Wednesday 14 March 2018

सुक्ष्म कथा -5



चौक पर 200 भारतीय युवक युवतियों का जमावड़ा था।
नेता सरीखे कुछ युवकों ने इशारा किया। चौक नारों से गूंजने लगा।
" हमे क्या चाहिए -आज़ादी , आज़ादी "
"भारत तेरे टुकड़े हज़ार -इंशाल्लाह ,इंशाल्लाह "
13 वर्ष के भारत ने माता का आंचल खींचा ," माँ, आज़ादी का क्या मतलब है ?"
माता के चेहरे पर वेदना और मुस्कान का मिश्रण स्पष्ट था। 
" भारत बेटे। यह कठपुतलियां है। इनको मालूम नहीं कि यही 'आज़ादी'  है। चीन जैसे देशों में ऐसा कहते या करते तो टैंकों द्वारा कुचले जाते। इनकी लाशों को अब तक चील और कौवे नोच रहे होते "
त्रिभवन कौल
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11 comments:

  1. via fb/Poets, Artists Unplugged
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    Neelofar Neelu 8:21pm Mar 14
    बेहद सार्थक और कटु सत्य 😢💐👌

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  2. via fb/Purple Pen
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    वसुधा कनुप्रिया 8:24pm Mar 14
    अत्यंत सार्थक व समसामयिक सृजन, आदरणीय । यहाँ सब कहने-करने की स्वतंत्रता है और लोग इसका नाजायज़ फायदा उठा कर अलगाव पैदा कर रहे हैं ।

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  3. via fb/ट्रू मीडिया साहित्यिक मंच.
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    Narendra Verma 9:32pm Mar 14
    सुन्दरम
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    Surendra Sharma 9:32pm Mar 14
    Excellent Sir

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  4. via fb/Prayas
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    Deepak Deep 10:12pm Mar 14
    सत्य को उज़ागर करती मोती से सच्चे शब्दों से लबरेज़ रचना आदरणीय नमन

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  5. comments via fb/TL
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    Chaudhary Vijaya
    March 14 at 10:57pm
    Nice
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    Rajeshwer Sharma
    March 14 at 11:16pm
    सारगर्भित लघुकथा।
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  6. via fb/Prayas.
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    Ranjana Sharma 10:12pm Mar 14
    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

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  7. via fb/ट्रू मीडिया साहित्यिक मंच.
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    Omprakash Prajapati 9:32pm Mar 14
    nice

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  8. via fb/TL
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    Vinay Saxena
    March 15 at 5:55pm
    वाह कॉल साहब।
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    Shyam Sundar Sharma
    March 15 at 7:16pm
    बहुत प्रभावी प्रस्तुतिकरण 👍👍👍😊
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    गुप्ता कुमार सुशील
    March 21 at 1:34am
    सत्य एवं सार्थक आदरणीय.🙏

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    1. Comment deleted which pertained to another post /vishwas mat

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  10. via/FB/PAU
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    Meghna Jaiswal Bhakat 8:21pm Mar 14
    True

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