पच्चीसवीं लड़की
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२३ वर्षीय राधिका ने समाचार पत्र खोला और चाय की चुस्कियों के साथ विज्ञापन का पृष्ठ पढ़ने लगी। उसकी दृष्टि एक पांच पंक्तियों के विज्ञापन पर स्थिर हो गयी। पास में पड़ा मार्कर उठाया और उस विज्ञापन को चिन्हित कर दिया। कुछ देर तक वह सोचती रही और फिर अपने मोबाइल से उसने विज्ञापन में दिए गए नंबर पर फ़ोन कर दिया।
" नमस्कार। सतरंगी फिल्म्स " उधर से एक लड़की की आवाज आयी।
" जी , मैं राधिका। आप की कंपनी का विज्ञापन देखा। " राधिका थोड़ा हिचकिचा के बोल रही थी।
" किस लिए फ़ोन किया ?"
" जी, मैं फिल्मों में काम करना चाहती हूँ। एक्टिंग में सिल्वर मैडेलिस्ट हूँ।
" कितने साल की हो ?"
" जी, २३ साल की "
" शादीशुदा हो या कुँवारी ? "
" जी, कुँवारी "
राधिका को ऐसा लगा कि जैसे उधर वाली लड़की किसी से कुछ कह/ पूछ रही हो।
" हाँ। ठीक है। तुम अपना पूरा पोर्टफोलियो इ-मेल कर दो । मैं तुमको हमारे कास्टिंग डायरेक्टर का नंबर देती हूँ, वह अभी वयस्त हैं। तुम उनको बाद में फ़ोन कर लेना । फिल्मों की कास्टिंग वही करते हैं।" लड़की ने फ़ोन नंबर राधिका को लिखवाया और फ़ोन रख दिया।
राधिका ने फ़ोन नंबर समाचार पत्र पर ही लिखा अपनी दिनचर्या में लग गयी। यधपि वह यू पी एस सी की आई ए एस की परीक्षा में उत्तीर्ण हो गयी थी और कल ही उसको ग्रुप बी में प्रशासनिक कैडर आबंटित किया गया था वास्तव में उसका मन फ़िल्मी संसार में पैर जमाने को तरस रहा था।
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राधिका एक महत्वकांक्षी और मेहनती लड़की थी। आम लड़कियों की तरह वह भी फिल्मों के मोहक आकर्षण से अछूती नहीं थी। आरम्भ से ही अपने कार्यरत अभिभावकों से दूर होस्टल में पढ़ाई करने वाली राधिका, अपने जीवन के निर्णयों को खुद ही लेने में समर्थ थी। स्नातक तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल आफ ड्रामेटिक्स से डिप्लोमा प्राप्त किया और साथ ही साथ यू पी एस सी की परीक्षा में उर्तीर्ण हो कर प्रशासनिक कैडर के लिए साक्षात्कार दे कर आयी थी। लेकिन उसकी प्रथम प्राथमिकता फिल्मो में अभिनय और मॉडलिंग की ही थी।
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राधिका ने अपनी दिनचर्या समाप्त की और अपने अम्मा पापा से बात कर उसने सतरंगी फिल्म्स के कास्टिंग डायरेक्टर को फ़ोन मिलाया। काफी देर तक मोबाइल की रिंगटोन बजती रही पर उधर से किसी ने भी फ़ोन नहीं उठाया। वह कुछ हताश हो कर सतरंगी फिल्म्स को फ़ोन करने वाली ही थी कि उसका मोबाइल बज उठा। उसने सोचा कि कास्टिंग डायरेक्टर का फ़ोन होगा पर स्क्रीन पर अनजान नंबर था।
" हेलो राधिका " उधर से एक गहरी सी आवाज़ में कोई बोला।
" जी , बोल रही हूँ "
" मैं, उमेश मोदक , सतरंगी फिल्म्स का कास्टिंग डायरेक्टर "
" जी, जी। मैं आपको ही मिला रही थी। पर यह नंबर ?"
" यह मेरा पर्सनल नंबर है। इसको सेव कर लो। कल सुबह १० बजे मेरे कार्यालय पर पहुँच जाना। एड्रेस लिख लो। "
राधिका ने तुरंत ही पेपर पर एड्रेस लिख लिया। उसने बात करने की कोशिश की पर फोन कट चुका था।
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राधिका ने एक बार पता पढ़ा और उसको याद कर लिया। १०, लालचौक। विज्ञापन और फिल्मो के निर्माण से सम्बंधित प्रसिद्ध चौक था। छोटे बड़े निर्माता निर्देशकों के छोटी बड़ी गलियों में छोटे बड़े कार्यालय। मॉडलिंग, अभिनय के शौकीन हर आयु के आकांक्षी जगह जगह दिखाई दे रहे थे। राधिका ने एक ऐसे ही उम्मीदवार से पता पूछा तो उसने अपने आपको एक संकरी सी गली में बने एक मकान के सामने पाया। कोई नाम पट्टिका नहीं थे सो वह दरवाज़े की घंटी बजाने को तत्पर हुई तो दरवाज़ा खुल गया।
" आईये , मैं आपका ही इंतज़ार कर रहा था " एक लम्बा चौड़ा तोंदू मुच्छड़ व्यक्ति राधिका के सामने खड़ा था।
"जी , में उमेश मोदक जी से.................................. "
"हाँ हाँ वह भी अभी आ रहें है। मेरा नाम जोरावर सिंह है। आपके साथ कोई और भी है क्या ?"
