Thursday 13 October 2016

दो शब्द ... --रामकिशोर उपाध्याय,IRAS

"बस एक निर्झरणी भावनाओं की" कवि त्रिभवन कौल
दो शब्द ...
--रामकिशोर उपाध्याय,IRAS

कविता लिखना वास्तव में एक प्रकार की प्रसव -पीड़ा से गुजरना ही है | कवि लेखन के समय अनेक प्रकार के मानसिक ,सामाजिक और देश-काल के दबावों एवं भावनाओं के प्रवाह के मध्य से होता  हुआ अपनी अनुभूतिजन्य परिपक्वता से परिष्कृत होकर एक कविता को जन्म देता है बेशक कविता का प्रवाह औचक ही क्यों हो | कवि त्रिभवन कौल का प्रस्तुत कविता संग्रह" बस एक निर्झरणी भावनाओं  की" इसी प्रकार की 45 कविताओं  का पुष्पगुच्छ है जिसमे छंदमुक्त ,गीत,गीतिका /गज़ल,मुक्तक,चतुष्पदी और द्विपदी विधाओं के सतरंगी फूल है | कवि त्रिभवन कौल एक अनुभवी व्यक्ति है  अतः उन्होंने जीवन को बहुत निकटता से देखा और उसको अपनी रचनाओं में व्यक्त करने का सफल प्रयास किया |

'बेचारा आम आदमी ' से आरंभ हुई यात्रा इस संग्रह में मनोहारी द्विपदी रचनाओं पर जाकर विश्राम करती है | इसी बीच व्यवस्था चोट  करती हुयी और इतिहास के जीवंत पत्रों के माध्यम से 'बेचारा आम आदमी " की व्यथा को सुंदर ढंग से व्यक्त करते है | 'मन' में कवि अपने अंतर्मन की स्थिति  लिखते है |'ज़िन्दगी " में सत्य ,प्रेम और सम्मान की शाश्वत तलाशते है| नई पीढ़ी की कम समय में अधिक प्राप्ति की उत्कट अभिलाषा को रेखांकित करते हुए उन्हें देश प्रेम के प्रति सचेत और प्रेरित करते है| 'स्वयं नाशी ' में  वर्ष २०१२ की केदारनाथ  में हुयी त्रासदी को मानवजन्य बताते हुए एक मार्मिक चित्र खींचते है और ईश्वर को इसका दोषी बताकर मनुष्य को भविष्य में ऐसी त्रासदी के प्रति चेतावनी भी देते है |'व्यथा अंधकार' में ''थक गया हूँ भाग्यविधाता" कहकर खो रहे मानव -मूल्यों की खोज के प्रति उत्सुक कवि दिखाई पड़ते हैं |'नए युग की औरत ' में पुरुष  को स्त्री काया के प्रति और स्त्री को पुरुष -प्रेम पाने हेतु समर्पण की दो अलग धारणाओं के बीच केवल स्त्री के महत्वपूर्ण बताकर उसकी प्रतिष्ठा करते है |

कवि ने अपनी बात कहने के लिए सजीव बिम्बों का सहारा लिया है |''कबाड़ीवाला'' के माध्यम से मनुष्य को  मानसिक कचरे यथा लोभ ,मोह, क्रोध को इकट्ठा करने वाला बताया हैं |'जो बीत गई -बस बीत गई ' एक सुंदर गीत है जिसमे कवि कुछ करने का आव्हान करता है | 'खोज' में कवि शायद स्वयं को खोजता है | 'ईश की कामना' में ईश्वर को प्राप्त करने की कवि में अदम्य इच्छा भी उनकी कविताओं में प्रतिबिंबित होती है | पौराणिक मिथकों के सहारे कवि मर्यादित आचरण की कामना करते है | आदमी की तुलना वे पशु से करते हुए पशु को आज के आदमी से बेहतर बताते है |'बेशरम ' में वीर सैनिकों के सरहद पर सर काटे जाने पर राजनैतिक स्थिति पर अपना क्षोभ व्यक्त करते है | 'निर्भया','गौरया' 'नारी 'मर्यादा' कविताओं में नारी-सन्दर्भों को बड़ी ही निर्भीकता एवं  सुन्दर ढंग से उन्होंने उठाया है और उनकों बराबरी का स्थान देने की पुरजोर वकालत भी की हैउन्होंने नारी को समाज की एक कर्मठ मानव इकाई के रूप में देखा है |

उनकी गज़ले नुमा रचनाएँ -संवाद,कशिश, अहम्,आंधी की तरह,सुर्ख होंठ , जुदा -जुदा और गुजारिश में  उनके ह्रदय के कोमल अहसास बड़े अनूठे ढंग से व्यक्त हुए जिसे पढ़कर अवश्य ही आनंदित हुआ जा सकता है | इन गज़लों के कई अशआर तो कालजयी है और ग़ज़ल कहने का उन्होंने अपना अलहदा ही अंदाज बयां किया है | ज्यादातर ग़ज़ल तो ग़ज़ल के स्थापित मिज़ाज में ही है परन्तुतुमको आग क्यों लगीमें हमें खूब हंसाते है |

