Winner takes
it all. No doubt about it. However I wonder how number of likes, views and
votes can dictate terms to boost a post to the top sometimes compromising with
the quality of a creation. It is my opinion that instead of asking a contestant
to seek votes and likes etc for their creations, organizers should appoint a
jury/judge of caliber. That will be a fair game indeed. Otherwise boosters are
readily available. This also applies to
all those sites who declare top trending authors/posts etc. solely on the basis
of number of likes, comments or views garnered by the post. Quality does take a
beating. Happy writing and reading.
विजेता ही सिकंदर। कोई संदेह नही। हालांकि मुझे आश्चर्य है
कि पसंद, अवलोकन और मतों की संख्या एक रचना किस प्रकार से सम्पूर्ण रूप से प्रथम , द्वितिय या ि
तृतय की गुणवत्ता को परिभाषित कर सकते हैं। कभी-कभी तो रचना की गुणवत्ता के साथ समझौता हो जाता है । मेरा
मत है कि प्रतियोगी को अपनी कृतियों के
लिए वोटों और पसंद करने के अनुरोध
करने के बजाय, आयोजकों को
एक गुणी /साहित्य मनीषियों को जूरी /
निर्णायक मंडल नियुक्त करना चाहिए। यह
वास्तव में सभी प्रतिभागियों के साथ न्याय
होगा। वर्ना पसंद, अवलोकन ,मत संख्या को प्रभावित करने के बहुत उपाय उपलब्ध
हैं। यह उन सभी साइटों पर भी लागू होता है
जो लेखकों / रचनाओं के लिए शीर्ष स्थानों
के ट्रेंड की केवल पोस्ट द्वारा प्राप्त पसंद, टिप्पणियों या अवलोकनों
की संख्या के आधार पर करते हैं।
गुणवत्ता शायद कहीं पीछे रह जाती है। सप्रेम।
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