Thursday 4 June 2015

वर्ण पिरामिड

वर्ण पिरामिड
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यूँ
'तुम'
पत्थर
ईश मेरे
मन विश्वास
जीवन पर्यन्त
'श्री ' होने का आभास
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल

जो
मूक
बधिर
बन कर
पत्थर दिल
लाज ना बचाएं
देश क्या बचाएंगे?
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सर्वाधिकार सुरक्षित/ त्रिभवन कौल

4 comments:

  1. Prince Mandawra 4:09pm Jun 4
    बेहतरीन

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  2. Lokendra Mudgal 6:38pm Jun 4
    Wah aadarniya shri ji wah adbhud srijan

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  3. Dhirendra Kumar Joshi 10:52pm Jun 4
    सुंदर सृजन

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  4. Suresh Pal Verma Jasala 5:58pm Jun 5
    ईश्वर के प्रति आपके प्रेम को नमन ,,,केवल पत्थर होने से काम नहीं चलेगा ,,,मानव पर कृपा भी करनी होगी ,,,दूसरी और निष्ठुरता को भी झकझोरा है आपने ,,,बहुत सुन्दर ,,,आदरणीय बधाई आपकी लेखनी को

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