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ब्रह्माण्ड में अधर
मैं, देख रही हूँ
पूर्ण शान्ति में
पूर्ण विश्राम में
अपना त्यागा हुआ चोला
रुदाली का तमाशा
रुदन करते शोकाकुल परिवार
चिर परिचित बन्धु बांधव
लाश के चारों ओर हाहाकार। ।
फिर एक बार प्रसूता से
गर्भनाल काटी गयी हो जैसे ,
कट गया हो सम्बन्ध गर्भ से
कर दिया है मुझको
फिर से स्वतंत्र
विचरण करने को
मगर, ब्रह्माण्ड में।
देख रही हूँ
कानो कान फुसफुसाते हुए ,
अफ़सोस जताते हुए
करीब और ना करीब को
उन सभी शब्दों को व्यवहार में लाते
हुए
प्रशंसा में उपलब्ध हैं जो ।
किसी में हिम्मत नहीं
काले कर्मो का बखान करे,
अपने काले कर्मो को भूल कर
मगरमच्छी आंसू पोंछते हुए
दोस्त ,दुश्मन,परिवार
श्वेत कर्मो की प्रशंसा करते है
जो किये ही नहीं और जो किये हैं
उनका फल शायद अगले जन्म में तय हो।I
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सर्वाधिकार
सुरक्षित/ त्रिभवन कौल
Image curtsry : Google.com
via fb/TL
ReplyDelete================
ओम प्रकाश शुक्ल
बेहतरीन कृति आदरणीय
June 18 at 12:00pm
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Jennifer Long
Beautiful...... Umbilical cord cut.... Love that
June 18 at 1:17pm
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वसुधा कनुप्रिया
अनुपम सृजन आदरणीय
June 18 at 2:01pm
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गुप्ता कुमार सुशील
भावगम्य रचना ...कन्या भ्रण हत्या के संदर्भ में ...आपकी लेखनी को सादर नमन 🙏 आदरणीय
June 18 at 7:02pm
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Tribhawan Kaul
धन्यवाद आपका I यह कन्या भ्रूण हत्या के संबंध में तो नहीं पर मृत्यु उपरांत एक आत्मा का अवलोकन मात्र की काव्याभिव्यक्ति है। :)
June 18 at 10:03pm
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Suresh Pal Verma Jasala
वाहहहह बहुत सुंदर सार्थक
June 18 at 10:32pm
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via fb/Purple Pen
ReplyDelete===============
नीरजा मेहता
बहुत सुंदर सृजन
June 18 at 12:17pm
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Indu Gupta
Bahut sunder
June 18 at 12:43pm
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Rajnee Ramdev
वाहह बेहतरीन प्रस्तुति...
फिर से एकबार प्रसूता से
गर्भनाल कतई गई हो जैसे...लाजवाब
June 18 at 10:21pm
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रमा प्रवीर वर्मा
बहुत सुंदर सृजन, वाहःहः
June 19 at 10:19am
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Pankaj Sharma
वाहहह बहुत सुंदर मंथन
June 19 at 10:33am
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Nita Nayyar
ReplyDeleteबहुत उत्कृष्ट रचना .... बिल्कुल ऐसा ही अनुभव अभी हाल ही में एक शोक सभा को attend करके हुआ .... मेरे पति के बैचमेट थे , वहां नजाने कितनी खूबियां गिनायी गयी .... जबकि मेरे पति बाहर निकल कर बोले .... अरे यार फलां -फलां इतने अच्छे थे , पता ही नही चला । क्या हम सभी ताजी भटकती आत्मा से खौफ खाते हैं या महज़ अपने कुकर्म छिपाने की रिहर्सल करते है ,,,, अकाट्य सच्चाई बयान करती ,,, आपकी रचना ,,,,,, आद. साधुवाद ।
June 18 at 4:52pm
-------------------viafb/ट्रू मीडिया साहित्यिक मंच
Sushma Tripathi
ReplyDeleteVaahhhhhhh .
June 18 at 1:26pm
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Bhupinder Kaur
उत्कृष्ट रचना है आपकी ,सार्थक भाव लिए
June 18 at 2:58pm
--------------------via/fb/आगमन ...एक खूबसूरत शुरुआत
via/ fb/Poetry Junction
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Rajeev Bhatnagar
वाह जी
June 18 at 4:16pm
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Shailesh Gupta
बहुत सुंदर... सारगर्भित.... सार्थक....सृजन.... !....