"जी नहीं में अकेली हूँ "
वह मुच्छड़ हँसा। " पहली बार देख रहा हूँ कि उमेश से मिलने कोई बगैर किसी को साथ लिए आयी है "
राधिका कुछ बोली नहीं।
कमरा काफी बड़ा था। दो कमरे और एक बड़ी आर्क लाइट भी एक कोने में रखी हुए थी। दीवारे भिन्न भिन्न आकारों के चौखटों में कैद नए पुराने अभिनेत्रियों -अभिनेताओं के छाया चित्रों से सजी हुई थी। कुछ फ़िल्मी पोस्टर भी लटके हुए थे। जोरावर ने उसे सोफे पर बैठने का इशारा किया और खुद सामने की टेबल पर बैठ गया। एक युवती अंदर वाले कमरे से अपने कपड़े संभालते निकली और उसके साथ ही ब्रांडेड कुरता पायजामा पहने एक व्यक्ति भी। दोनों राधिका को देख कर पहले तो हुचंक से गये पर व्यक्ति ने युवती के पीछे एक धौल मारा और हँसने लगा और राधिका की ओर इशारा कर कहा, " कल को यह लड़की भी हमारी फिल्म की हीरोइन बन सकती है अगर यह चाहे तो। "
युवती ने उसे घूर कर देखा तो वह जोर जोर से हँसने लगा। उसको हँसता देख मुच्छड़ भी हंसने लगा। युवती ने मुस्कुरा कर उसे हवाई चुंबन दिया ।
" उमेश जी, तो मेरा पक्का ना। यह रोल मेरे हाथ से जाना नहीं चाहिए। " युवती ने राधिका को देख कर जोर से बोली ।
" फिकर नहीं , बेबी , फिकर नहीं। अब सब मेरे हाथ है। उमेश नाम है मेरा , जिसका सिक्का चलता है इस बाजार में " वह व्यक्ति भी ज़ोर से बोला फिर दोनों जोर से हँस पढ़े। बेबी ने उमेश को गले लगाया, चुंबन का आदान प्रधान हुआ और राधिका को बाय का इशारा कर बाहर निकल गयी। जोरावर सिंह टेबल से उतर कर सामने बैठ गया। उमेश मोदक भी अपनी ऑफिस कुर्सी पर बैठ गया।
राधिका को सामने बैठने को कहा गया। राधिका के माथे पर पसीना आ गया।
" और एक्टिंग का चस्का पाल। टीज़र तो दिखा दिया ना। अब निपट।" राधिका मन ही मन सोच रही थी।
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" हाँ तो तुम राधिका हो। तुम्हारा पोर्टफोलियो देखा। ठीक ठाक है। तुम्हारे साथ कोई नहीं आया ?" उमेश ने अपनी आँखें राधिका पर स्थिर कर सिगरेट सुलगा कर पुछा .
"जी नहीं। मैं अकेली हूँ। "
" हूँ। गट्स हैं तुम में। पर मैं तो जब से # मी टू का सिलसिला चालू हुआ है , फूँक फूँक कर कदम रखता हूँ। " उमेश ने सिगरेट का धुँवा राधिका की और छोड़ते हुए जोरावर से बोला , " मैडम को बुला रे अंदर से। कितनी बार कहा है की जब कोई लड़की यहाँ आये तो किसी महिला का यहाँ होना ज़रूरी है। "
जोरावर ने मोबाइल पर किसी से बात की। थोड़ी देर में अंदर से ही एक स्त्री निकली तो किसी फिटनेस जिम की ट्रेनर लगती थी।
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" यह है हमारी स्टंट डायरेक्टर , फिरोज़ा अली। " उमेश ने फिरोज़ा को बैठने का इशारा किया। फ़िरोज़ा ने भी अपनी जेब से सिगरेट निकली और लाइटर के लिए उमेश की सिगरेट से सिगरेट जलाने की बहाने उसके होंठो को भी अपने होंठों से छू लिया जिसे राधिका ने अनदेखा कर दिया।
" हाँ तो राधिका। मैं सीधा मुद्दे पर आता हूँ। फ़िल्मी ,टीवी और मॉडेलिंग दुनिया में मैं अपनी गहरी पैठ रखता हूँ। बहुत से समझौते करने पड़ते हैं। यह तुम तक है की तुम किस हद तक जा सकती हो और क्या क्या कर सकती हो ?" । " उमेश रुक गया और राधिका को सिगरेट का धुआं उड़ाते हुए घूरता रहा।
" कैसे समझौते ? मैं आपको अपनी योग्यता का अभी प्रमाण दे सकती हूँ। कोई भी स्क्रिप्ट दीजिये फिर मेरी डायलॉग डिलीवरी और एक्टिंग देखिएगा।" राधिका बड़े आत्मविश्वास से बोली।
"इस लाइन में अगर अनावृति चाहती हो तो अपने आत्मसम्मान को शरुआत के चंद सालों तक दरकिनार कर एक्सपोज़ तो होना पड़ेगा" उमेश ने उसकी छाती पर नज़र टिकाते हुए कहा।
" आपका मतलब कास्टिंग काउच से है ? " राधिका ने उसकी आँखों से आँखें मिला कर पूछा।
उमेश जोर से हंस पड़ा। "कास्टिंग काउच तो कुछ भी नहीं है। वह क्या कहते हैं अंग्रेजी में, यह तो टिप ऑफ़ दी आईस बर्ग है "
जोरावर और फिरोज़ा दोनों हँस पढ़े।
"मतलब साफ़ है। यदि तुम मौका प्राप्त करना चाहती हो, इस गलैमर की दुनिया में पैसा और नाम कमाना चाहती हो तो तुम्हे इस ओर के संसार में हर उस व्यक्ति से जुड़ना पड़ेगा जो फिल्म या सीरियल के निर्माण में , उसके निर्देशन में , कलाकारों के चयन में अपना प्रभुत्व रखते हैं। उनके विचारों और मांगों के साथ साथ विशिष्ट पर अदृश्य रिश्तों का निर्वाह भी तुमको करना पड़ेगा। पेज तीन का तड़का भी सहना पड़ेगा। "
