Friday 26 September 2014

कभी लिखा करते थे प्रियतम को, प्यार भरी सुन्दर सी पाती



कभी लिखा करते थे प्रियतम को, प्यार भरी सुन्दर सी पाती

सारगर्भित होती थी बातें, वह प्यार का पुल बनती थी पाती

पोस्टमैन का क्या आदर था, नयन हमेशा रहते थे बैचैन

हाय लगी एस्म्स की ऐसी, सब दिल से रखी संजो कर पाती
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल

11 comments:

  1. Promilla Qazi 7:51pm Sep 26

    Side effects of technology! Bohat badiya ! :)

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  2. Gupta Kumar Sushil 10:31pm Sep 26
    बेहद उम्दा |

    Chhaya Chaturvedi 8:45pm Sep 26
    वाह बहुत खूब

    Jl Singh 7:42pm Sep 26

    एस एम एस वो बात हो नहीं सकती ख़त की कुछ बात ही निराली थी ...वो इंतज़ार आने का ..

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  3. Yamuna Prasad Dubey Pankaj 10:24am Sep 26
    वाह वाह आदरणीय,बहुत सुन्दर बात कही है आपने,पत्र लेखन का अलग ही महत्व था,बहुत सुन्दर रचना ,बधाई

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  4. Chandrakanta Agnihotri 9:41am Sep 26
    मधुर भावों से भरा मनमोहक मुक्तक |

    Laxmanprasad Raamaanuj Ladiwala 9:35am Sep 26
    बहुत सुंदर भाव सजोयें रचना हुई है ! वाह


    Anil Singh Basnyat 8:50am Sep 26
    सुन्दर रचना और अती सुन्दर अभिब्यक्ति ।। इस सुन्दर लेखन और भाव पर आपको हार्दिक बधाई ।

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  5. सीमा अग्रवाल 11:09am Sep 26
    सही विचार आदरणीय त्रिभुवन जी ...........चिठियों का भी एक अपना आनंद था

    हरीश लोहुमी 10:38am Sep 26
    बहुत सुन्दर चतुष्पदी ! एस. एम. एस. हों, ई -मेल हों, फैक्स हो या कुछ और हो चिट्ठी के सर्वाधिकार आज भी सुरक्षित हैं कौल साहब :)

    सूक्ष्म लता महाजन 10:34am Sep 26

    कभी लिखा करते थे प्रियतम को, प्यार भरी सुन्दर सी पाती
    सारगर्भित होती थी बातें, वह प्यार का पुल बनती थी पाती
    पोस्टमैन का क्या आदर था, नयन हमेशा रहते थे बैचैन
    हाय लगी एस्म्स की ऐसी, सब दिल से रखी संजो कर पाती...वाह्ह्ह्ह वाहाह्ह्ह बहुत सुंदर .अब तो बेचारे डाकिये ही गम हो गए .

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  6. Ajay Bhojpuri 10:33am Sep 26
    पाती को मोबाइल युग में लुप्तप्राय होने का मार्मिक चित्रण ।

    Kokila Agarwal 10:31am Sep 26
    जी उस सोंधी खुशबू से वंचित
    अब पाती का संसार हुआ
    अनमोल हुआ करतीं थीं बातें
    अब सूक्षमता का राज हुआ

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  7. Suman Lucknowee 6:28pm Sep 26
    waah bahut hi sundar bhavabhiyakti.

    Vikas Nema 6:19pm Sep 26
    हाहा, बहुत ख़ूब! एसएमएस बस कार्यसाधक विधा है रससाधक तो पत्रलेखन ही है।

    -रामकुमार चतुर्वेदी 5:29pm Sep 26
    सही कहा आपने SMS का जमाना है

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  8. Prithviraj Singh 4:30pm Sep 26
    कभी लिखा करते थे प्रियतम को, प्यार भरी सुन्दर सी पाती
    सारगर्भित होती थी बातें, वह प्यार का पुल बनती थी पाती
    पोस्टमैन का क्या आदर था, नयन हमेशा रहते थे बैचैन
    हाय लगी एस्म्स की ऐसी, सब दिल से रखी संजो कर पाती,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, वाहहहहहहहहहहहह,,, वाहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहह,, अति सुन्दर,,, लाजवाब लेखन,,, चिन्तन को नमन !!!!

    Pradduman Chaturvedi 3:18pm Sep 26
    वाह सुंदर रचना ,अत्युत्तम सृजन ,श्रृंगार के अनुपम भाव,वाह शीर्षक को सार्थक कर दिया आपने बधाई हो

    Chhaya Chaturvedi 8:45pm Sep 26
    वाह बहुत खूब

    Gupta Kumar Sushil 10:31pm Sep 26
    बेहद उम्दा |

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  9. Jl Singh 7:42pm Sep 26
    एस एम एस वो बात हो नहीं सकती ख़त की कुछ बात ही निराली थी ...वो इंतज़ार आने का ..



    Yogendra Verma 7:16pm Sep 26
    बहुत सुंदर |

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  10. Om Neerav 11:26am Sep 27
    पोस्टमैन का क्या आदर था, नयन हमेशा रहते थे बैचैन
    हाय लगी एस्म्स की ऐसी, सब दिल से रखी संजो कर पाती ... बीते युग की सुखद स्मृतियाँ ! वाह !

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  11. Nalini Priyadarshni 2:24pm Sep 27
    Bahut khoob

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