अहं आड़े आ गया बीच हमारे
कमी प्यार की वरना कोई ना थी
शब्दों का बस रहा था अकाल
ज़ुबां को बोलने की आदत ना थी II
Ahm aade aa gaya beech hamaare
Kami pyar kee varna koyi naa thee
Shabdon kaa bus raha tha akaal
Zubhan ko bolne kee aadat naa the.
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Manoj Kumar Mishra
वाह से आहा तक
July 27 at 8:23pm
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Indira Sharma
वाह
July 27 at 8:44pm
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Kviytri Pramila Pandey
वाहहहहह
July 27 at 8:50pm
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Anil Agwekar
Superb,Tribhuvan ji.
July 27 at 9:42pm
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Pankaj Sharma
वाहहह ।
आदरणीय
July 27 at 10:30pm
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Om Prakash
बहुत खूब
July 28 at 6:59am
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Ranjana Patel
great
July 28 at 7:54am
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वसुधा कनुप्रिया
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति आदरणीय
July 28 at 10:49am
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Rajinder Sharma Raina
Wahhhh
July 28 at 12:59pm
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Ramkishore Upadhyay
ReplyDeleteवाह
July 28 at 9:23pm
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शब्द मसीहा
वाह
July 29 at 10:54pm
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Shakuntala Tanwar to निर्झरणी भावनाओं की
ReplyDeleteJuly 28 at 11:46am ·
आदरणीय त्रिभवन जी, निर्झरणी भावनाओं की बहुत श्रेष्ठ अभिव्यक्ति है चतुष्पदी द्विपदी कविताओं सभी रूपों में गहरी संवेदना प्रकट होती है अहं आड़े आ गया----इन पंक्तियों में प्रेम के बीच दूरी का कारण "मै" है जो अस्तित्व को अलग करता है मैं से परे हो जाना ही तो प्रेम हैऐसे में शब्द अर्थ खो देते हैं