राधिका समझ कर भी कुछ ना समझने का दिखावा तो कर रही थी पर वह अब थोड़ा चिंतित सी हो गयी थी। 'शायद यह लोग किसी को चुन चुके हैं इसीलिए यह मुझे डरा रहे हैं या यह लोग सच में ही सच का आईना दिखा रहें हैं।'
एक असमंजस की स्थिति में होते हुए भी राधिका बोली , "देखिये उमेश जी। मुझे अपने और एक्टिंग योग्यता पर पूरा भरोसा है। बस एक मौका मिलना चाहिए।"
उमेश ने सर हिलाया, " ठीक है।लेकिन मैं आगाह कर दूँ। आरंभ में तो सी या बी ग्रेड की फिल्मो से ही संतोष करना पड़ेगा। अधिकतर यह फिल्में वयस्कों के लिए ही होती हैं। ऐसी फिल्मों में तुमने अपने अंतर्बन्धनों को, अपनी अंतरात्मा की आवाज जो दबा कर फिल्म की कहानी और चरित्र के अनुरूप ही अपने आप मैथुनिक स्थिति या अर्धनग्न रूप में भी को प्रस्तुत करना पड़ सकता है। साथ में सभी को खुश भी रखना पड़ेगा। । तुम समझ रही हो ना मैं क्या कहना चाह रहा हूँ।" उमेश ने राधिका की ओर देखा।
"आप साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहते कि फिल्मो में, टीवी में कार्य तभी मिल सकता है जब मैं इन से संबंधित सभी को खुश कर सकूँ जिसका दूसरा अर्थ यह हुआ की मैं इस सब से यौन सम्बन्ध स्थापित करूँ।"
राधिका के इस सीधे प्रश्न ने सभी को चौंका दिया। तीनों ने एक खिसयानी सी मुस्कुराहट के साथ अपने सर हिला दिए।
" तुम ठीक समझी हो। 'हैश टैग मी टू ' अभियान में तो बड़ी से बड़ी हीरोइनों ने कास्टिंग काउच का खुलासा कर दिया। और तो और एक मशहूर कोरिओग्राफर ने तो साफ़ ही कह दिया कि फिल्म इंडस्ट्री में अगर समझौते करने पड़ते हैं तो वह जीविका भी देती है। कहा है कि नहीं।“
उमेश ने अपने दोनों साथियों से पूछा तो दोनों ने अपने सर उसकी हामी में हिला दिए।
" मेरे हाथ में कई निर्देशक और निर्माता हैं जिनकी आर्ट फिल्मो के प्रोजेक्ट किसी वाजिब हीरोइनों के ना मिलने से अटके पड़े हैं। अगर तुम चाहो तो बैगैर किसी ऑडिशन और स्क्रीन टेस्ट के केवल मेरे कहने पर वह तुम को लेने को तैयार हो जायेगें। बशर्ते कि............... "
राधिका उठ खड़ी हो गयी। उसका चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था। उमेश पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
" बैठो। तुम नहीं करोगी तो कोई और कर लेगा। हज़ारों लालायित हैं, समझी तुम , हज़ारों इस लाइन में आने को कुछ भी यानी कुछ भी करने को तैयार हैं। केवल एक ब्रेक की तलाश है उनको। यहाँ प्रतिभा को बाद में परखा जाता है , सबसे पहले तो सौंदर्य और शरीर की रेखाओं को नापा जाता है। यह दुनिया ही ऐसी है। चाहे फिल्म हो , टीवी हो या मॉडलिंग। जब तक नाम नहीं होता तब तक 70 प्रतिशत युवकों और युवतियों का शोषण होता है अब चाहे वह शारीरिक हो , मानसिक हो या फिर आर्थिक । अरे कल के एडल्ट फिल्मो के सितारों की भी आजकल बहुत साख़ है, सम्मान है। " उमेश कहता गया। "और मान लो तुम फिल्मो में, टीवी में फ्लॉप हो गयी तो और भी कई रास्ते हैं पैसा बनाने के लिए। मॉडलिंग की पूरी दुनिया है। एस्कॉर्ट सर्विस का भी चलन है। इनके एजेंट ,दलाल बहुत मिलेंगे। बस यह तुम्हारी इच्छा पर निर्भर करता है कि वास्तव में तुम क्या चाहती हो। किसी बड़े घराने से या फ़िल्मी बिरादरी से तो तो हो नहीं जो चाँदी का चम्मच मुँह में ले कर घूम रही हो। इस संसार में भावनाओं की कोई जगह नहीं है। जब तक तुम पूर्ण रूपेण से स्थापित ना हो जाओ तुम्हारे शारीरिक वक्रों का महत्व तुम्हारी प्रतिभा पर हमेशा भारी पड़ेगें। “
"उमेश जी सही कह रहें हैं। जिसने इस संसार में समझौता कर लिया उसी ने बिल्ली मार ली।" फ़िरोज़ा ने राधिका के कंधे पर हाथ रख कर कहा।
“ ठीक है। मैं आपको कल तक अपना निर्णय बता दूँगी।" राधिका ने फिरोज़ा का हाथ अपने कंधे से झटक दिया और चलने को तत्पर हुई तो उमेश उसके बिलकुल सामने आ गया जैसे वह उसका रास्ता रोक रहा हो।
"सोच समझ कर निर्णय लेना, राधिका। यह भी चेता दूँ कि ग्लैमर की दुनिया से जुड़े सभी लोग बुरे नहीं होते पर होते ज़रूर हैं। भाग्यवश तुम्हे कोई गॉडफादर मिल गया या गॉडमदर मिल गयी तो समझो तुम्हारा जीवन बन गया पर भाग्य के भरोसे रहना एक जुआ खेलने के बराबर है "
राधिका कुछ नहीं बोली पर वह अब एक असुविधा सी महसूस करने लगी थी।
उमेश बोलता चला गया , "यह दलदल है। यह भी सही है कि कमल भी यहीं खिलते हैं। पर कमल को दलदल में ही पनपना पड़ता है। खिलना पड़ता है। मौका केवल एक बार ही मिलता है। दलदल में रहने का और….. " वह चुप हो गया। राधिका के साथ उसके उपस्थित साथी भी गौर से सुन रहे थे।
