Saturday 17 June 2017

मृत्यु उपरांत



मृत्यु उपरांत
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ब्रह्माण्ड में अधर
मैं, देख रही हूँ
पूर्ण शान्ति में
पूर्ण विश्राम में
अपना त्यागा हुआ चोला 
रुदाली का तमाशा
रुदन करते शोकाकुल परिवार
चिर परिचित बन्धु बांधव
लाश के चारों ओर हाहाकार। । 

फिर एक बार प्रसूता से
गर्भनाल काटी गयी हो जैसे ,
कट गया हो सम्बन्ध गर्भ से
कर दिया है मुझको
फिर से स्वतंत्र
विचरण करने को
मगर, ब्रह्माण्ड में। 

देख रही हूँ
कानो कान फुसफुसाते हुए ,
अफ़सोस जताते हुए
करीब और ना करीब को
उन सभी शब्दों को व्यवहार में लाते हुए
प्रशंसा में उपलब्ध हैं जो ।

किसी में हिम्मत नहीं
काले कर्मो का बखान करे,
अपने काले कर्मो को भूल कर
मगरमच्छी आंसू पोंछते हुए 
दोस्त ,दुश्मन,परिवार
श्वेत कर्मो की प्रशंसा करते है 
जो किये ही नहीं और जो किये हैं
उनका फल शायद अगले जन्म में तय हो।I 
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सर्वाधिकार सुरक्षित/ त्रिभवन कौल
Image curtsry : Google.com

13 comments:

  1. via fb/TL
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    ओम प्रकाश शुक्ल
    बेहतरीन कृति आदरणीय
    June 18 at 12:00pm
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    Jennifer Long
    Beautiful...... Umbilical cord cut.... Love that
    June 18 at 1:17pm
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    वसुधा कनुप्रिया
    अनुपम सृजन आदरणीय
    June 18 at 2:01pm
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    गुप्ता कुमार सुशील
    भावगम्य रचना ...कन्या भ्रण हत्या के संदर्भ में ...आपकी लेखनी को सादर नमन 🙏 आदरणीय
    June 18 at 7:02pm
    +++
    Tribhawan Kaul
    धन्यवाद आपका I यह कन्या भ्रूण हत्या के संबंध में तो नहीं पर मृत्यु उपरांत एक आत्मा का अवलोकन मात्र की काव्याभिव्यक्ति है। :)
    June 18 at 10:03pm
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    Suresh Pal Verma Jasala
    वाहहहह बहुत सुंदर सार्थक
    June 18 at 10:32pm
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  2. via fb/Purple Pen
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    नीरजा मेहता
    बहुत सुंदर सृजन
    June 18 at 12:17pm
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    Indu Gupta
    Bahut sunder
    June 18 at 12:43pm
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    Rajnee Ramdev
    वाहह बेहतरीन प्रस्तुति...
    फिर से एकबार प्रसूता से
    गर्भनाल कतई गई हो जैसे...लाजवाब
    June 18 at 10:21pm
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    रमा प्रवीर वर्मा
    बहुत सुंदर सृजन, वाहःहः
    June 19 at 10:19am
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    Pankaj Sharma
    वाहहह बहुत सुंदर मंथन
    June 19 at 10:33am
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  3. Nita Nayyar
    बहुत उत्कृष्ट रचना .... बिल्कुल ऐसा ही अनुभव अभी हाल ही में एक शोक सभा को attend करके हुआ .... मेरे पति के बैचमेट थे , वहां नजाने कितनी खूबियां गिनायी गयी .... जबकि मेरे पति बाहर निकल कर बोले .... अरे यार फलां -फलां इतने अच्छे थे , पता ही नही चला । क्या हम सभी ताजी भटकती आत्मा से खौफ खाते हैं या महज़ अपने कुकर्म छिपाने की रिहर्सल करते है ,,,, अकाट्य सच्चाई बयान करती ,,, आपकी रचना ,,,,,, आद. साधुवाद ।
    June 18 at 4:52pm
    -------------------viafb/ट्रू मीडिया साहित्यिक मंच

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  4. Sushma Tripathi
    Vaahhhhhhh .
    June 18 at 1:26pm
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    Bhupinder Kaur
    उत्कृष्ट रचना है आपकी ,सार्थक भाव लिए
    June 18 at 2:58pm
    --------------------via/fb/आगमन ...एक खूबसूरत शुरुआत

