दुपदी (Couplet)
किसी ने गर जो मेरे ग़म को तराशा होता
हम भी कोयले से वह हीरा बन गए होते
kisi ne gr jo mere gum ko tarasha hota
hum bhi koyle se wh heera bn gaye hote.
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त्रिभवन कौल /सबरंग/२०१०
त्रिभवन कौल /सबरंग/२०१०
comments via fb/TL between 15-17 December 2017
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Amit Kumar Mall
वाह
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Deepak Deep
बहुत खूब आदरणीय
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Vijay Mishra
बहुत खूब जी
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Arti Rai
Wahh
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Kviytri Pramila Pandey
वाहहहहह अतिसुंदर
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Ramkishore Upadhyay
वाह
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Narendra Verma
जबाब नहीं साहब, सुन्दर
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DrAtiraj Singh
बहुत सुंदर .....मनोभाव की अद्भुत अभिव्यक्ति.....
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Babu Ram Pradhan
क्या बात है
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Hema Pandey सर साहित्य जगत आपको हीरा ही समझता है क्योंकि आपने अपने आपको तराशा बहुत है।और तराशने का हुनर भी जानते हैआपके सानिध्य में न जानेकितने हीरे बनेगे। नमन करती हूँ आपको।
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Suresh Pal Verma Jasala
सुन्दर सार्थक कहन
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गुप्ता कुमार सुशील
December 18 at 2:16pm
वाह्ह् बेहद भावपूर्ण कहन आदरणीय🙏 जयहो स्वीकारें ...नमन.🌹
Raj Kumar Vishwakarma
ReplyDeleteDecember 19 at 3:31pm
Bahut khub
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