Friday 21 October 2016

एक और आभार

मित्रों , मेरे काव्यसंग्रह 'बस एक निर्झरणी भावनाओं की ' में सर्वश्री सुधाकर पाठक जी, रामकिशोर उपाध्याय जी , सुरेश पाल वर्मा जसाला जी, और डॉ. पवन विजय जी जैसे साहित्य मनीषियों ने काव्यसंग्रह में अपने  अभिमत , दो शब्द ..., प्रसंगों की पावनता और   अनुभूतियों से अनुप्रमाणित  जैसे समीक्षात्मक आलेखों द्वारा इस काव्यसंग्रह की समस्त रचनाओं को एक संभल प्रधान किया है जिसके लिए में उनका नमन करता हूँ। 

इनके अतिरिक्त मैं विनर्मतापूर्वक एक और जानी पहचानी हिंदी साहित्य में पैठ रखने वाली प्रबुद्ध कवित्रयी एवं संपादिका (भाषा भारती)  डॉ.किरण मिश्रा जी का आभार प्रकट करना चाहूंगा जिन्होंने इस काव्यसंग्रह की पाण्डुलिपि पढ़ कर अपनी व्यक्तिगत राय  के रूप में काव्यसंग्रह को कश्मीरियत को समर्पित, सामयिक जवलंत विषयों पर रचित, ललित शैली से भरपूर, उत्कंठा को प्रेरित करनेवाला आधुनिक साहित्य सरिता में एक निर्मल निर्झरणी करार दिया था।  डॉ.किरण मिश्रा जी, आपकी प्रतिक्रिया को नमन करते हुए आशा करता हूँ की पाठकगण इस काव्यसंग्रह को आपकी कसौटी पर खरा उतरता पाएंगे। सस्नेह आभार। 
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_/\_दोस्तों 'बस एक निर्झरणी भावनाओं की' अब अमेज़न पर भी उपलब्ध है।

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1 comment:

  1. डॉ किरण मिश्रा
    लेखन की सार्थकता पाठक की पसंद है लेकिन मेरा मनना है कि उससे भी पहले लेखक की संतुष्टि है, 'बस एक निर्झरणी.... पुस्तक दोनों कसौटी पर खरी उतरी है आगे आप के अनुपम सृजन का इंतजार रहेगा। आप को उम्दा लेखन की बहुत-बहुत बधाई।
    October 21 at 8:47am
    ----------------------via fb/TL

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