" और ?" राधिका के मुँह से स्वयं ही यह शब्द निकल गया
"और दलदल में जान बूझ का ना धंसने का " उमेश ने बहुत ही गंभीरता से कहा।
राधिका ने वहां से निकलने में ही भलाई समझी। उसका निश्चय इस ठाठ बाठ के आकर्षण वाली दुनिया में जाने का कुछ हद तक टूट चुका था। उसने एक प्रकार से उमेश को धक्का सा दिया और दरवाजे से बाहर निकल गयी। इस शोषण की दुनिया से अच्छी तो नियमित आय वाली प्रशासनिक नौकरी ही उसको ठीक लगी।
" अपना निर्णय मुझे कल तक बता देना, राधिका। तुम जैसी बहुत खड़ी है कतार में।" उमेश की आवाज उसके कान में गूंजती रही।
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उमेश बैठा सिगरेट के कश लगा रहा था। फ़िरोज़ा कंप्यूटर पर पिक्चर देख रही थी। एक कोने में बेबी भी बैठी थी जो कल उमेश के साथ कपडे संभालते हुए निकली थी। जोरावर सिंह एक अन्य लड़की द्वारा भेजा गया पोर्टफोलियो देख रहा था। उमेश का मोबाइल बज उठा। मोबाइल पर नंबर देख कर उमेश के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
"राधिका है" वह ज़ोर से बोला और फ़ोन को स्पीकर पर रख दिया।
"हेलो। उमेश हियर "
"मैं, राधिका। मैं आपको बता हूँ कि मैं अब फ़िल्मी दुनिया में नहीं आना चाहती। हैलो हैलो....... " उमेश ने मोबाइल बंद कर दिया और मुठ्ठी बंद कर चिल्लाया " यस , यस , यस "
फ़िरोज़ा , ज़ोरावर और वह लड़की भी जोर से चिल्लाये, " किला फतह।" चारों ने एक दुसरे से हाथ मिलाया। चारों ऐसे खुश थे जैसे उनकी किसी फिल्म ने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हों।
" इस लड़की ने तो हमारी सिल्वर जुबली मनवा दी " फ़िरोज़ा बोली।
" हाँ, यह मेरी पचीसवीं बहन है, जिसको हमने इस दलदल में गिरने से बचाया है। " उमेश बोला पर उसका गला रुंध गया। आँखों में आँसुंओं की परत दिखाई देने लगी। सभी की आँखे नम हो आयीं। टेबल पर पड़ी अपनी बहन की फोटो को देख कर उमेश अपनी सगी बहन की याद में खो गया। उसकी बहन दीक्षा भी तो फ़िल्मी दुनिया की चकाचौंद से आकर्षित हो कर , काम और प्रसिद्धि पाने की लालसा में शरीर का सौदा करने लगी थी जिसका अंत उसकी आत्महत्या के रूप में हुआ। आरंम्भ में उसे हीरोइन के रोल का झांसा देकर उसे अंततः जूनियर आर्टिस्ट के रोल को पाने में भी शरीर गिरवी रखना पड़ता था।
बहन की आत्महत्या ने उमेश को झकझोर कर रख दिया था । तब से उमेश ने प्रण कर लिया था कि वह बरकस कोशिश करेगा की लड़कियां इस तरह से अपने आप को बर्बाद ना करें। उसने सतरंगी फिल्म्स की स्थापना इसी कार्य की सिद्धि लिए की। राधिका पच्चीसवीं लड़की थी जिसको इन सब ने आरम्भ से ही एक नाटक सा रच कर और इस गलैमर की दुनिया का एक सुना सुनाया पर कटु सत्य का पहलू दिखा कर इस दलदल में गिरने से बचाया था। तभी कोने में पड़े टेलीफोन की घंटी बज उठी। बेबी ने फ़ोन उठा लिया।
" नमस्कार। सतरंगी फिल्म्स " ?????????????????????
फिर उमेश और उसके सहायक एक और लड़की को इस ग्लैमर के दलदल में गिरने से बचाने की जुगाड़ में लग गये।
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल
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Words :- 2702
कृपया संज्ञान लें :-
“ग्लैमर के संसार में शारीरिक शोषण के विरुद छिड़े # ME TOO नामक अभियान और बॉलीवुड कोरिओग्राफर सरोज खान के 24/25 अप्रैल 2018 को दिए गए एक बयान के सन्दर्भ को छोड़ कर इस कहानी के सभी पात्र और घटनाए काल्पनिक है, इसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी व्यक्ति या घटना से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा।"
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२३ वर्षीय राधिका ने समाचार पत्र खोला और चाय की चुस्कियों के साथ विज्ञापन का पृष्ठ पढ़ने लगी। उसकी दृष्टि एक पांच पंक्तियों के विज्ञापन पर स्थिर हो गयी। पास में पड़ा मार्कर उठाया और उस विज्ञापन को चिन्हित कर दिया। कुछ देर तक वह सोचती रही और फिर अपने मोबाइल से उसने विज्ञापन में दिए गए नंबर पर फ़ोन कर दिया।
" नमस्कार। सतरंगी फिल्म्स " उधर से एक लड़की की आवाज आयी।
" जी , मैं राधिका। आप की कंपनी का विज्ञापन देखा। " राधिका थोड़ा हिचकिचा के बोल रही थी।
" किस लिए फ़ोन किया ?"
