कवि, सोच और कविता
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अक्षर शब्द वाक्य
ज़हन में बहुत उभरते
हैं
रोशनाई का हाथ पकड़
कागज़ पर
उतरने को मचलते हैं
पर सोच का क्या करूँ
एक बड़ी बाधा है
शब्दों पर हमेशा इसने
अपना हक़ साधा है .
अपनी जग़ह हर शब्द
वाक्य में सटीक बैठना
चाहिए
कभी कड़वा भी हो तो
मीठा लगना चाहिए
इसी से तो कवि की
निपुणता का पता चलता
है
कविता का श्रृंगार
तभी
प्रशंसा का पात्र बनता
है .
जुलाहे के समान कवि
कविता का ताना बाना
बुनता है
किसी शिल्पी के समान
अपनी रचना को गढ़ता
है
सामयिक, सामजिक, सामरिक
समस्याओं पर महीन मीनाकारी
कर
सामजिक चेतना को जागृत
कर
एक बदलाव लाने की क्षमता
रखता है
फिर भी जीवन यापन के
लिए
न जाने क्यों दर दर
भटकता है.
प्रकाशक कविताओं को
बिकाऊ नहीं समझते
पढ़ने वाले, मुफ्त की
किताब
हजम करतें है
वरना नहीं करते
कवि का दर्द समझे भी
तो
भला कौन समझे
जिनका कवि हृदय हो
ऐसे गण कभी कभार ही
मिलते
लिखने की कसौटी पर
हर कोई खरा नहीं उतरता
है
जो खरा उतरता भी है
तो उसका मोल कहाँ लगता
है
हम कवियों की
सदियों से दशा भी कुछ
ऐसी ही है यारो
चार पैसे बने तो ठीक
वर्ना फाका मस्ती में
दिल रमता है यारो
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सर्वाधिकार सुरक्षित/ त्रिभवन
कौल
Mukesh Srivastava 3:30pm Jun 8
ReplyDeletesahee kahaa mitra aapne - badhaee
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Vasudha Kanupriya 12:27am Jun 9
ReplyDeleteSuch a true depiction!
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Dogendra Singh Thakur 12:46am Jun 9
ReplyDeleteKya umda baat likhi sir..dil choo liya..satya bhi yahi hai..dard bhi yahi hai..Marj bhi yahi aur dawa bhi yahi hai"
Behtareen..
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Ranjna Nautiyal 8:35am Jun 9
ReplyDeleteBahut he sateek kataaksh h sir ji
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Ramkishore Upadhyay 12:27pm Jun 8
ReplyDeleteलिखने की कसौटी पर
हर कोई खरा नहीं उतरता है
जो खरा उतरता भी है
तो उसका मोल कहाँ लगता है
हम कवियों की
सदियों से दशा भी कुछ ऐसी ही है यारो
चार पैसे बने तो ठीक
वर्ना फाका मस्ती में दिल रमता है यारो
--------------------------------------------------आप बड़े खूबसूरत शंब्दो के माध्यम से कविता क्या हो और कवि और उसके साथ होरहे अन्याय को उकेरा है ,,,,नमन आपकी लेखनी को...
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Prince Mandawra 12:46pm Jun 8
श्रीमान जी आपकी लेखनी के लिए मेरे पास कोई शब्द नही है है तो केवल आपको प्रणाम. हम आपसे बहुत कुछ सीख रहे है.
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Ddm Tripathi 1:05pm Jun 8
ReplyDeleteकवि की व्यथा...का खूबसूरती से रूपरेखा तैयार कर सबके सामने रखने के लिए आपका हृदय से आभार...कोटिश वंदन
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Prithviraj Singh 1:41pm Jun 8
ReplyDeleteवाह वाहहहहहहहहहह
बेहद उम्दा
ला ज़वाब चिन्तन
लेखन को नमन।।
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Om Prakash Shukla 3:24pm Jun 8
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर
"" लिखने की कसौटी पर
हर कोई खरा नहीं उतरता
जो खरा उतरता भी है
तो उसका मोल कहाँ लगता है ""
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Jai Krishna 9:20pm Jun 8
ReplyDeleteTouching and also uncovering the secret of a poet-heart.
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Bindu Kulshrestha 12:47pm Jun 9
ReplyDeleteत्रिभुवन सर इतनी सुन्दर रचना इतनी गतिशील, सहज प्रवाह वाह इस फोरम में ऐसी रचनाएँ कम ही आती हैं आपको बधाई
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ReplyDeleteजितेन्र्द कुमार 'राजन' बहुत सुन्दर वर्णन किया है आदरणीय सादर नमन
June 8 at 3:40pm
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Rekha Joshi बहुत सुन्दर
June 8 at 3:43pm
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Nk Manu अति उत्तम।
जुलाहे के समान कवि कविता का
ताना बाना बुनता है--.......
