर मिश्रा प्रतापगढ़ी जी (वाशी ), /श्री त्रिभवन कौल जी (ठाणे) ने भाग लिया। डॉ.विनोद कुमार भल्ला जी किसी अपिरहार्य कारणों की वजह से नहीं आ पाए। गोष्ठी का संचालन श्री जसाला जी ने अपने ही अंदाज़ बहुत ही सुंदर ढंग से किया। ओजपूर्ण ,
श्रृंगार रस , सामजिक विसंगतियों पर , सामयिक घटनाचक्रों पर , ममता पर एक से बढ कर एक रचनायें सुनने को मिली जिसका भरपूर आनंद सभी ने उठाया। इस गोष्ठी का अंत एक शानदार भोज से हुआ जिसके लिए जसाला जी की बिटिया रानी और श्रीमती जसाला जी की की जितनी तारीफ़ की जाये , कम पड़ेगी। उनके प्रति हमारा आभार और शुभाशीष। इस अवसर पर आदरणीय सतीश वर्मा जी ने अपनी दो पुस्तकें 'काव्य कुंज' और कहानी संकलन 'स्मृति अरण्य' भी सभी को भेंट की। उनका हार्दिक धन्यवाद।
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