मातृ दिवस के उपलक्ष्य में
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माँ छांव बरगद की, मिज़ाज़ नीम का प्रमाण है
मकान में माँ है तो घर , वरना वह श्मशान है
मंदिर की माँ को निहाल करें ,जप -ज़ेवरात से
खोजती ज़मीर बच्चों में, ज़िंदा मॉ परेशान है
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सर्वाधिकार सुरक्षित / त्रिभवन कौल
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माँ छांव बरगद की, मिज़ाज़ नीम का प्रमाण है
मकान में माँ है तो घर , वरना वह श्मशान है
मंदिर की माँ को निहाल करें ,जप -ज़ेवरात से
खोजती ज़मीर बच्चों में, ज़िंदा मॉ परेशान है
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सर्वाधिकार सुरक्षित / त्रिभवन कौल
मुरारि पचलंगिया
ReplyDeleteMay 13 at 1:52pm
प्रश्न बड़ा है ...... स्वर्ग कहाँ है । माँ के आँचल की छाँव जहाँ है ।। ~~~~~~~~~ मुरारि पचलंगिया
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via fb/Prayas.
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Shelleyandra Kapil 2:08pm May 13
शुभ दिन,
हमने तो मां को हर दिन हर क्षण दिल
में बसा डाला है
चन्द किरदारों ने इसे भी एक दिवस
मनाकर सीमित कर डाला है।
Deepika Maheshwari
ReplyDeleteMay 13 at 2:19pm
अप्रतिम.. हार्दिक शुभकामनाएं
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डॉ किरण तिवारी मिश्रा
ReplyDeleteMay 13 at 4:26pm
खूब लिखा
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via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (न्यास).
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Kviytri Pramila Pandey 2:23pm May 13
आदरणीय सुन्दर मुक्तक से पटल की शोभा बढ़ी। सादर,, जय माॅ शारदे।
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रकमिश सुल्तानपुरी 2:23pm May 13
बहुत खूबसूरत
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Deo Narain Sharma 2:23pm May 13
सुन्दर पद्य रचना।
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All comments via fb/Purple Pen
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राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी 10:13pm May 13
अतीव सुन्दर मनोरम सृजन हेतु बधाई जय माँ वीणा l l
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वसुधा कनुप्रिया 11:47pm May 13
सच कहा है आपने आदरणीय, कटु सत्य !
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Indira Sharma 4:41pm May 14
kyaa baat kah daali . adhiktar to haalat yahi hai
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Karunanidhi Tiwari 9:45pm May 14
माँ पूज्य है
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मुरारि पचलंगिया 6:30am May 15
अनुपम सृजन
via fb/Purple Pen
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Rita Thakur 10:13pm May 13
सुन्दर रचना
Vishakha Gautam
ReplyDeleteMay 13 at 5:46pm
बहुत ख़ूब
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वसुधा कनुप्रिया
May 13 at 10:50pm
कड़वा सच कहा आपने आदरणीय
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