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  5. via/ fb/Poetry Junction
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    Rajeev Bhatnagar
    वाह जी
    June 18 at 4:16pm
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    Shailesh Gupta
    बहुत सुंदर... सारगर्भित.... सार्थक....सृजन.... !....
    June 18 at 6:43pm
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    Mahendra Pal
    nice topic and poem
    June 18 at 10:08pm
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    Tejas Hansraj Mane Patil
    Janab bahut khoob
    June 18 at 10:12pm
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    Indrajit Ghoshal
    Waah. 😊
    June 18 at 10:14pm
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    Neelima Kumar
    यथार्थ परक सुंंदर सृजन।
    June 19 at 8:24am
    ------------------

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  6. via /fb/Prayas
    ===============
    Bhupinder Kaur
    शाश्वत सत्य
    June 18 at 12:46pm
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    Shelleyandra Kapil
    ऐसा क्यों सोचा ,
    जीते रहते सोचा ....
    June 18 at 1:36pm
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    DrSweet Angel
    Bitter truth of life
    June 18 at 1:54pm
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  7. Anubhuti Bharadwaj
    इन शब्दों ने मौत को जी लिया है जैसे - अशरीर का अजब अहसास !
    Like · Reply · 1 · June 19 at 4:40pm
    --------------------------------------via fb/Poetry Junction

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  8. Shashi Tyagi
    श्रेष्ठतम सृजन
    June 19 at 10:37pm
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    Abhishek Bhashkar Singh
    बेहद उम्दा लिखा आपने
    June 19 at 10:50pm
    ---------------------via fb/TL

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  9. Sarvesh Kumar Marut
    Sundar Rachna
    June 19 at 9:12am
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    Samiksha Telang
    सत्य के करीब
    June 19 at 1:56pm
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    Onika Setia
    Great. And true. Poetry
    June 19 at 6:38pm
    ----------------------via fb/विश्व हिंदी संस्थान, कनाडा

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  10. Ramkishore Upadhyay
    किसी में हिम्मत नहीं
    काले कर्मो का बखान करे,
    अपने काले कर्मो को भूल कर
    मगरमच्छी आंसू पोंछते हुए
    दोस्त ,दुश्मन,परिवार
    श्वेत कर्मो की प्रशंसा करते है
    जो किये ही नहीं और जो किये हैं
    उनका फल शायद अगले जन्म में तय हो।I---कटु यथार्थ अनुपम सृजन .......
    June 21 at 2:25pm
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    Chanchala Inchulkar Soni
    अद्भुत अभिव्यक्ति ...
    June 21 at 2:44pm
    -------------------via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच

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  11. Indira Sharma
    कमाल का सृजन |
    June 19 at 6:14pm
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    Rajesh Srivastava
    बहुत सुन्दर सृजन
    June 19 at 8:01pm
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    Neelofar Neelu
    बेहद सुंदर सृजन आदरणीय कौल साहब😊💐👌
    June 20 at 12:26am
    ------------------------via fb/Purple Pen

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  12. via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच
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    Raj Kishor Pandey
    अनुपम रचना
    June 21 at 5:14pm
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    Kavita Sud
    जीवन दर्शन
    June 21 at 5:32pm
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    मुरारि पचलंगिया
    बहुत सुंदर सृजन आदरणीय
    June 21 at 5:43pm
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    Kviytri Pramila Pandey
    वाहहह अतिसुन्दर बहुत खूब
    June 21 at 5:57pm
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    Kamlesh Shukla
    वाह यथार्थ चित्रण
    June 21 at 6:18pm
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  13. via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच
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    Rita Thakur
    काले कर्म किसके ?
    June 21 at 6:24pm
    +++
    Tribhawan Kaul
    जी। काले कर्मो का अर्थ यहाँ पर वह सभी गलत कार्य हैं जो किये जाते हैं। मनुष्य गलतियों का पुतला है। वह कभी भी अपने गलत कर्मो का बखान नहीं करना चाहेगा। पर चूँकि हमाम में सभी नंगे होते हैं , वह दूसरों की गलतियों पर भी पर्दा डालते हैं। एक अफ़सोस वाली जगह पर तो बिलकुल नहीं। ऐसा क्यों ? शायद सामाजिक मर्यादा। अगर ऐसा भी है तो बहुत से सामजिक मर्यादायें अभी तक ध्वस्त हो चुकी हैं ??? हार्दिक धन्यवाद आपका।:)
    June 22 at 4:04pm
    +++
    Rita Thakur
    बहुत सही समीक्षा
    June 22 at 7:43pm
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    Sharda Madra
    वाह अनुपम सृजन।
    June 22 at 7:42pm
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    राम केश मिश्र
    वाह वाह ख़ूब
    June 22 at 9:13pm
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    DrDamyanti Sharma
    यथार्थ के धरातल पर अंकित भावों का कविता के रूप में अति सुंदर सृजन ...... बधाई
    June 22 at 9:26pm
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