Sunday 30 October 2016

सुहागिन की अभिलाषा


एक हिंदुस्तानी वीर सैनिक की पत्नी अपने पति को क्या  सन्देश भेज सकती है इसकी थोड़ी सी कल्पना की है मैंने इस रचना में।  सादर।  


सुहागिन की अभिलाषा
-------------------------
तुम गए जब से सनम
यूँ बिना मुझसे मिले
चाँद तब से ओझल सा
रात ने भी किये गिले.

लाम पर तुम क्या गए 
मुझको सनम भूल कर
मुझको कोई शिकवा नहीं 
बस आना शत्रु खदेड़ कर.

हैं राह पर बिछाई  मैंने
सुहाग की सब चूड़ियाँ
विजयी बन जब आओगे 
अंगी करूं यह चूड़ियाँ .

क्यूँ लिखा था मौत पर
आंसू बहाना तक  नहीं ?
ऐसी भी कमज़ोर नहीं
तुमने मुझे जाना नहीं

प्यार मेरा, कवच तेरा
गोलियों से टकराएगा
बनी होगी गोली ऐसी
जो वक्ष भेद लग जायेगा.

प्रार्थना  मेरी तुमसे यही
पीठ दिखाना तुम नहीं
दुश्मनों के लिए तुम प्रिये
मौत बन जाना तुम वंही

तुम गए जब से सनम
यूँ बिना मुझसे मिले
चाँद तब से ओझल सा
रात ने भी किये गिले.
----------------------------------

सर्वाधिकार सुरिक्षित त्रिभवन कौल 

2 comments:



  1. विशाल नारायण
    वाहहह्ह्हह
    आना शत्रु खदेड़कर बहुत खूब आदरणीय
    October 31 at 6:33pm
    --------------------------
    Sharda Madra
    वाह बेह्तरीन रचना आदरणीय ।सादर नमन।
    October 31 at 9:33pm
    ---------------------------
    Ranjana Verma
    बहुत सुंदर
    October 31 at 9:40pm
    ---------------------------
    Vivek Chauhan
    अतीव सुन्दर आदरणीय
    October 31 at 10:19pm
    ---------------------------
    Rudra Mishra
    लेखनी को प्रणाम आदरणीय
    October 31 at 10:38pm
    --------------------------
    Ramkishore Upadhyay
    मार्मिक सृजन
    November 1 at 8:07am
    ---------------------------
    Kviytri Pramila Pandey
    सुँदर
    November 1 at 8:29am
    ----------------------------
    Chanchala Inchulkar Soni
    ह्रदय स्पर्शी सृजन .....
    शुभ दीपोत्सव
    November 1 at 9:15pm
    ---------------------------via fb/Yuva Utkarsh Sahityk Manch

    ReplyDelete

  2. Neelofar Neelu
    बेहद सुंदर और सार्थक सृजन आदरणीय कौल साहब👏👏😊💐👌
    October 31 at 12:22pm
    ----------------------------via fb/ purple pen

    ReplyDelete