Sunday 6 December 2015

"उम्मीद का दिया" मेरी नज़र से

"उम्मीद का दिया" मेरी नज़र से
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डॉ.सोनिया गुप्ता द्वारा रचित काव्यसंग्रह "उम्मीद का दिया" भविष्य में उनके एक प्रतिभावान कवियत्री होने की आशा जगाता है. जो भी कवितायेँ उनकी कोमल हृदय से स्फुटित हुई हैं अत्यंत ही भावनापूर्ण और आशा से परिपूर्ण हैं. कुछ पंक्तियाँ तो सीधे सीधे ही पाठकों के मानसपटल पर एक गहरी छाप छोड़ जाती हैं.

"किताबें सिर्फ अक्षर का मेल नहीं
ज्ञान का भण्डार भी है
मिलता इनसे केवल ज्ञान ही नहीं
यह जीवन का आधार भी हैं."...........(किताबें)

या फिर एक शाश्वत सत्य को अपनी कलम से उजागर करना :-

'सच शब्द है केवल दो शब्दों का योग
पर अपनाने से इसको क्यों डरतें हैं लोग"........(सच और झूठ)

कवियत्री ने अपनी अनुभूतियों के साथ न्याय करते हुई पाठकों के समक्ष एक ऐसी काव्यधारा प्रस्तुत की है जो पाठक को उनके संवेदनशील होने के साथ साथ एक युवा हृदय के इंद्रधनुषी वैचारिक रंगों से भी परिचित कराती हैं जब वे लिखती हैं  :-"भरी भाग दौड़ में इस जीवन से थक जाता हूँ
पर दो पल सकूँ से बैठने का भी वक़्त नहीं".......(अभी वक़्त नहीं )

डॉ.सोनिया का कवि मानस समाज में फैले कुरीतियों से भी अनभिज्ञ नहीं है. भ्रष्टाचार, कन्या और भ्रूण पुकार जैसे मार्मिक और प्रभावपूर्ण कवितायेँ इसका एक जवलंत उदहारण हैं. वे समाज में फैली कुरीतियों को इंगित कर कहती हैं :-

"जिधर देखो इसी भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया है
रिश्वतखोरी और धोखागिरी में हर कोई खो गया है "...............(भ्रष्टाचार )

"कर रहा एक करुण पुकार
कोख में पलटा एक भ्रूण
हे मेरी माता, हे मैया
तू कर अपनी कन्या का खून"...... (भ्रूण पुकार)

कवितायेँ चतुष्पदियों में रचित हैं और पड़ने में सरल और सहज हैं. डॉ. सोनिया गुप्ता की लेखनी सत्य है स्पष्ट है. कोई छिपाव नहीं.कवियत्री पाठकों को हर उस अनुभव को महसूस कराना चाहती है जिससे आम आदमी को सामना करना पड़ता है हर  उस  सामाजिक   और  सामयिक समस्या की  और  ध्यान   आकर्षित  कराना   जो  हमारे समाज  को /देश  को  कुरेदती  हैं. इस युवा प्रतिभा की युवा सोच ने बहुत ही ईमानदारी से अपनी  भावनाओं   और  विचारों का निर्वाह अपनी प्रस्तुतियों में किया है
भाव की दृष्टि से यदि "उम्मीद का दिया' को परखा जाए तो डॉ.सोनिया की हर कविता भावपूर्ण, प्रेरक और उनके सामाजिक चिंतन की एक उपलब्धि है पर काव्य शिल्प पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. साथ ही कुछ कवितायेँ गद्य स्वरूप लगती है जिसे कविता की रवानी में बाधा आती सी लगती है. सम्पूर्ण काव्यसंग्रह में संपादन की कमी भी खल रही है. इन कमियों को यदि आगामी काव्यसंग्रहों में दूर किया जाए तो मेरा मानना है के डॉ. सोनिया गुप्ता की रचनाएँ हिंदी साहित्य में एक मील का पत्थर साबित हो सकती हैं.

हार्दिक बधाई और शुभकामनाओं सहित
त्रिभवन कौल
स्वतंत्र लेखक-कवि
०५-१२-२०१५



1 comment:

  1. मेरे काव्य संग्रह " उम्मीद का दिया " की समीक्षा

    Dear readers!
    Here is one of the review written about my book "UMMID KA DIYA" by SIR " TRIBHAWAN KAUL " JI ; who himself is a very renowned, famous poet. He is author of so many Hindi and English poetry, short stories books.
    I write here a heartfelt thanks to respected sir, for providing a honest and dedicated feedback regarding my first publication work! It has been always a wonderful experience to me,learning through the great poets and writers. Tribhawan sir, is one amongst those great personalities, who has made me learnt so many aspects of poetry here on facebook! I still remember, how he addedd me in various groups and helped providing me a platform to sharpen my poetic skills more! Yet, I have to learn a lot in this field and I will continue this journey; as there is no age limit fixed for learning!!
    I do not have more words to express my gratitude to you respected and dear sir; just want to say that as a father you have always guided this poetess as your own daughter. And I am blessed to have your guidance as a GURU always!
    few lines dedicated to you sir!!
    कौन कहता है कि ये रिश्ते सिर्फ खून के ही होते हैं ऐ दोस्त यहाँ
    दिल से दो सम्मान किसी को तो पराया भी अपना बन जाए यहाँ
    कोई इतना करीब रहकर भी दूर ही होता है हमसे हमेशा अक्सर
    और कोई दूर रहकर भी इक अटूट बंधन बना जाता है देखो यहाँ

    सीखाने वाला कोई भी शक्स तुम्हें यदि मिल जाए कहीं भी यहाँ
    समझ लेना इक अनमोल तोहफा तुम्हें भेजा उस प्रभु ने है यहाँ
    निस्वार्थ भाव से जो मार्गदर्शन करता है किसी का भी जीवन में
    वो उस ईश्वर का ही इक अंश होता है जिसे पूजे जाना चाहिए यहाँ !!!

    via fb

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