" जी, मैं फिल्मों में काम करना चाहती हूँ। एक्टिंग में सिल्वर मैडेलिस्ट हूँ।
" कितने साल की हो ?"
" जी, २३ साल की "
" शादीशुदा हो या कुँवारी ? "
" जी, कुँवारी "
राधिका को ऐसा लगा कि जैसे उधर वाली लड़की किसी से कुछ कह/ पूछ रही हो।
" हाँ। ठीक है। तुम अपना पूरा पोर्टफोलियो इ-मेल कर दो । मैं तुमको हमारे कास्टिंग डायरेक्टर का नंबर देती हूँ, वह अभी वयस्त हैं। तुम उनको बाद में फ़ोन कर लेना । फिल्मों की कास्टिंग वही करते हैं।" लड़की ने फ़ोन नंबर राधिका को लिखवाया और फ़ोन रख दिया।
राधिका ने फ़ोन नंबर समाचार पत्र पर ही लिखा अपनी दिनचर्या में लग गयी। यधपि वह यू पी एस सी की आई ए एस की परीक्षा में उत्तीर्ण हो गयी थी और कल ही उसको ग्रुप बी में प्रशासनिक कैडर आबंटित किया गया था वास्तव में उसका मन फ़िल्मी संसार में पैर जमाने को तरस रहा था।
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राधिका एक महत्वकांक्षी और मेहनती लड़की थी। आम लड़कियों की तरह वह भी फिल्मों के मोहक आकर्षण से अछूती नहीं थी। आरम्भ से ही अपने कार्यरत अभिभावकों से दूर होस्टल में पढ़ाई करने वाली राधिका, अपने जीवन के निर्णयों को खुद ही लेने में समर्थ थी। स्नातक तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल आफ ड्रामेटिक्स से डिप्लोमा प्राप्त किया और साथ ही साथ यू पी एस सी की परीक्षा में उर्तीर्ण हो कर प्रशासनिक कैडर के लिए साक्षात्कार दे कर आयी थी। लेकिन उसकी प्रथम प्राथमिकता फिल्मो में अभिनय और मॉडलिंग की ही थी।
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राधिका ने अपनी दिनचर्या समाप्त की और अपने अम्मा पापा से बात कर उसने सतरंगी फिल्म्स के कास्टिंग डायरेक्टर को फ़ोन मिलाया। काफी देर तक मोबाइल की रिंगटोन बजती रही पर उधर से किसी ने भी फ़ोन नहीं उठाया। वह कुछ हताश हो कर सतरंगी फिल्म्स को फ़ोन करने वाली ही थी कि उसका मोबाइल बज उठा। उसने सोचा कि कास्टिंग डायरेक्टर का फ़ोन होगा पर स्क्रीन पर अनजान नंबर था।
" हेलो राधिका " उधर से एक गहरी सी आवाज़ में कोई बोला।
" जी , बोल रही हूँ "
" मैं, उमेश मोदक , सतरंगी फिल्म्स का कास्टिंग डायरेक्टर "
" जी, जी। मैं आपको ही मिला रही थी। पर यह नंबर ?"
" यह मेरा पर्सनल नंबर है। इसको सेव कर लो। कल सुबह १० बजे मेरे कार्यालय पर पहुँच जाना। एड्रेस लिख लो। "
राधिका ने तुरंत ही पेपर पर एड्रेस लिख लिया। उसने बात करने की कोशिश की पर फोन कट चुका था।
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राधिका ने एक बार पता पढ़ा और उसको याद कर लिया। १०, लालचौक। विज्ञापन और फिल्मो के निर्माण से सम्बंधित प्रसिद्ध चौक था। छोटे बड़े निर्माता निर्देशकों के छोटी बड़ी गलियों में छोटे बड़े कार्यालय। मॉडलिंग, अभिनय के शौकीन हर आयु के आकांक्षी जगह जगह दिखाई दे रहे थे। राधिका ने एक ऐसे ही उम्मीदवार से पता पूछा तो उसने अपने आपको एक संकरी सी गली में बने एक मकान के सामने पाया। कोई नाम पट्टिका नहीं थे सो वह दरवाज़े की घंटी बजाने को तत्पर हुई तो दरवाज़ा खुल गया।
" आईये , मैं आपका ही इंतज़ार कर रहा था " एक लम्बा चौड़ा तोंदू मुच्छड़ व्यक्ति राधिका के सामने खड़ा था।
"जी , में उमेश मोदक जी से.................................. "
"हाँ हाँ वह भी अभी आ रहें है। मेरा नाम जोरावर सिंह है। आपके साथ कोई और भी है क्या ?"
