अनुभूतियों की
ताज़गी : 'पीहू पुकार'
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जीवन प्रेम है या
प्रेम ही जीवन है, इस गुथी को सुलझना अभी बाकी है। यधपि 'प्रेम ' शीर्षक को लेकर लाखों पुस्तकें बाज़ार में
उपलब्ध हैं फिर भी जब कोई लेखक या कवि प्रेम/प्यार की एक नयी व्याख्या, एक नयी परिभाषा अपने बहुआयामी भावों के द्वारा पाठकों के लिए भावनात्मक काव्याभिव्यक्ति बना कर हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है तो यकीन
मानिये हम ,पाठकगण, उसके दृष्टिकोण से सहमत हो कर प्रेम को उद्धरित करती विभिन्न भावनाओं को
आत्मसात कर एक सुखद अनुभूति का आनंद लेते हैं। काव्य संग्रह 'पीहू पुकार' के रचनाकार श्री रविन्द्र
जुगरान जी की रचनायें उसी सुखद अनुभूति का अनुभव कराने में सक्षम हैं और यही उनकी
एक सफल रचनाकार/कवि होने का आभास कराता है।
प्रेम के विषयों
पर लिखी सभी कविताओं का सार कवि की प्रथम कविता में ही पाया जा सकता है। प्रेम
जीवन है, प्रेम प्रभु है , प्रेम आनंद है ,
प्रेम जगत आधार है , प्रेम घृणा का शमन करता है, प्रेम मातृभूमि है ,
प्रेम वीरता का संबल है , प्रेम ममता है , प्रेम विश्वबंधुत्व है , प्रेम मैत्री है इत्यादि। ऐसे ही परिभाषित प्रेम को कवि ने
एक काव्यमाला के रूप में पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है।
मैंने अपना सब
कुछ अर्पित किया
नहीं कुछ तुमसे
है मैंने लिया
मेरे दिल का
द्वार खुला है सदा
मैं जलता दिया
हूँ - प्रतीक्षा में।। (तुम्हारी प्रतीक्षा में )
'पीहू पुकार' सरल सहज रूप में प्यार के विभिन्न रूपों में बिम्बित उन अनुभूतियों को अर्थ
प्रधान करती है जिनको कवि ने या तो स्वयं जिया है या उनके मानस पटल में मथ रही 'प्रेम' का मानव के जीवन में
महत्व को समझा है। सभी रचनायें हृदय से
स्फुटित गीत, मुक्तछंद , हाइकु , गीतिका जैसी विधाओं में रचित प्यार की
एक काव्यमाला है
अवगुणो से भरा मन
नर्मल से बना
पावन
वह देखो !
दानव प्रेम से
-मानव हुआ जाता है। (वह देखो )
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ये प्रेम प्यार
दिल का उपहार
तूने लौटाया (प्रेम रूप )
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कवि रविन्द्र
जुगरान की कवितायें मानव अनुभूतियों की ताज़गी का प्रमाण हैं जिनमे प्यार के
विचारों और छवियों से पाठकों को सामना करना पड़ता है। सभी रचनाएँ प्यार की अवधारणा पर केंद्रित
हैं जिनकी विविधता की सीमा को समझने और
पहचानने के लिए पाठकों को " पीहू पुकार " काव्यसंग्रह की हर कविता का
स्वाद चखना ही पड़ेगा ऐसा मेरा मानना है।
श्री रविन्द्र
जुगरान जी को मैं इस सृजन यात्रा के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ और कामना करता हूँ कि उनकी यह यात्रा हिंदी साहित्य
संसार में आशातीत सफलता प्राप्त करे।
त्रिभवन कौल
स्वतंत्र
लेखक-कवि
21-05-2018
काव्य संग्रह :- पीहू पुकार
रचनाकार :- रविन्द्र जुगरान
प्रकाशक :- अनुराधा प्रकाशन, दिल्ली
कीमत :- ५०/= मात्र
काव्य संग्रह :- पीहू पुकार
रचनाकार :- रविन्द्र जुगरान
प्रकाशक :- अनुराधा प्रकाशन, दिल्ली
कीमत :- ५०/= मात्र
Pintu Mahakul
ReplyDeleteMay 21 at 3:50pm
Lovable reaction given by a poet friend ever entourages for further poetic journey. A book gifted in love is a pretty book of memory. Receiving this by post is a great pleasure.
------------------------via fb/TL
Via fb/TL
ReplyDelete------------
Ravinder Jugran
May 28 at 11:08pm
सर्वप्रथम मै आदरणीय Tribhawan Kaul साहब जी को ह्दय से सादर प्रणाम कर, धन्यवाद देता हूं, जिन्होने - पीहू पुकार- का रसास्वाद कर , इसकी सारगर्भित समीशा अपने फेस बुक के पटल मे पोस्ट को प्रकाशित कर मुझ अकिंचन को सम्मान प्रदान कर अपना आशिष दिया, पुन: आदरणीय कोल साहब को नमन करता हुआ, उनके स्नेह का सदैव अभिलाषी रहूंगा।