Monday 24 July 2017

प्यादा




प्यादा
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प्रदर्शनकारी शांति से प्रदर्शन कर रहे थे। अचानक बिन बुलाये मेहमान के समान कुछ नेता टाइप के लोग आये और उनको उकसाने लगे। प्रदर्शनकारियों में से कुछ ने इस पर एतराज़ भी किया पर उनकी अनदेखी कर, एक नेता  ने माइक छीन कर लोगों की  भावनाओं को भड़का दिया। फिर क्या था।  गर्म तवे को परखने के लिए कुछ छींटे ही काफी होती हैं। प्रदर्शनकारी हिंसक हो उठे प्रशासन को सख्त हिदायत थी कि शक्ति का प्रयोग बिलकुल ना करे। चुनाव नज़दीक थे और वोटों पर असर पड़ने का डर था।  हेड कांस्टेबल हज़ारी लाल ने एक छोटे बच्चे को 'अब्बा अब्बा ' चिल्लाते हुए जो देखा तो उसे बचाने वह उग्र होती भीड़ में घुस गया। बच्चे को बचा कर वह उसे सुरक्षित स्थान पर ले आया पर फिर ना जाने क्यों चंद प्रदर्शकारी मानो एक योजना के तहत हज़ारी लाल को घेरने लगे। शीघ्र ही प्रदर्शनकारियों ने हेड कांस्टेबल हज़ारी लाल को घेर कर मारना आरंभ कर दिया। एक बार हज़ारी लाल ने अपनी पिस्तौल को निकला भी पर फिर उसने वापस होल्डर में रख दिया। अधमरी हालत में उसे  राज्य  के अस्पताल ले जाया गया। पत्रकारों का जमावड़ा एक सनसनीखेज समाचार हेतु  अस्पताल पहुँच गया।
पत्रकारों में से एक ने हज़ारी लाल से पूछा I "हज़ारी जी, सबों ने देखा कि आपने अपनी जान को खतरे में डाल कर बच्चे को कुचलने से बचाया। आपके पास एक पिस्तौल थी फिर आपने  प्रदर्शनकारियों को डराने या मारने  के लिए गोली क्यों नहीं चलायी ?
"भीड़ जब बेकाबू हो जाये तो पिस्तौल के छह गोली भी कम पड़ जाती हैं। निर्दोष उकसाये प्रदर्शनकारी चंद उग्रवादियों के उकसावे में आ कर मेरी पिस्तौल की भेंट चढ़ जाते। मैं तो इस पूरे तंत्र में एक अदना प्यादा हूँ जिसको इस्तेमाल कर हवा का रुख परखा जाता है। आत्मरक्षा में मैं गोली चला सकता था। कुछ प्रदर्शनकारी मारे भी जाते। मैं बच भी जाता तो भी राजनैतिक कारणों से  प्रशासन के पास, मुझे निलंबित और बर्खास्त करने के सिवाय कोई और चारा नहीं होता। किसी को तो बलि का बकरा बनना ही होता है।' हज़ारी लाल ने अपनी कमजोर होती आवाज़ में कहा। 
"आप मर भी तो सकते थे ", एक पत्रकार ने कहा। 
एक क्षीण से मुस्कान हज़ारी लाल के होंठों तक आयी। “बच्चा बच गया, यह कोई नहीं देखता। मेरी गोली से जो मारे जाते तो तलहका मच जाता। ड्यूटी पर किया गया आत्मरक्षा का प्रयास एक जानी मानी साजिश मानी जाती। असहिष्णुता का ढोल पीटने वाले कैंडल मार्च निकालते। विरोधी, सरकार का जीना हराम कर देते। सरकार मारे गए लोगों के परिवार को लाखों का मुआवज़ा क्षतिपूर्ति के लिए देती।“ हज़ारी लाल हांपने लगा। “और। ..और।  मेरे ऊपर एक इन्क्वारी समिति बिठा दी जाती। मेरी पेंशन रोक ली जाती। मेरा परिवार सड़क पर आ जाता। जय हिन्द। ... जय भारत। ... जय हिंदुस्तान। ......  हेड कांस्टेबल हज़ारी लाल की गर्दन लटक गयी थी।
जिनको इस हिंसक प्रदर्शन से बहुत कुछ उम्मीदें थी उन पर पानी पड़ गया था। होने वाले चुनाव में आशातीत फसल नहीं कटने की सम्भावना क्षीण हो गयी थी। प्यादे ने हवा का रुख ही मोड़ दिया था।
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल
Image curtsy Google.com

10 comments:

  1. Seharyar Khan
    Wow it's reality I too have seen this in Mumbai riot's
    July 24 at 11:30pm
    ---------------------via fb/TL