"जी नहीं में अकेली हूँ "
वह मुच्छड़ हँसा। " पहली बार देख रहा हूँ कि उमेश से मिलने कोई बगैर किसी को साथ लिए आयी है "
राधिका कुछ बोली नहीं।
कमरा काफी बड़ा था। दो कमरे और एक बड़ी आर्क लाइट भी एक कोने में रखी हुए थी। दीवारे भिन्न भिन्न आकारों के चौखटों में कैद नए पुराने अभिनेत्रियों -अभिनेताओं के छाया चित्रों से सजी हुई थी। कुछ फ़िल्मी पोस्टर भी लटके हुए थे। जोरावर ने उसे सोफे पर बैठने का इशारा किया और खुद सामने की टेबल पर बैठ गया। एक युवती अंदर वाले कमरे से अपने कपड़े संभालते निकली और उसके साथ ही ब्रांडेड कुरता पायजामा पहने एक व्यक्ति भी। दोनों राधिका को देख कर पहले तो हुचंक से गये पर व्यक्ति ने युवती के पीछे एक धौल मारा और हँसने लगा और राधिका की ओर इशारा कर कहा, " कल को यह लड़की भी हमारी फिल्म की हीरोइन बन सकती है अगर यह चाहे तो। "
युवती ने उसे घूर कर देखा तो वह जोर जोर से हँसने लगा। उसको हँसता देख मुच्छड़ भी हंसने लगा। युवती ने मुस्कुरा कर उसे हवाई चुंबन दिया ।
" उमेश जी, तो मेरा पक्का ना। यह रोल मेरे हाथ से जाना नहीं चाहिए। " युवती ने राधिका को देख कर जोर से बोली ।
" फिकर नहीं , बेबी , फिकर नहीं। अब सब मेरे हाथ है। उमेश नाम है मेरा , जिसका सिक्का चलता है इस बाजार में " वह व्यक्ति भी ज़ोर से बोला फिर दोनों जोर से हँस पढ़े। बेबी ने उमेश को गले लगाया, चुंबन का आदान प्रधान हुआ और राधिका को बाय का इशारा कर बाहर निकल गयी। जोरावर सिंह टेबल से उतर कर सामने बैठ गया। उमेश मोदक भी अपनी ऑफिस कुर्सी पर बैठ गया।
राधिका को सामने बैठने को कहा गया। राधिका के माथे पर पसीना आ गया।
" और एक्टिंग का चस्का पाल। टीज़र तो दिखा दिया ना। अब निपट।" राधिका मन ही मन सोच रही थी।
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" हाँ तो तुम राधिका हो। तुम्हारा पोर्टफोलियो देखा। ठीक ठाक है। तुम्हारे साथ कोई नहीं आया ?" उमेश ने अपनी आँखें राधिका पर स्थिर कर सिगरेट सुलगा कर पुछा .
"जी नहीं। मैं अकेली हूँ। "
" हूँ। गट्स हैं तुम में। पर मैं तो जब से # मी टू का सिलसिला चालू हुआ है , फूँक फूँक कर कदम रखता हूँ। " उमेश ने सिगरेट का धुँवा राधिका की और छोड़ते हुए जोरावर से बोला , " मैडम को बुला रे अंदर से। कितनी बार कहा है की जब कोई लड़की यहाँ आये तो किसी महिला का यहाँ होना ज़रूरी है। "
जोरावर ने मोबाइल पर किसी से बात की। थोड़ी देर में अंदर से ही एक स्त्री निकली तो किसी फिटनेस जिम की ट्रेनर लगती थी।
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" यह है हमारी स्टंट डायरेक्टर , फिरोज़ा अली। " उमेश ने फिरोज़ा को बैठने का इशारा किया। फ़िरोज़ा ने भी अपनी जेब से सिगरेट निकली और लाइटर के लिए उमेश की सिगरेट से सिगरेट जलाने की बहाने उसके होंठो को भी अपने होंठों से छू लिया जिसे राधिका ने अनदेखा कर दिया।
" हाँ तो राधिका। मैं सीधा मुद्दे पर आता हूँ। फ़िल्मी ,टीवी और मॉडेलिंग दुनिया में मैं अपनी गहरी पैठ रखता हूँ। बहुत से समझौते करने पड़ते हैं। यह तुम तक है की तुम किस हद तक जा सकती हो और क्या क्या कर सकती हो ?" । " उमेश रुक गया और राधिका को सिगरेट का धुआं उड़ाते हुए घूरता रहा।
" कैसे समझौते ? मैं आपको अपनी योग्यता का अभी प्रमाण दे सकती हूँ। कोई भी स्क्रिप्ट दीजिये फिर मेरी डायलॉग डिलीवरी और एक्टिंग देखिएगा।" राधिका बड़े आत्मविश्वास से बोली।
"इस लाइन में अगर अनावृति चाहती हो तो अपने आत्मसम्मान को शरुआत के चंद सालों तक दरकिनार कर एक्सपोज़ तो होना पड़ेगा" उमेश ने उसकी छाती पर नज़र टिकाते हुए कहा।
" आपका मतलब कास्टिंग काउच से है ? " राधिका ने उसकी आँखों से आँखें मिला कर पूछा।
उमेश जोर से हंस पड़ा। "कास्टिंग काउच तो कुछ भी नहीं है। वह क्या कहते हैं अंग्रेजी में, यह तो टिप ऑफ़ दी आईस बर्ग है "
जोरावर और फिरोज़ा दोनों हँस पढ़े।
"मतलब साफ़ है। यदि तुम मौका प्राप्त करना चाहती हो, इस गलैमर की दुनिया में पैसा और नाम कमाना चाहती हो तो तुम्हे इस ओर के संसार में हर उस व्यक्ति से जुड़ना पड़ेगा जो फिल्म या सीरियल के निर्माण में , उसके निर्देशन में , कलाकारों के चयन में अपना प्रभुत्व रखते हैं। उनके विचारों और मांगों के साथ साथ विशिष्ट पर अदृश्य रिश्तों का निर्वाह भी तुमको करना पड़ेगा। पेज तीन का तड़का भी सहना पड़ेगा। "
राधिका समझ कर भी कुछ ना समझने का दिखावा तो कर रही थी पर वह अब थोड़ा चिंतित सी हो गयी थी। 'शायद यह लोग किसी को चुन चुके हैं इसीलिए यह मुझे डरा रहे हैं या यह लोग सच में ही सच का आईना दिखा रहें हैं।'
एक असमंजस की स्थिति में होते हुए भी राधिका बोली , "देखिये उमेश जी। मुझे अपने और एक्टिंग योग्यता पर पूरा भरोसा है। बस एक मौका मिलना चाहिए।"
