चेहरे
की आभा, मुखरित हो कुछ कहती है
केशों
की भाषा, पुलकित हो कुछ कहती है
सौंदर्य
को तराश सीरत की आँखों से
आशा
नैनों की, रोमांचित हो कुछ कहती है
chahre kee aabha, mukhrit ho kuch kahti hai
keshon kee bhasha, pulkit ho kich kahti hai
saundry ko taraash seerat kee aankhon se
aasha naiyno kee, romanchit ho kuch kahti hai
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल
अरुण शर्मा
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह् बेहतरीन सर जी ।
सादर नमन ।
May 24 at 9:37pm
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Mona Singh
वाणी मेरी वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् कहती है।अतीव सुंदर आदरणीय
May 24 at 9:52pm
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Ramkishore Upadhyay
सौंदर्य को तराश सीरत की आँखों से
आशा नैनों की, रोमांचित हो कुछ कहती है---बहुत सुंदर आदरणीय
May 24 at 10:15pm
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Bindu Kulshrestha
वाह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह् बहुत खूब सूरत आदरणीय
May 24 at 10:52pm
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Shipra Shilpi
वाह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्
बहुत ही सुन्दर
अद्भुत ,अनुपम ,अप्रतिम सृजन
May 25 at 1:52am
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Chandrawati Nageshwar
अति सुंदर सृजन
May 25 at 7:46am
================== via fb/Yuva Utkarsh Sahityk Manch
Date & Time: 6/26/2016 2:35:00 AM
Poem: 46103548 - चतुष्पदी (Quatrain)In Hindi
Member: Rajnish Manga
Comment: प्रेम में पगी भावनाओं की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. कई भाषाओं में आपको महारथ हासिल है, कौल साहब. धन्यवाद.
======================================via poemhunter