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  2. Kusumakar Dubey
    वाह! क्या कहानी लिखी है! बहुत अच्छी.
    July 24 at 9:00pm
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    Dharmpal Rojh
    अक्षरशः सचाई 😢
    July 24 at 9:07pm
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    Nitin Pandey वाह
    July 24 at 9:17pm
    -------via fb/फलक (फेसबुक लघु कथाएं)

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  3. Neelam Sahu
    लाजवाब
    बेबाक
    July 24 at 9:11pm
    --------------via fb/आगमन ...एक खूबसूरत शुरुआत

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  4. निर्देश शर्मा पाबला
    वाहहहहहहहह सत्य को सामने लाने का अनूठा प्रयास
    July 24 at 8:27pm
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    Shelleyandra Kapil
    अभी भी जिम्मेदार व्यकतित्व बचे हैं।
    आशा के चिराग़
    रोशनी दे रहे सजे हैं।
    July 24 at 8:27pm
    ------------------via fb/Prayas

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  5. Ravi Sharma
    राजनैतिक दंगों का सही व्याख्यान । सरकारी नौकरी व एक समझदार मज़बूर प्यादा ।वाहहहहहह वाहहहहह।
    July 24 at 8:20pm
    -------------------
    निशि शर्मा 'जिज्ञासु'
    यथार्थ संप्रेषण करती लघुकथा।
    July 24 at 8:29pm
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    Ray Singh Suman
    वाहहहह बेहतरीन
    July 24 at 9:11pm
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    Madhvi Karol
    राजनीति का मुँह तोड़ जवाब। एक प्यादे का मज़बूत इरादा। बहुत ख़ूब।
    July 24 at 9:32pm
    -----------------via fb/Purple Pen

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  6. Seema Rai Dwivedi
    बहुत खूब आदरणीय , बधाई
    July 25 at 9:42pm
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    Sharma Chanchlika
    वाह्ह्
    July 25 at 10:41pm
    ----------------via fb/आगमन ...एक खूबसूरत शुरुआत

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  7. Laxman Dhami Musafir
    बहुत बेहतरीन कथा आज की राजनीति और मीडिया की मानसिकता को उजागर करती है।
    July 25 at 6:26pm
    --------------------via fb/Pryas

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  8. Comments via fb/Purple Pen
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    वसुधा कनुप्रिया
    राजनीतिक रोटियाँ सेकना वालों पर तीक्ष्ण प्रहार, सार्थक सृजन आदरणीय
    uly 25 at 7:28pm
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    Vishal Narayan
    आज की राजनीति पर करारा तमाचा
    बेहतरीन सृजन आदरणीय
    July 24 at 9:43pm
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    Deo Narain Sharma
    सम सामयिक समस्याओं पर आधारित मानवमूल्यो के गिरते पारे पर आधारित सुन्दर रचना।
    व्यक्ति को अपनी सोच बदलकर नूतन सोच मानवतावादी धरातल पर अवश्य पुष्पित पल्लवित करना पडेगा और मणिकांचनगुणों को धारणकर जीवनयापन करने हेतु कटिबद्ध होना पडेगा।तभी मानवता सुख समृद्धि पाकर विकसित हो सकती है और निर्भय साँस ले सकती है।परिपुष्ट और सुन्दर सृजन समयानुसार।
    हार्दिक बधाई आदरणीय
    July 25 at 6:03pm
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    Pankaj Sharma
    बहुत सुंदर
    July 24 at 10:16pm
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    Kuldeep Makkar
    आधुनिक राजनीति की पोल खोलती एक सुंदर रचना जो यह भी दर्शाती है कि एक भी कर्तव्य परायण इन्सान हवा का रुख पलट सकता है ।
    July 25 at 11:42am
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    Rajni Sinha
    लाजवाब आदरणीय श्री Tribhuwan Tribhawan Kaul ji
    July 25 at 4:53pm
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  9. Vardaan Singh Hada
    बेहद मार्मिक चित्रण... नाकारा व्यवस्था का...
    July 27 at 2:41pm
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    Ramesh Shukla
    वर्तमान में घटती घटनाओं का आप ने अनोखा चित्र अपने कहानी में खींचा है देश आज कितना शांत और कामयाब हो चुका होता अगर ए राजनीतिज्ञ गुंडे न होते।
    July 27 at 8:18pm
    -------------------via fb/फलक (फेसबुक लघु कथाएं)

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  10. via fb/TL
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    Adv.Dhirendra Kumar
    बहुत ही सराहनीय ,बहुत ही मार्मिक
    July 30 at 3:47pm
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    डॉ किरण मिश्रा
    Rule, an illustration of the power of the game
    July 30 at 6:21pm
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    Manoj Kumar Mishra
    क्या, गजब लिखते हैं, धन्यवाद
    July 30 at 11:01pm
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