उमेश ने सर हिलाया, " ठीक है।लेकिन मैं आगाह कर दूँ। आरंभ में तो सी या बी ग्रेड की फिल्मो से ही संतोष करना पड़ेगा। अधिकतर यह फिल्में वयस्कों के लिए ही होती हैं। ऐसी फिल्मों में तुमने अपने अंतर्बन्धनों को, अपनी अंतरात्मा की आवाज जो दबा कर फिल्म की कहानी और चरित्र के अनुरूप ही अपने आप मैथुनिक स्थिति या अर्धनग्न रूप में भी को प्रस्तुत करना पड़ सकता है। साथ में सभी को खुश भी रखना पड़ेगा। । तुम समझ रही हो ना मैं क्या कहना चाह रहा हूँ।" उमेश ने राधिका की ओर देखा।
"आप साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहते कि फिल्मो में, टीवी में कार्य तभी मिल सकता है जब मैं इन से संबंधित सभी को खुश कर सकूँ जिसका दूसरा अर्थ यह हुआ की मैं इस सब से यौन सम्बन्ध स्थापित करूँ।"
राधिका के इस सीधे प्रश्न ने सभी को चौंका दिया। तीनों ने एक खिसयानी सी मुस्कुराहट के साथ अपने सर हिला दिए।
" तुम ठीक समझी हो। 'हैश टैग मी टू ' अभियान में तो बड़ी से बड़ी हीरोइनों ने कास्टिंग काउच का खुलासा कर दिया। और तो और एक मशहूर कोरिओग्राफर ने तो साफ़ ही कह दिया कि फिल्म इंडस्ट्री में अगर समझौते करने पड़ते हैं तो वह जीविका भी देती है। कहा है कि नहीं।“
उमेश ने अपने दोनों साथियों से पूछा तो दोनों ने अपने सर उसकी हामी में हिला दिए।
" मेरे हाथ में कई निर्देशक और निर्माता हैं जिनकी आर्ट फिल्मो के प्रोजेक्ट किसी वाजिब हीरोइनों के ना मिलने से अटके पड़े हैं। अगर तुम चाहो तो बैगैर किसी ऑडिशन और स्क्रीन टेस्ट के केवल मेरे कहने पर वह तुम को लेने को तैयार हो जायेगें। बशर्ते कि............... "
राधिका उठ खड़ी हो गयी। उसका चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था। उमेश पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
" बैठो। तुम नहीं करोगी तो कोई और कर लेगा। हज़ारों लालायित हैं, समझी तुम , हज़ारों इस लाइन में आने को कुछ भी यानी कुछ भी करने को तैयार हैं। केवल एक ब्रेक की तलाश है उनको। यहाँ प्रतिभा को बाद में परखा जाता है , सबसे पहले तो सौंदर्य और शरीर की रेखाओं को नापा जाता है। यह दुनिया ही ऐसी है। चाहे फिल्म हो , टीवी हो या मॉडलिंग। जब तक नाम नहीं होता तब तक 70 प्रतिशत युवकों और युवतियों का शोषण होता है अब चाहे वह शारीरिक हो , मानसिक हो या फिर आर्थिक । अरे कल के एडल्ट फिल्मो के सितारों की भी आजकल बहुत साख़ है, सम्मान है। " उमेश कहता गया। "और मान लो तुम फिल्मो में, टीवी में फ्लॉप हो गयी तो और भी कई रास्ते हैं पैसा बनाने के लिए। मॉडलिंग की पूरी दुनिया है। एस्कॉर्ट सर्विस का भी चलन है। इनके एजेंट ,दलाल बहुत मिलेंगे। बस यह तुम्हारी इच्छा पर निर्भर करता है कि वास्तव में तुम क्या चाहती हो। किसी बड़े घराने से या फ़िल्मी बिरादरी से तो तो हो नहीं जो चाँदी का चम्मच मुँह में ले कर घूम रही हो। इस संसार में भावनाओं की कोई जगह नहीं है। जब तक तुम पूर्ण रूपेण से स्थापित ना हो जाओ तुम्हारे शारीरिक वक्रों का महत्व तुम्हारी प्रतिभा पर हमेशा भारी पड़ेगें। “
"उमेश जी सही कह रहें हैं। जिसने इस संसार में समझौता कर लिया उसी ने बिल्ली मार ली।" फ़िरोज़ा ने राधिका के कंधे पर हाथ रख कर कहा।
“ ठीक है। मैं आपको कल तक अपना निर्णय बता दूँगी।" राधिका ने फिरोज़ा का हाथ अपने कंधे से झटक दिया और चलने को तत्पर हुई तो उमेश उसके बिलकुल सामने आ गया जैसे वह उसका रास्ता रोक रहा हो।
"सोच समझ कर निर्णय लेना, राधिका। यह भी चेता दूँ कि ग्लैमर की दुनिया से जुड़े सभी लोग बुरे नहीं होते पर होते ज़रूर हैं। भाग्यवश तुम्हे कोई गॉडफादर मिल गया या गॉडमदर मिल गयी तो समझो तुम्हारा जीवन बन गया पर भाग्य के भरोसे रहना एक जुआ खेलने के बराबर है "
राधिका कुछ नहीं बोली पर वह अब एक असुविधा सी महसूस करने लगी थी।
उमेश बोलता चला गया , "यह दलदल है। यह भी सही है कि कमल भी यहीं खिलते हैं। पर कमल को दलदल में ही पनपना पड़ता है। खिलना पड़ता है। मौका केवल एक बार ही मिलता है। दलदल में रहने का और….. " वह चुप हो गया। राधिका के साथ उसके उपस्थित साथी भी गौर से सुन रहे थे।
" और ?" राधिका के मुँह से स्वयं ही यह शब्द निकल गया
"और दलदल में जान बूझ का ना धंसने का " उमेश ने बहुत ही गंभीरता से कहा।
राधिका ने वहां से निकलने में ही भलाई समझी। उसका निश्चय इस ठाठ बाठ के आकर्षण वाली दुनिया में जाने का कुछ हद तक टूट चुका था। उसने एक प्रकार से उमेश को धक्का सा दिया और दरवाजे से बाहर निकल गयी। इस शोषण की दुनिया से अच्छी तो नियमित आय वाली प्रशासनिक नौकरी ही उसको ठीक लगी।
" अपना निर्णय मुझे कल तक बता देना, राधिका। तुम जैसी बहुत खड़ी है कतार में।" उमेश की आवाज उसके कान में गूंजती रही।
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उमेश बैठा सिगरेट के कश लगा रहा था। फ़िरोज़ा कंप्यूटर पर पिक्चर देख रही थी। एक कोने में बेबी भी बैठी थी जो कल उमेश के साथ कपडे संभालते हुए निकली थी। जोरावर सिंह एक अन्य लड़की द्वारा भेजा गया पोर्टफोलियो देख रहा था। उमेश का मोबाइल बज उठा। मोबाइल पर नंबर देख कर उमेश के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