एक बदलाव लाने की क्षमता रखता है।।
ऐसे गण कभी ही मिलते है
लिखने की कसौटी पर
हर कोई खरा नहीं उतरता है।।
June 8 at 4:31pm
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Markandey Shardey बहुत सुंदर -बहुत सुंदर
June 8 at 4:42pm
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Rama Verma जुलाहे के समान कवि
कविता का ताना बाना बुनता है
किसी शिल्पी के समान
अपनी रचना को गढ़ता है
सामयिक, सामजिक, सामरिक
समस्याओं पर महीन मीनाकारी कर
सामजिक चेतना को जागृत कर
एक बदलाव लाने की क्षमता रखता है
फिर भी जीवन यापन के लिए
न जाने क्यों दर दर भटकता है... बहुत खूब लिखा है आदरणीय...
June 8 at 5:01pm
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Pandey Kc वरणनातीत सुन्दर आलेख।
June 8 at 5:01pm
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Gupta Kumar Sushil सुन्दरतम भाव चित्रण आ० |
June 8 at 8:00pm •
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गोप कुमार मिश्र वाहहहहहह अतीव सुंदरतम
June 8 at 8:21pm
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Arun Sharma व्व्व्व्व्व्व्व्वाह! व्व्व्व्व्व्व्व्वाह! !
ReplyDeleteउत्कृष्ट और सार्थक सृजन आदरणीय श्री ।
सादर नमन ।
Yesterday at 12:24am
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Veena Nigam वाह, सुन्दर अभिव्यक्ति
Yesterday at 4:59am •
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Ravikant Raut 8:44am Jun 9
ReplyDeleteपहले तीन पद प्रशंसनीय हैं , बाद के पदों से प्रस्तुति मे तनुता आ रही है , इसे अपवर्जित कर दें तो कमाल की लगेगी ,मेरा विचार है , कृपया अन्यथा न लें
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Tribhawan Kaul 11:44am Jun 9
@ Ravikant Raut जी:- कृति पर आपकी सराहनायुक्त टिप्पिणि के लिए हार्दिक धन्यवाद आपके मत का मैं आदर करता हूँ. पर यह भी स्पष्ट कहना चाहूंगा कि कटु सत्य बहुत ही कम पचा पाते हैं. कवि या लेखक अगर साफगोई से अपनी बात नहीं रखें , कवियों/लेखकों के प्रति हो रहे अन्याय की और ध्यान आकर्षित ना करे और 'चलता है' के ढर्रे पर चलते रहें तो मैं यह समझता हूँ के हम खुद के लेखन से अन्याय कर रहें है. सत्य कहना अगर तनुता/तुच्छ्ता है तो यह सत्य सबको हज़म करना ही होगा. यह मेरा मानना है. मैंने आपकी टिप्पिणि अन्यथा नहीं ली है केवल अपने भाव स्पष्ट कर रहा हूँ. प्रेम बनाये रखियेगा.:)
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Mridula Shukla 9:08am Jun 9
ReplyDeleteअति सुन्दर चित्रण
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Vandaana Goyal 9:57am Jun 9
bhut khubsuret sabed
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रामकुमार चतुर्वेदी 11:03pm Jun 9
बहुत खूब सुंदरम्
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Suresh Pal Verma Jasala 4:06pm Jun 10
ReplyDeleteश्रीमान जी ,,, उत्तम भाव पूर्ण सृजन हेतु अभिनन्दन आपका
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Om Neerav 3:57am Jun 11
.
लिखने की कसौटी पर
हर कोई खरा नहीं उतरता है
जो खरा उतरता भी है
तो उसका मोल कहाँ लगता है ...... बहुत सुन्दर सार्थक बात कही है आपने !
मन मुग्ध हो गया पढ़कर !
क्या बात Tribhawan Kaul जी !
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Deepika Singh 9:36am Jun 11
ReplyDeleteVery true,,,
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Dolly Singh 12:24am Jun 11
brilliant
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रवि कुमार 4:08pm Jun 12
ReplyDeleteआदर्श रचना ।
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अनन्या सिंह 3:35pm Jun 11
great
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Ravi Ranganathan 2:40pm Jun 11
Excellent poem.
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DrRajeev Joshi 7:46pm Jun 12
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता!!
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Rita Thakur 8:30pm Jun 11
सही। कथन
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