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दिनांक 29 सितम्बर
2018 हिंदी भवन, दिल्ली में पर्पल पेन युवा द्वारा आयोजित तृतीय वार्षिकी
के उपलक्ष्य में सम्मान समारोह एवं काव्य गोष्ठी का एक भव्य कार्यक्रम "जश्न ए अलफ़ाज़" संम्पन्न हुआ।
समारोह के विशिष्ठ अतिथिगण राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त कवि
/ग़ज़लकार आदरणीय बाल स्वरूप राही जी, जनाब सीमाब सुल्तानपुरी जी , आदरणीय लक्ष्मी शंकर
बाजपेयी जी और जनाब मलिकज़ादा जावेद जी रहे।
इस कार्यक्रम की शुरुआत पर्पल पेन की संस्थापिका एवं निर्देशिका सुश्री
वसुधा कनुप्रिया ने पर्पल पेन के
उद्देश्यों और साहित्यक कार्यकलापों से सभागार में बैठे आमंत्रित रचनाकारों को
अवगत कराया। इसके उपरांत संचालक श्री त्रिभवन कौल ने आदरणीय बाल स्वरुप राही जी को
समारोह के अध्यक्ष के रूप में और अन्य विशिष्ठ अतिथियों को मंचासीन होने का निवेदन
किया। विशिष्ठ अतिथियों के मंचासीन के बाद सुश्री वसुधा कनुप्रिया ने सभी
विशिष्ठ अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र और
उपहार दे कर किया। श्रीमती पुष्पा राही जी और श्रीमती फौज़िया जावेद जी जावेद
जी को सम्मानपूर्वक पौधों के गुलदस्ते भेंट किये गए।
सम्मान समारोह में
पर्पल पेन द्वारा कला, मीडिया, साहित्यिक संस्थाओं आदि के माध्यम से साहित्य की सेवा करने
वाले गुणीजनों सर्वश्री डॉ. बृजपाल सिंह
संत जी , डॉ. देव नारायण शर्मा जी , विजय पंडित जी , सुरेशपाल वर्मा जसाला जी
और और कालीचरण सौम्य जी को "साहित्य
साधक सम्मान " से सम्मानित किया
गया। पर्पल पेन पटल पर सक्रिय सहभागिता
एवं संचालन व उत्कृष्ट रचनाधर्मिता निभाने वाले सदस्यों श्री त्रिभवन कौल जी और सुश्री रजनी रामदेव जी को और उनकी विशिष्ट
साहित्यिक सेवा के लिए पर्पल पेन द्वारा 'साहित्य सेवी सम्मान' से सम्मानित किया गया।
सभी सम्मानित गुणीजनों को अंगवस्त्र , पर्पल पेन ट्रॉफी और
प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह में आमंत्रित कवियों का
भी स्वागत किया गया जिनमे सर्वश्री / सुश्री
रामकिशोर उप्पध्याय जी , डॉ. चंदरमणि ब्रह्मदत्त जी , पुष्पा सिंह विसन जी , प्रेम बिहारी मिश्र जी , बबली वशिष्ठ जी , अशोक कश्यप जी , असलम बेताब जी , अहमद अली बर्की आज़मी जी , ओमप्रकाश प्रजापति जी , ओमप्रकश शुक्ल जी और काज़ी तनवीर जी प्रमुख रहे।
सम्मान समारोह के उपरांत एक अविस्मरणीय काव्यसंध्या का आगाज़
हुआ जिसका अंत विशिष्ठ अतिथियों के द्वारा अपने बेहतरीन काव्य पाठ से, ग़ज़लों से तो हुआ ही , उत्तर प्रदेश, हरियाणा , दिल्ली क्षेत्रों से आये
४८ कवियों- कवित्रियों - ग़ज़लकारों ने सारे समारोह को जैसे हाईजैक कर लिया । एक के
बाद एक रचनाकार और ग़ज़लकार आते गए और सभागार में उपस्थित सभी श्रोताजनों को काव्य
की सतरंगी होली से सराबोर कर दिया। सुश्री /सर्वश्री डॉ. बृजपाल सिंह संत , डॉ देव नारायण शर्मा , सुरेश पाल वर्मा जसाला , काली शंकर सौम्य , रामकिशोर उपाध्याय , डॉ चंद्रमणि दत्त , विवेक आस्तिक , इब्राहम अल्वी , ओमप्रकाश शुक्ल , निवेदिता मिश्रा झा , अहमद अली बर्की आज़मी , सुनील कुमार , जगदीश मीणा , मनोज कामदेव , डॉ सुषमा गुप्ता , सुनील कुमार सुमन , रवि शर्मा , आशीष सिन्हा कासिद , जगदीश भारद्वाज , जावेद अब्बासी , अशोक कश्यप , ए एस अली खान , प्रेम बिहारी मिश्र , त्रिलोक कौशिक , डॉ मिलन सिंह , चश्मा फारूकी ,काज़ी तनवीर , राम लोचन , रविंदर जुगरान , बबली वशिष्ठ ,रवि ऋषि , विवेक चौहान , अभिषेक अम्बर , डॉ. इंदिरा शर्मा , रेखा जोशी , वंदना गोयल , पंकज शर्मा , मीनाक्षी भटनागर , सूक्ष्म लता महाजन , निशि शर्मा , नीलोफर नीलू , अरविन्द कर्न , रजनी रामदेव, प्रवीण अग्रहरि के साथ
