आते हैं वह आंधी की तरह
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आते हैं वह आंधी की तरह
जाते हैं तूफ़ान की मानिंद
कुछ उनसे क्या कहे कोई
उझड़े तो हम ही जाते हैं.
रोने को पड़ी है सारी ज़िन्दगी
दो पल की हंसी गनीमत है
जो कहा कुछ पल हंस तो लो
नाराज़ हो कर चले जाते हैं.
सब कुछ दिया सिवा प्यार के
चर्चा भी करें तो आफ़त है
अश्को की भाषा समझते नहीं
आँखों की तारीफ किये जाते हैं.
सरे महफ़िल में हमको किया रुसवा
सिर्फ अपना ग़म गलत करने को
मेरे प्यार से तब भी न की तोबा
मेरा नाम हर साँस में लिए जाते हैं.
ओ उनके ईश्वर, ओ मेरे ख़ुदा
मोहोब्त में जीये हो जीने दिया है
मेरे प्यार को न दो बेरुखी का नाम
इसी के सहारे तो जीये जाते हैं.
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