कवि त्रिभवन कौल का यह कविता - संग्रह उनकी सशक्त लेखनी का अप्रतिम उदहारण है | वे हिंदी और अंग्रेजी में साधिकार काव्य सृजन करते है | यह पुस्तक वास्तव में उनकी उदात्त भावनाओं की एक ऐसी निर्झरणी है जो उनके अंतर्मन से अवतरित होती है और पाठक से संवाद करती हुयी दोनों कूलों के मध्य द्रुत गति से बहती हुई  जीवन को उत्स की ओर ले जाने का प्रयास करती है |


"बस एक निर्झरणी भावनाओं की'' के प्रकाशन के अवसर पर मैं कवि त्रिभवन कौल को हार्दिक शुभकामना देता हूँ कि उनका यह अभिनव प्रयास सफल हो और मुझे आशा ही नहीं वरन विश्वास भी है यह संग्रह कविता के जानकर पाठकों में मध्य अपना एक विशिष्ट स्थान बनाएगा   और उनकी काव्य-सृजन यात्रा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा ,इसी सदिच्छा के साथ ...

पुनः अशेष शुभकामनायें ,
रामकिशोर उपाध्याय,IRAS
अध्यक्ष /युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच ,
248/7A, रेलवे अधिकारी निवास,पी.के.रोड,
नई दिल्ली -110001

=====================================================
http://www.amazon.in/dp/8193272102
_/\_दोस्तों 'बस एक निर्झरणी भावनाओं की' अब अमेज़न पर भी उपलब्ध है।




6 comments:

  1. Please check this link also. Thanks.

    https://goo.gl/u0VIgB

    ReplyDelete
  2. रश्मि जैन
    October 14 at 12:36pm

    निर्झरणी भावनाओं की ,सचमुच एक बेहतरीन काव्य संग्रह है एक ही पुस्तक में अनेक पद्य विधाओं का समावेश ,सभी रचनाए एक से बढ़कर एक , यानि गागर में सागर.. कवि श्री त्रिभवन कौल जी को अशेष शुभकामनाए..

    ReplyDelete
  3. Om Prakash
    आदरणीय बधाईजी
    October 14 at 8:30pm
    ------------------------
    Jai Krishna
    मेरी ओर से अनन्त शुभकामनाएँ ! आपके कवि-रूप को जितना मैं जानता हूँ उसके आधार पर मैं यह कह सकता हूँ कि आपकी कवितायें स्वार्गिक संवेदना का समाज पटल पर अवरोहण होती हैं . आज के समय में आप-सा मानवतावादी कवि दुर्लभ है .
    •October 14 at 10:02pm
    ---------------------------------via fb/TL

    ReplyDelete
  4. Ramkishore Upadhyay
    यह संग्रह वास्तव में पठनीय और संग्रहणीय है ,,बधाई आदरणीय
    October 13 at 11:56pm
    ------------------------------------
    ओम प्रकाश शुक्ल
    एक लाजवाब परिपूर्ण साहित्यिक कृति ।
    बहुत बहुत बधाई आदरणीय।
    October 14 at 12:32am
    --------------------------------------
    Om Prakash
    बहुत बहुत बधाई
    October 14 at 7:05am
    --------------------------------------
    Nanda Noor
    Mubarkbad jnb
    October 14 at 7:06am
    ------------------------------------
    Sanjay Kumar Giri
    हार्दिक बधाई आदरणीय
    October 14 at 8:46am
    -------------------------------
    Suresh Pal Verma Jasala
    सुन्दर कृति ,, सुंदर समीक्षात्मक लेख,,, कवि एवं समीक्षक दोनों को बधाई
    October 14 at 9:45am
    --------------------------------
    Omprakash Prajapati
    https://goo.gl/u0VIgB
    --------------------------via fb/TL

    ReplyDelete
  5. आदरणीय Ramkishore Upadhyay जी का हार्दिक आभारी हूँ जिन्होंने अपना बहुमूल्य समय निकाल कर मेरी पुस्तक में काव्यसंकलन के सम्बन्ध में एक समीक्षात्मक लेख लिखा। उनको भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं :)
    -------------------------------------------------

    ReplyDelete
  6. Ramkishore Upadhyay
    हार्दिक बधाई ..यह मंच अपने सदस्यों की पुस्तक खरीदकर पढने की एक स्वस्थ परम्परा का शुभारम्भ कर सकता है .........आये इस मुहिम को आगे बधाई अभी से ......
    October 16 at 10:40pm
    -----------------------------------------
    ओम प्रकाश शुक्ल
    निः संदेह पुस्तक खरीद कर ली जाएगी तो उसका सम्मान भी तभी होगा।
    अभिनन्दन है
    October 16 at 11:07pm
    ----------------------------------------
    Kviyatri Pramila
    पुस्तक ख़रीद कर लेना चाहिए
    October 17 at 7:24am
    ----------------------------------------
    Kailash Nath Shrivastava
    निःसन्देह किसी रचनाकार की पुस्तक को क्रय करके पढना रचनाकार
    के परिश्रम को सम्मान देना जैसे ही मानना चाहिये.. हमारे अपने मंच से
    सम्बद्ध मित्रगण ही अपने मित्र के श्रम का सही मूल्याँकन और सम्मान
    करसकते हैं.. भाई . मैं तो पुस्तक अवश्य ही क्रय करूँगा.
    October 17 at 8:28am
    -----------------------------------via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच

    ReplyDelete