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चौराहे पर देखिये कुछ चहरे
सताए
मासूम बचपन भी हैं सब वे भुलाए
समाज की हैं वे कुछ बुझी शमाएं
चलो मिल कर चंद शमा जलाएं
I
Chaurahon pr dekhiye kuch
chahre sataaye
Maasoom bachpan bhi hain
sab ve bhulaaye
Smaaj kee hain ve kuch
bujhi shamaayen
Chalo mil kr chand shama
jaalaayen
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन
कौल
Sharda Madra
ReplyDeleteचित्र को सार्थक करती अत्यंत सुंदर रचना।
June 22 at 8:20pm
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Ashok Sahni
वाह
June 22 at 8:30pm
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अलका गुप्ता
वाह्ह्ह अति सुन्दर..चित्र को सार्थकता प्रदान करते हुए ..विचारणीय भाव पूर्ण रचना हेतु ...आपकी कलम को सादर नमन आदरणीय ...सादर वन्दे !
June 22 at 8:32pm
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Ashwani Kumar
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्।
June 22 at 8:33pm
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Vishwambhar Shukla
स्वागतम सहर्ष आदरणीय , बहुत सुन्दर और प्रेरक सन्देश युक्त कृति को नमन _
समाज की हैं वे कुछ बुझी शमाएं
चलो मिल कर चंद शमा जलाएं I
June 22 at 11:00pm
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Neelam Hasteer
खूबसूरत संदेशात्मक सृजन , वाहह
June 23 at 3:47pm
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गुप्ता कुमार सुशील
उत्तम चिंतन से उपजी सार्थक भाव दर्शाती रचना आदरणीय......सादर नमन |
June 23 at 11:13pm
==========================================via fb/Muktak lok