कलमकार
----------
एक प्रसिद्ध लेखक का निधन हो गया। परिवार
की ओर से शान्ति पाठ का आयोजन किया गया। लेखक मित्र , आलोचक , पत्रकार , प्रकाशक, पाठकगणो में श्रद्धांजलि देने के लिए मानो होड़ लग गयी हो।
श्रद्धांजलि में स्वर्गवासी की केवल अच्छी
और सुखद यादों का ही उल्लेख किया जाता है।
बस कुछ देर तक सभी के चेहरे गमगीन नज़र आते हैं और फिर सांसारिक बातों का, मृत्यु पर आध्यात्मिक
विश्लेषणों का, लेखन व्वयस्था पर टीका टिप्पिणि पर खुसर फुसर के रूप में वार्तालाप
होने लगता है।
महापौर महोदय ने माइक पकड़ा , " महान लेखक
राधाशरण के निधन के साथ हमारे साहित्यिक
संसार को एक बहुत भारी नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई करना आने वाले समय में करना बहुत
मुश्किल है। उन्हें लेखन का वरदान शायद माँ
सरस्वती से प्राप्त था। “
एक जाने माने प्रकाशक ने माइक पकड़ा
और बोले , " इनके निधन से मुझे अधिकतम नुकसान उठाना पड़ेगा। मेरी प्रेस केवल उनके लिखे उपन्यास , कथा कहानियों को छाप कर ही अपना
ख़र्चा निकलती थी।“
इतने में एक पाठक उठा और बोला,
" उनके निधन से आपकी तुलना में सबसे अधिक नुकसान तो मेरा हुआ है। अब मैं उनकी लिखी कथा -कहानियों से वंचित रह जाऊँगा।
तभी एक व्यक्ति धाड़ें मार मार कर रोने
लगा। सब उसकी और आकर्षित हो गए। " हाय
हाय , सबसे बड़ा नुकसान तो मेरा हुआ है। बच्चों को क्या खिलाऊँगा ? अब कहाँ से मैं
आजीविका कमाऊँगा? उनके निधन के साथ, मेरा भी निधन हो गया है। हाय , हाय।“
जब किसी की समझ में कुछ नहीं आया तो महापौर महोदय ने
पुछा , " भाई , ऐसा क्यों कह रहे हो ? तुम हो कौन उनके ? "
उस व्यक्ति ने इधर उधर देखा। सब का ध्यान अपनी और पा कर वह बोला , " जी
, मेरा नाम कलमकार है। उनके लिए लिखता था। कहा जाए तो मैं उनका परोक्ष लेखक था। मेरे लेखन कार्य के लिए वह मुझे अच्छी ख़ासी राशि
का भुगतान करते थे और मेरे ही लिखी रचनाओं
को वह अपने नाम से प्रकाशित कराते थे।“
सभी इस रहस्योद्घाटन पर स्तब्ध थे।
==========================
सर्वाधिकार
सुरक्षित /त्रिभवन कौल
Image : curtsy Google.com
All comments via/fb/TL
ReplyDelete---------------------
Ravi Sharma
अविश्वसनीय कथा
July 2 at 6:45pm
-------------------------
ओम प्रकाश शुक्ल
परदा हटा दिया है आपने
July 2 at 6:50pm
--------------------------
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
नाम को दाम मिला करते हैं ' हितैषी '।
July 2 at 6:59pm
--------------------------
Sanjay Kumar Giri
"मेरे लेखन कार्य के लिए वह मुझे अच्छी ख़ासी राशि का भुगतान करते थे और मेरे ही लिखी रचनाओं को वह अपने नाम से प्रकाशित कराते थे।“"बहुत सुन्दर एवं सार्थक बात कही आपने आज भी साहित्य में न जाने इस तरह से दोनों प्रकार के लेखक विद्दमान है ...कोई किसी के लिए मजबूरी बस लिखता है और कोई किसी के द्वारा लिखे को अपने नाम से प्रकाशित करवा देता है I
July 2 at 7:09pm
+++
Tribhawan Kaul
आपकी व्यावहारिक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद। :)
July 2 at 9:23pm
------------------------
डॉ किरण मिश्रा
हाहाहा ।क्या किसी को मुझसे घोस्ट राईटिंग करानी है संपर्क करे।
July 2 at 7:44pm
+++
Tribhawan Kaul :) :) :) :) :)
July 2 at 9:23pm
-------------------------
Rashmi Jain
सुन्दर व सार्थक रचना आदरणीय
July 2 at 8:03pm
--------------------------
Anam Das
वाह ! सुन्दर !
