Monday 21 May 2018

सशक्तिकरण


सशक्तिकरण

सुबह का धुंध में उसने बैग खोल कर  उसका चेहरा देखा  वह एक सोती हुई  मासूम नवजात कली थी।   "एक माँ इतनी 

निष्ठुर कैसे हो सकती है । ऐसी माँ को तो मार देना चाहिए।   बच्चे नहीं चाहिए तो बहुत तरीके है।  बहाव में तो कोई भी बह 

सकता है।  "  वह बड़बड़ता  रहा पर  उस मासूम को घर के अंदर ले आया।   तभी दरवाज़े पर आहट हुई।   उसकी बेटी 

राजी  खडी थी।   वह कभी अपने बाप को देखती कभी उस नवजात शिशु को।   वह सब समझ गया।  बीस साल पहले राजी 

को  भी तो कोई ऐसे ही छोड़ गया था।  .... लावारिस।   तब और आज, अगर कुछ बदला है तो एक माँ का दृढ़ निश्चय और 

समाज का सामना करने की शक्ति।   उसने बच्ची को राजी की गोद में ड़ाल दिया। 
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल 


2 comments:

  1. via fb/मन से लिखो कहानी (युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (न्यास)द्वारा संचालित)
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    Sudha Mishra Dwivedi 8:37pm May 21
    बहुत सुंदर

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  2. All comments via fb /मन से लिखो कहानी (युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (न्यास)द्वारा संचालित)
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    Sharda Madra 8:37pm May 21
    अति सुंदर
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    DrAtiraj Singh 8:37pm May 21
    अति सुंदर.....एक संदेश लिए हुए.... अद्भुत!
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    Anupam Alok 8:37pm May 21
    बहुत सुंदर व शिक्षाप्रद कथानक
    नमन आपको
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    Kviytri Pramila Pandey 11:48am May 23
    वाहहहहह अतिसुंदर
    काश! हर मां में इतनी शक्ति आ जाये और बेटी बच सके
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    ओम प्रकाश शुक्ल 7:56pm May 23
    सुन्दर कृति है सर, सादर अभिनंदन।
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