वर्ण पिरामिड
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न
रहे
गांव
के
...पनघट
हाय
! दुल्हन
कित
जाय, कर
श्रृंगार,........झटपट
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सर्वाधिकार
सुरक्षित/त्रिभवन कौल
थी
कभी
संस्कृति
जल स्तोत्रों
में
पनपती
पास
कुंओं के भी
तर्क
वितर्क से भी
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सर्वाधिकार
सुरक्षित/ त्रिभवन कौल
Shyamal Sinha 4:59pm Jul 23
ReplyDeleteबहुत ख़ूब पिरामिड को नमन्
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Seema Vyas 5:43pm Jul 23
ReplyDeleteआद० बहुत सुन्दर ।
गांव की बालाओं का तो पनघट ही सब है ।
सादर नमन ।
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Kailash Nath Shrivastava 6:06pm Jul 23
ReplyDeleteसुन्दर. सरस रचना .कुछ दिनों में बच्चों को बताना पड़ेगा कि कुएँ क्या और
कैसे होते थे. .कूप', कुआाँ शब्दकोष में ही दिखेगा
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Shyamal Sinha 6:08pm Jul 23
ReplyDeleteसही कहा भ्राताश्री !
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