July 2 at 8:04pm
---------------------------
Vishal Narayan
सही फरमाया आदरणीय
July 2 at 8:06pm
----------------------------
डॉ. पुष्पा जोशी
सच है ये .... ऐसा होता है।
July 2 at 8:27pm
---------------------------
डॉ.प्रशान्त देव मिश्र
Hmmm
July 2 at 8:34pm
--------------------------
रामकुमार चतुर्वेदी व्यंग्यकार
क्या बात है
July 2 at 8:54pm
-------------------------
Syamala Vemuri
I know ghost writers are there.
July 2 at 9:10pm
-------------------------
Lata Yadav
बहुत सुंदर कथा. ...करारा व्यंग्य
July 2 at 9:21pm
-------------------------
Rajeshwer Sharma
Waahhh!
Adorable sir.
July 2 at 9:46pm
------------------------
Saroj Khan
ReplyDeletekalamkar kavhi rotay nehi,unka kalam dusrako anand aur dookh pouchta hai.sabsay bari bat writer agar singer bantay hai tab ehi masus hota hai kalam ka khuchh ritham hai,kalamkar achha jo hta hai gana vhi bahut likhkay amar ho jata hai.ghost or host ka chai khichuri hotch potch galp nehi likhtay hai except premchand munshi.
July 2 at 9:47pm
+++
Tribhawan Kaul
Saroj ji , Namaskar .Premchand Munshi ji ka naam kyun lete hain. Vh swym mein ek bahut bde lekhak the..haan unko bahut baad shourat kaa mukaam haasil hua.........aapki filmi duniya mein to yah bahut hota hai...hai naa ? :)
July 2 at 9:53pm
+++
Saroj Khan
apko jhhal lag giya?
July 2 at 9:53pm
+++
Saroj Khan
ap ki filmi dunia matlamb?
July 2 at 9:54pm
+++
Saroj Khan
jitnay kitab likh hai apko sochhnay prega.
July 2 at 9:55pm
+++
Saroj Khan
literature,songs and films sab cultural activities may juray huay hai.
July 2 at 9:55pm
+++
Saroj Khan
inferiority complex is disease.ak film ak story may banta hai.
July 2 at 9:57pm
+++
Tribhawan Kaul
Saroj Khan Nahi..bus aapse vichar vimarsh kee mansha thi...this one is an imaginary story. None has to do anything with it....just a fictional..Love your comments :)
July 2 at 9:58pm
----------------------via fb/TL
All comments via fb/TL
ReplyDelete------------------------
Indira Sharma
Duur ki koudi . wah
July 2 at 9:52pm
--------------------------
Vandaana Goyal
अद्भुत
July 2 at 10:04pm
-------------------------
Sankari P Sarkar
अपने तो क़लमकार का क़लम छीन ली । क्या ज़माना आ गया वो क्या कहते है ghost writing.|
July 2 at 10:16pm
+++
Tribhawan Kaul
कलमकारों की कलम कोई भी नहीं छीन सकता है। हाँ उसका शोषण अथवा अनुचित लाभ ज़रूर उठाया जाता है। :)
July 2 at 10:31pm
-------------------------
Anita Mishra
ऐसा भी होता है, वाह सच्ची कहानी है।
July 2 at 10:59pm
--------------------------
Anushka Arora
Nyc
July 2 at 11:28pm
----------------------------
Adv.Dhirendra Kumar
ReplyDeleteअद्वितीय वाह वाह
July 3 at 12:16am
-----------------------
गुप्ता कुमार सुशील
अद्भूत प्रसंग वर्तमान को परिभाषित करता हुआ ...नमन आपकी लेखनी को आदरणीय.🙏
July 3 at 2:10am
------------------------
Pankaj Sharma
नकली चेहरा सामने आये