June 18 at 6:43pm
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Mahendra Pal
nice topic and poem
June 18 at 10:08pm
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Tejas Hansraj Mane Patil
Janab bahut khoob
June 18 at 10:12pm
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Indrajit Ghoshal
Waah. 😊
June 18 at 10:14pm
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Neelima Kumar
यथार्थ परक सुंंदर सृजन।
June 19 at 8:24am
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via /fb/Prayas
ReplyDelete===============
Bhupinder Kaur
शाश्वत सत्य
June 18 at 12:46pm
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Shelleyandra Kapil
ऐसा क्यों सोचा ,
जीते रहते सोचा ....
June 18 at 1:36pm
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DrSweet Angel
Bitter truth of life
June 18 at 1:54pm
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Anubhuti Bharadwaj
ReplyDeleteइन शब्दों ने मौत को जी लिया है जैसे - अशरीर का अजब अहसास !
Like · Reply · 1 · June 19 at 4:40pm
--------------------------------------via fb/Poetry Junction
Shashi Tyagi
ReplyDeleteश्रेष्ठतम सृजन
June 19 at 10:37pm
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Abhishek Bhashkar Singh
बेहद उम्दा लिखा आपने
June 19 at 10:50pm
---------------------via fb/TL
Sarvesh Kumar Marut
ReplyDeleteSundar Rachna
June 19 at 9:12am
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Samiksha Telang
सत्य के करीब
June 19 at 1:56pm
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Onika Setia
Great. And true. Poetry
June 19 at 6:38pm
----------------------via fb/विश्व हिंदी संस्थान, कनाडा
Ramkishore Upadhyay
ReplyDeleteकिसी में हिम्मत नहीं
काले कर्मो का बखान करे,
अपने काले कर्मो को भूल कर
मगरमच्छी आंसू पोंछते हुए
दोस्त ,दुश्मन,परिवार
श्वेत कर्मो की प्रशंसा करते है
जो किये ही नहीं और जो किये हैं
उनका फल शायद अगले जन्म में तय हो।I---कटु यथार्थ अनुपम सृजन .......
June 21 at 2:25pm
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Chanchala Inchulkar Soni
अद्भुत अभिव्यक्ति ...
June 21 at 2:44pm
-------------------via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच
Indira Sharma
ReplyDeleteकमाल का सृजन |
June 19 at 6:14pm
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Rajesh Srivastava
बहुत सुन्दर सृजन
June 19 at 8:01pm
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Neelofar Neelu
बेहद सुंदर सृजन आदरणीय कौल साहब😊💐👌
June 20 at 12:26am
------------------------via fb/Purple Pen
via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच
ReplyDelete----------------------------
Raj Kishor Pandey
अनुपम रचना
June 21 at 5:14pm
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Kavita Sud
जीवन दर्शन
June 21 at 5:32pm
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मुरारि पचलंगिया
बहुत सुंदर सृजन आदरणीय
June 21 at 5:43pm
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Kviytri Pramila Pandey
वाहहह अतिसुन्दर बहुत खूब
June 21 at 5:57pm
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Kamlesh Shukla
वाह यथार्थ चित्रण
June 21 at 6:18pm
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via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच
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Rita Thakur
काले कर्म किसके ?
June 21 at 6:24pm
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Tribhawan Kaul
जी। काले कर्मो का अर्थ यहाँ पर वह सभी गलत कार्य हैं जो किये जाते हैं। मनुष्य गलतियों का पुतला है। वह कभी भी अपने गलत कर्मो का बखान नहीं करना चाहेगा। पर चूँकि हमाम में सभी नंगे होते हैं , वह दूसरों की गलतियों पर भी पर्दा डालते हैं। एक अफ़सोस वाली जगह पर तो बिलकुल नहीं। ऐसा क्यों ? शायद सामाजिक मर्यादा। अगर ऐसा भी है तो बहुत से सामजिक मर्यादायें अभी तक ध्वस्त हो चुकी हैं ??? हार्दिक धन्यवाद आपका।:)
June 22 at 4:04pm
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Rita Thakur
बहुत सही समीक्षा
June 22 at 7:43pm
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Sharda Madra
वाह अनुपम सृजन।
June 22 at 7:42pm
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राम केश मिश्र
वाह वाह ख़ूब
June 22 at 9:13pm
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DrDamyanti Sharma
यथार्थ के धरातल पर अंकित भावों का कविता के रूप में अति सुंदर सृजन ...... बधाई
June 22 at 9:26pm
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