"राधिका है" वह ज़ोर से बोला और फ़ोन को स्पीकर पर रख दिया।
"हेलो। उमेश हियर "
"मैं, राधिका। मैं आपको बता हूँ कि मैं अब फ़िल्मी दुनिया में नहीं आना चाहती। हैलो हैलो....... " उमेश ने मोबाइल बंद कर दिया और मुठ्ठी बंद कर चिल्लाया " यस , यस , यस "
फ़िरोज़ा , ज़ोरावर और वह लड़की भी जोर से चिल्लाये, " किला फतह।" चारों ने एक दुसरे से हाथ मिलाया। चारों ऐसे खुश थे जैसे उनकी किसी फिल्म ने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हों।
" इस लड़की ने तो हमारी सिल्वर जुबली मनवा दी " फ़िरोज़ा बोली।
" हाँ, यह मेरी पचीसवीं बहन है, जिसको हमने इस दलदल में गिरने से बचाया है। " उमेश बोला पर उसका गला रुंध गया। आँखों में आँसुंओं की परत दिखाई देने लगी। सभी की आँखे नम हो आयीं। टेबल पर पड़ी अपनी बहन की फोटो को देख कर उमेश अपनी सगी बहन की याद में खो गया। उसकी बहन दीक्षा भी तो फ़िल्मी दुनिया की चकाचौंद से आकर्षित हो कर , काम और प्रसिद्धि पाने की लालसा में शरीर का सौदा करने लगी थी जिसका अंत उसकी आत्महत्या के रूप में हुआ। आरंम्भ में उसे हीरोइन के रोल का झांसा देकर उसे अंततः जूनियर आर्टिस्ट के रोल को पाने में भी शरीर गिरवी रखना पड़ता था।
बहन की आत्महत्या ने उमेश को झकझोर कर रख दिया था । तब से उमेश ने प्रण कर लिया था कि वह बरकस कोशिश करेगा की लड़कियां इस तरह से अपने आप को बर्बाद ना करें। उसने सतरंगी फिल्म्स की स्थापना इसी कार्य की सिद्धि लिए की। राधिका पच्चीसवीं लड़की थी जिसको इन सब ने आरम्भ से ही एक नाटक सा रच कर और इस गलैमर की दुनिया का एक सुना सुनाया पर कटु सत्य का पहलू दिखा कर इस दलदल में गिरने से बचाया था। तभी कोने में पड़े टेलीफोन की घंटी बज उठी। बेबी ने फ़ोन उठा लिया।
" नमस्कार। सतरंगी फिल्म्स " ?????????????????????
फिर उमेश और उसके सहायक एक और लड़की को इस ग्लैमर के दलदल में गिरने से बचाने की जुगाड़ में लग गये।
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल
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Words :- 2702
कृपया संज्ञान लें :-
“ग्लैमर के संसार में शारीरिक शोषण के विरुद छिड़े # ME TOO नामक अभियान और बॉलीवुड कोरिओग्राफर सरोज खान के 24/25 अप्रैल 2018 को दिए गए एक बयान के सन्दर्भ को छोड़ कर इस कहानी के सभी पात्र और घटनाए काल्पनिक है, इसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी व्यक्ति या घटना से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा।"
via fb/विश्व हिंदी संस्थान, कनाडा.
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Kviytri Pramila Pandey 2:15pm Jun 2
वाहहहहह अतिसुंदर
via fb/TL
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वसुधा कनुप्रिया
June 5 at 11:37am
बहुत अच्छी कहानी है । हार्दिक बधाई आदरणीय
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Arti Pathak
June 5 at 8:45pm
शानदार कहानी पर आपको हार्दिक बधाई सर
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Arti Rai
June 5 at 10:45pm
Lovely story!
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Jagdish Sharma
June 5 at 11:36pm
Bahut sunder
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K-Avi Mishra
June 6 at 12:03am
Bahut badhiya lekhni
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Deepika Maheshwari
June 7 at 7:29am
वास्तविकता को दर्शाती मर्मस्पर्शी कहानी
Comments via Sahitypedia on 2 & 4 Jun18
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Bhumesh Malla · Delhi University
नमस्कार, कहानी पड़ते हुए ऐसा लगता रहा था कुछ नया नही है ऐसा अक्सर सुनने मे आया है परन्तु अचानक कहानी का स्वरूप बदला और राधिका से सहानुभूति की जगह उमेश का पात्र सराहनीय लगा !
रचना पूर्णतया सुन्दर एवं दिल को छूती है !!
सराहनीय !!!
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Shobha Mathur · Mumbai, Maharashtra
good twist
Pintu Mahakul
ReplyDeleteJune 16 at 3:38pm
Starting from Radhika's reading of page of advertisement to the last phone call this short story entirely provokes thought. If physical exploitation is done in name of glamour then this is really so sad. Such things should not happen. Such incidences come into notice. But today's generations close their eyes towards these. Many are motivated towards glamour world. But carefully they should proceed. This story scribbles mind. This is an amazing story that reflects true happening behind society.
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