असली सुरत छुपी रहे ।
हकीकत
July 3 at 7:48am
------------------------
Prince Mandawra
शानदार एक पर्दा सा उठादिया आपने आ. जी fb. पर तो ऐसा होता भी होगा
July 3 at 5:09pm
+++
Tribhawan Kaul
अपना मत प्रकट करने के लिए हार्दिक आभार :)
--------------------------------------via fb/TL
Rudra Mishra
ReplyDeleteपत्रकारिता के दौरान मेरे लेख भी इसी तरह मुझसे वरिष्ठ के नाम छपते थे,,यह कड़वा सच वाकई समाज मे बुरी तरह व्याप्त है
July 3 at 7:39pm
+++
Tribhawan Kaul
ओह। यह कड़वी सच्चाई तो सामने आनी चाहिए।
अपना मत प्रकट करने के लिए हार्दिक आभार :)
+++
Rudra Mishra
रहिमन आप ठगाइये
और न् ठगिये कोई,,
मेरा यह सिद्धांत है श्रीमान,रहने दीजिए
आपका आशीर्वाद,स्नेह साथ है,यही पर्याप्त है
----------------------------------via fb/TL
via fb/Purple Pen
ReplyDelete------------------
Rajnee Ramdev
शानदार कटाक्ष, आज के परिवेश पर
July 2 at 10:46pm
---------------------------
वसुधा कनुप्रिया
यथार्थ चित्रण किया आपने आदरणीय ।
July 3 at 10:39am
----------------------------
मुरारि पचलंगिया
" पोल खोल " की कथा
July 3 at 1:27pm
--------------------------
Sharda Madra
वाह अतीव सुंदर लेख।
July 3 at 4:54pm
------------------------
विवेक शर्मा आस्तिक
व्यंग्यात्मक शैली में अति सुंदर लघुकथा आदरणीय
July 3 at 6:45pm
------------------------
via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच
ReplyDelete---------------------------
Raj Kishor Pandey
अति सुंदर लेख
July 2 at 6:49pm
--------------------
Milan Singh
बहुत सुंदर प्रस्तुति
July 2 at 7:28pm
----------------------
शब्द मसीहा
हा हा हा ...बड़े नामों की खूब बखिया उधेडी भाई साहब...हार्दिक बधाई
July 2 at 9:49pm
-------------------------
गोप कुमार मिश्र
बहुत सुंदर प्रस्तुति भाई जी ...सादर वन्दे
July 2 at 8:27pm
------------------------
ओम प्रकाश शुक्ल
गजब का रहस्योद्घाटन
July 2 at 10:00pm
-------------------------
DrDamyanti Sharma
बहुत सत्य..... सुना है ऐसा भी होता है ।
July 2 at 11:40pm
--------------------------
All comments via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच
ReplyDeleteMahatam Mishra
वाह आदरणीय वाह, सशक्त हास्य व्यंग जो सत्य को उजागर कर रहा है, हकीकत का कलमकार आज ठगा ही जा रहा है जो मंचीय ढांचे से बाहर है और उसकी रचना किसी और के नाम दत्तक बन तालियां बजवा रही है, काश सही कलमकार अब मंच पर जिंदा हो पाता तो साहित्य जीवंत हो जाता.....सादर नमन स्वागतम
July 3 at 12:10am
--------------------------
गुप्ता कुमार सुशील
सच्चाई बयान करती वर्तमान को सूचित करती प्रस्तुति के लिये आपकी कलम को सादर नमन आदरणीय.🙏
July 3 at 2:22am
--------------------------
Kviytri Pramila Pandey
सादर आभार आदरणीय
बहुत सुन्दर व्यंग लेकिन सच है कलम कार से क ई समाजिक आर्थिक तथ्य जुड़े होते है। अतिसुन्दर--बधाई
July 3 at 3:44am
----------------------------
Sharda Madra
वाह अति सुंदर लेख।
July 3 at 12:50pm
-----------------------------
कुमार आदेश चौधरी 'मौन'
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत उम्दा लेखन...