साथ विशिष्ठ अतिथियों आदरणीय सर्वश्री बाल
स्वरुप राही जी , सीमाब सुल्तानपुरी जी , लक्ष्मी शंकर बाजपेयी जी, मालिकज़ादा जावेद जी और
श्रीमती पुष्पा राही जी की ग़ज़ल
का कोई शेर , गीत की कोई पंक्ति , छन्द - मुक्तछंद की गहराई जब भी श्रोताओं के दिल को छु जाती तो
सभागार तालियों से गूँज उठता। कुछ उपलब्ध अशआर/ काव्यांश पेश हैं :-
क्या करना बारीक बात कर , हलके फुलके स्वर में गा
इस कमरे से उस कमरे तक , साथ घूमती लेकर चाबी का
गुच्छा। ( पुष्पा राही )
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बनाते सभी आये हैं हैवान को इंसान
मैं इंसान को इंसान बनाने चला हूँ। ( बाल स्वरूप राही )
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तौह्फे में जो कटे शीश बेटे के जो पेश किये
कहा आप दोनों को यह
एक एक फूल है
चौंके तो ज़रूर किन्तु शांत होके बोले ज़फर
हरकत आपकी यह बिलकुल फ़िज़ूल है
देश के लिए हुए हैं कुर्बान बेटे मेरे
और कुर्बान होना मेरे असूल है
जंग यह रहेगी जारी कह दो लंदन से
हमें आपका यह तोहफा कबूल है। (लक्ष्मी शंकर बाजपेयी )
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बेहतर था सीख लेते कोई
हाथ का हुनर
पढ़ लिख कर मेरे बच्चे भी बेकार हो गए। (मलिकज़ादा जावेद )
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ग़ज़ल में कोई फ़नकारी नहीं
अगर लहज़े में कोई चिंगारी नहीं। (मलिकज़ादा जावेद )
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खो गयी कहीं , मेरी नज़र का क्या है
इसने ख्वाबों के अलावा देखा क्या है। (सीमाब सुलतानपुरी )
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स्वर भी नये हैं कुछ पुराने भी
और उसी के साथ सजे हैं
बहुत से साज
आज इस महफ़िल में हो रहा है
जश्ने अलफ़ाज़।
(रामकिशोर उपाध्याय )
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घृणा का पर्याय बने जो , क्यों खौफ नहीं है भारत
में
ठोको कीलें उन छाती में , जो खून बहाये भारत
में। (सुरेश पाल वर्मा जसाला )
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इस शहर में बस दो ही किरदार मिले हमको
कुछ लोग तमाशा हैं कुछ लोग तमाशाई। ( रवि ऋषि )
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कि ग़ज़लगोई इबादत सी लगे है
ग़ज़ल रब की इनायत सी लगे है। (जगदीश भारद्वाज )
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प्यार का जब इज़हार हुआ है
प्यार तभी से प्यार हुआ है। ( जावेद अब्बासी )
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जिन लोगों ने बस जय बोली
पुरुस्कार पर उनका काबिज़ होना ही था। ( त्रिलोक कौशिक )
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ग़मो को दिखाने की कोशिश न करना
ख़ुशी को छुपाने की कोशिश न करना। (चश्मा फारूखी )
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ऐसे वैसों की बात मत करना , अपने पैसों के बात मत
करना
हमने पैसे बहुत कमाये हैं , हमसे पैसों की बात मत
करना। (असलम बेताब )
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सभी कवियों को , ग़ज़लकारों को इस अवसर पर काव्य पाठ करने हेतु 'शब्द शिल्पी ' सम्मान से सम्मानित किया गया।
इस शानदार समारोह का
अंत विशिष्ठ अतिथियों द्वारा केक काट कर और पर्पल पेन की संस्थापिका सुश्री वसुधा
कनुप्रिया द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। पूरे समारोह का संचालन त्रिभवन कौल और अरविन्द कर्न ने किया जिसकी सभी ने भूरि भूरि प्रशंसा
की।
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by Tribhawan Kaul