Wednesday 12 October 2016

अभिमत :- सुधाकर पाठक

अभिमत
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सृष्टि द्व्न्दमयी है. जन्म-मृत्यु , दिन-रात, अन्धकार-प्रकाश, उष्ण-शीत, कटु-मिष्ट ,देव-दानव के इस संसार में प्रत्येक  तत्व शाश्वत है, प्रवाहमान है. प्रवाहमान होने के कारण सामजिक परिस्तिथियों के अच्छे बुरे सभी प्रभाव को अपने लेखन से समाज के सामने लाना कवि और साहित्यकार का नैतिक दायित्व है .

विषय की नवीनता और प्राचीनता के नाम पर आज काव्य जगत का घोर अनिष्ट होते हुए देख रहें हैं, वहां कुछ लोग ऎसे भी हैं जो युगनुरूप नवीन रचनाएँ अपनी लेखनी से प्रस्तुत कर साहित्य और समाज को एक नयी दिशा दे रहें हैं. उनमे एक नाम कवि एवं साहित्यकार कौल जी का भी हैं यथा :-

मंहगाई की मार, घोटालों की धमक
गिरते मूल्यों के बीच नोटों की चमक
रोष भरपूर है पर दोष किसे दूं
आम आदमी हूँ, मन की किसे कहूं

समकालीन एवं तत्कालीन घटनाओं का समावेश वह भी यथार्थ के धरातल पर ऐसा कम ही देखने को मिलता है . त्रिभवन कौल जी की काव्य रचनाएँ वेक्षिविक समस्याओं की ओर भी इशारा करती हैं मानो पाठकों को चेतावनी दे रहें हों यथा :-

शिव तांडव का रूप नया यह
प्राकृतिक आपदा का सवरूप नया यह
तबाही का मंज़र, कुदरती कहर है
मानवी भूलों का प्रतिशोध नया यह.

कौल जी की रचनाएँ जन कल्याण भावनाओं को लेकर चलती हैं और पाठकों के मन में भी कुछ ऐसी ही भावनाएं मन में रोपित करती हैं, तो कुछ रचनायें मन की सुकोमल अभिव्यक्तिओं को अतिशय आंदोलित करती हैं . ' बस एक निर्झरणी भावनाओं की ' पढ़ कर पाठकों को ज़रूर प्रतीत होगा कि यह उनकी ज़िंदगी के अधिकतर अंश हैं जो काव्य के रूप में पुस्तक में स्थापित हैं. सुगम किन्तु सचेत लेखन ही पाठकों  के
अंतकरण में जिज्ञासा और प्रश्न का संचार करेगा, ऐसा मेरा सोचना है.

जीवन के आधारभूत मूल्यों को टटोलते एवं इंसान के अंतर्मन और उसकी वेदना को समझते इस सुगम और सोचनीय लेखन के लिए मेरी कवि एवं काव्य को शुभकामनायें.

ज़िंदा हैं जब तक लिखते हैं तब तक, कोई कद्र नहीं करता ?
मरते हैं जब कहते हैं सब , ऐसा अब कोई और नहीं लिखता.

सुधाकर पाठक
कवि एवं साहित्यकार
सदस्य हिंदी अकादमी , दिल्ली
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http://www.amazon.in/dp/8193272102


_/\_दोस्तों 'बस एक निर्झरणी भावनाओं की' अब अमेज़न पर भी उपलब्ध है। 






2 comments:

  1. Suresh Pal Verma Jasala वाहहहहह हार्दिक बधाई
    October 12 at 3:03pm
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    Omprakash Prajapati
    https://goo.gl/u0VIgB
    ------------------------------via fb/TL

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  2. आदरणीय सुधाकर पाठक जी का हार्दिक आभारी हूँ जिन्होंने अपना बहुमूल्य समय निकाल कर मेरी पुस्तक में काव्यसंकलन के सम्बन्ध में एक समीक्षात्मक लेख लिखा। उनको भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं :)

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