July 3
-----------------------------
सज्जो चतुर्वेदी
सुंदर लेख
July 3
---------
via fb/ट्रू मीडिया साहित्यिक मंच
ReplyDelete--------------------------
डॉली अग्रवाल
तीखा पर सटीक
July 2 at 6:46pm
---------------------
Dildar Dehlvi
आजकल का यही चलन है जनाब जो साहित्याकर है ही नहीं वो ही साहित्याकार बन कर सम्मान पा रहे हैं
July 2 at 8:08pm
-----------------------
Sanjay Kumar Giri
बहुत सुंदर एवं सार्थक आर्टिकल आदरणीय
July 2 at 8:44pm
-------------------------
Lata Yadav
वाह करारा व्यंग्य
July 2 at 9:10pm
------------------------
Babita Saini
Bilkul sahi Sahitya maybe Rajneeti shuru ho gayi Sarkar Meri sajhedari Tumhari
July 2 at 9:47pm
------------------------
Rekha Dubey
जबरदस्त व्यंग्य
July 2 at 10:01pm
Savita Saurabh
ReplyDeleteवाह सुखद आश्चर्य
July 2 at 7:44pm
---------------------
Pawan Jain :) :)
July 2 at 10:47pm
----------------------
ममता लड़ीवाल
सशक्त लघुकथा
July 3 at 5:52am
----------------------
Pragya Jaimini
अद्भुत
July 3
..................via fb /आगमन ...एक खूबसूरत शुरुआत
Samiksha Telang
ReplyDeleteबहुत ही सटीक व्यंग्य
July 2 at 6:54pm
-------------------------
Pratima Rakesh
Ha ha ha ha
July 2 at 8:29pm
------------------------
Virendra Rai
वाह. बहुत सुंदर व्यंग्य.
July 3 at 12:10pm
-----------------------
Ranjan Sharma
वाह , कईयों का सच .
July 03 at 12:36pm
=================via fb/विश्व हिंदी संस्थान, कनाडा
Jyotsna Singh
ReplyDeleteरहस्य से पर्दा उठा दिया
ये अच्छा हुआ मरने के बाद!
July 6 at 4:58pm
---------------------
Rekha Joshi
असली कलमकार बेचारा
July 4 at 6:16pm
---------------------via fb/Purple Pen
All comments via fb/फलक (फेसबुक लघु कथाएं)
ReplyDelete-----------------------------------------
Sheikh Shahzad Usmani
वाह। बेहतरीन कटाक्षपूर्ण व्यंग्यात्मक रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय Tribhawan Kaul ji.
July 27 at 8:59pm
------------------------------
Vardaan Singh Hada ghost writing...
आधुनिक कला -व्यापार है...
July 27 at 9:07pm
+++
Vardaan Singh Hada
उन लोगों के लिए जो लिख नहीं सकते बल्कि लिखना सीख ही नहीं सकते... पर पैसे देकर लिखवा सकते हैं... उस कलमकार की पीडा को उजागर करने के लिए साधुवाद...
July 27 at 9:10pm
-------------------------------
Kusumakar Dubey
बढ़िया व्यंग्य.
July 27 at 9:14pm
---------------------------
Manjoo Mishra
वाह बहुत बढ़िया व्यंग्य।
July 27 at 9:31pm
---------------------------
Srivastava Manoj
एक सच्चाई यह भी
July 27 at 9:43pm
--------------------------
Navita Kumari
Thodi sachai bhi hoa sakti
July 27 at 9:52pm
--------------------------
Sarat Upadhyay
bahut badhiya....
July 27 at 9:54pm
--------------------------
Prabhudayal Dhalla
श्रीमान पोस्ट को उठा कर अपनो वाल पर ले जा रहा हू
July 27 at 10:06pm
------------------------
Aditya Anand
Sahi likha sir aapne..........
Ye sab aaj bhi ho rha hai, pratibhawan lekhak pratibha hone k bawjud apni rachnaye dusro ko bechne ko majboor hai
July 27 at 10:17pm
------------------------
अजय प्रकाश पैन्यूली जी
ReplyDeleteSupar
July 28 at 12:07am
---------------------
Anita Mehta
कलमकारों के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगती हुई कथा।
July 28 at 11:06am
----------------------
Sandhya Bhadoria बेहतरीन कटाक्ष
July 29
-----------------via fb/फलक (फेसबुक लघु कथाएं)
via fb/Prayas in the year 2018
ReplyDelete-------------------------------
Rajnee Ramdev 6:01pm Mar 26
शानदार कटाक्ष
via fb/TL in the year 2018
ReplyDelete---------------------
Pintu Mahakul
March 28 at 10:31am
Story of Kalamkar is really very amazing and brilliant one. It attracts attention of a reader to read again and again. Thank you very much fir sharing this with us sir.
Neelam Sahu
ReplyDeleteMarch 26 at 5:55pm
A story that awake you to think
----------------------via fb/TL