Friday 17 October 2014

, एक दिन







समझा था तुमने मुझे निकम्मा, निठ्ठला, शोहदा, एक दिन



मेहनत से ही पाया मैंने यह कार, बंगला, ओहदा, एक दिन



लिफाफा ही देखा, चिठ्ठी नहीं पढ़ी, यह तुम्हारा अहंकार था



मात्र सपना था कि होंगे हम तुम और हमारा घरोंदा, एक दिन.


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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल

12 comments:

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  2. Arun Sharma 11:55pm Oct 17
    हो हो मन में है विश्वास
    पुरा है विश्वास
    हम सब होगें कामयाब एक दिन।नमन।
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    Chandrawati Nageshwar 11:49pm Oct 17
    अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति वाह .......... बधाई
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    Nirmala Pareek 11:12pm Oct 17
    अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  3. Somnath Nayak 6:00pm Oct 17
    वाह सा वाह
    सचाई बयाँ कर दी !
    आदरणीय बहुत बहुत उम्दा सृजन
    सृजन करता को नमन

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  4. Mamta Ladiwal 6:16pm Oct 17
    त्रिभवन जी बहुत शानदार सृजन हुआ है, बधाई :)
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    Tilak Jain 6:14pm Oct 17
    बहुत सुन्दर
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    Mahesh Jain Jyoti 7:28pm Oct 17
    बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना । वाह !

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  5. Prithviraj Singh 6:38pm Oct 17
    समझा था तुमने मुझे निकम्मा, निठ्ठला, शोहदा, एक दिन
    मेहनत से ही पाया मैंने यह कार, बंगला, ओहदा, एक दिन
    लिफाफा ही देखा, चिठ्ठी नहीं पढ़ी, यह तुम्हारा अहंकार था
    मात्र सपना था कि होंगे हम तुम और हमारा घरोंदा, एक दिन.,,,,,,,,, ला जवाब

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  6. Anupam Kumar 7:10pm Oct 17
    अति सुन्दर व हृदय को स्पर्श करती उत्कृष्ठ चतुष्पदी.....वाह...आदरणीय .. वाह ...हृदय तल से बधाई आपको इस सुन्दर सृजन के लिये !
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    Asha Khatri
    Asha Khatri 6:43pm Oct 17
    वाह! अति सुन्दर

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  7. Yamuna Prasad Dubey Pankaj 1:44pm Oct 17
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    लिफाफा ही देखा, चिठ्ठी नहीं पढ़ी, यह तुम्हारा अहंकार था
    मात्र सपना था कि होंगे हम तुम और हमारा घरोंदा, एक दिन.,,,,,,,,,वाह वाह,क्या बात है,चॉदी की दीवार को नहीं तोड़ने का तीखा ताना देती हुई सुन्दर रचना,बधाई आपको आद.त्रिभवन कौल जी

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  8. रजनीश 'तपन' 1:54pm Oct 17
    यथार्त ही लिखा है आदरणीय,जब तक आदमी को प्राप्त न हो जाये लोग उसे कल्पना ही मानते हैं
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    Uddhav Deoli 1:50pm Oct 17
    सुन्दर सृजन|
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    Ramesh Sharma 1:50pm Oct 17
    बहुत सुन्दर सृजन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हार्दिक बधाई

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  9. Laxmanprasad Raamaanuj Ladiwala 2:11pm Oct 17
    वाह ! किसी का घमंड चकना चूर करे तो श्रम से शौहरत और ओहदा पाकर | बहुत खूब | अच्छा सन्देश देती रचना हुई है श्री त्रिभुवन कॉल साहब
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    Brahma Dev Sharma 2:01pm Oct 17
    अनुभवक की बात. सुंदर कथन

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  10. Badal Mehra 1:31pm Oct 17
    bahut umda
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    Sanjay Shrivastava Pragya 1:30pm Oct 17
    वाहवाहहहहह...
    अति सुंदर सृजन...
    सार्थकसृजन...
    भावपूर्ण सृजन...
    शीर्षक सार्थक सृजन...
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    Mamta Varshney 1:15pm Oct 17
    कडुवा सच एक दर्द जीता मुक्तक
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  11. Pradduman Chaturvedi 11:38am Oct 17
    वाहवाहहहहह...
    अति सुंदर सृजन...
    सार्थक सृजन...
    अत्युत्तम सृजन...
    भावपूर्ण सृजन...
    शीर्षक सार्थक सृजन...
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    Ramesh Sharma 1:50pm Oct 17
    बहुत सुन्दर सृजन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हार्दिक बधाई

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  12. Monnmani Antaryami 10:42pm Oct 17
    क्या कहने...वाह वाह्..
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    Shipra Shilpi 2:40am Oct 18
    वाह वाह ............बहुत सुन्दर,शीर्षक को पूर्णतः सार्थक करता भावना पूर्ण, उत्कृष्ट सृजन ...हार्दिक बधाई आदरणीय ....सादर नमन

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