बेचारा
आम आदमी
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गाँधी जी के तीन बंदर
तीनो मेरे अन्दर
कुलबुलाते हैं
बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो
पर देखता हूँ, सुनता हूँ, कहता हूँ. क्यों ?
क्यूंकि मैं एक आम आदमी हूँ
स्वतंत्र होते हुए भी मैं पराधीन हूँ
एक दुस्वप्न सा जीवन जीने को मजबूर हूँ
हर रोज, नयी भोर के संग नयी आस का घूँट पीता हूँ
कल अच्छा नहीं था, आज अच्छा होना चाहिए
यह सोच कर ही तो जीता हूँ.
मंहगाई की मार, घोटालों की धमक
गिरते मूल्यों के बीच नोटों की चमक
रोष भरपूर है पर दोष किसे दूं
आम आदमी हूँ, मन की किसे कहूं
महाभारत सी बन गयी है मेरी जिंदगी
एक चक्रव्यूह में फँस कर रह गयी है मेरी जिंदगी.
दुर्योधन, दुशासन, शकुनि सरीखे
हमेशा मोंकों की तलाश में रहते हैं
धृतराष्ट्र और भीष्म जैसों के मूंह पर
हमेशा की तरह ताले पड़े रहते हैं
आज भी अभिमन्यु जैसे नौजवान
चक्रव्ह्यु न भेदने का बोझ ढ़ो रहें हैं
रोज कंही न कंही द्रोपिदिओं के चीर हरण हो रहें हैं
तब एक द्रोपदी के पीछे मचा था महाभारत
आज आंखे खोले ही सब के सब महारथी सो रहें हैं.
आज के इस भारत में
महाभारत के पात्र सब उपस्थित हैं
पर कृष्ण नदारद हैं
हजारों अर्जुनों के हाथ गांडीव तो है
पर उन्हें एक नयी गीता की अपेक्षा है
इसी आस में आम आदमी
जीता है बस जीता है.
गाँधी जी के तीन बंदरों की तरह.
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गाँधी जी के तीन बंदर
तीनो मेरे अन्दर
कुलबुलाते हैं
बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो
पर देखता हूँ, सुनता हूँ, कहता हूँ. क्यों ?
क्यूंकि मैं एक आम आदमी हूँ
स्वतंत्र होते हुए भी मैं पराधीन हूँ
एक दुस्वप्न सा जीवन जीने को मजबूर हूँ
हर रोज, नयी भोर के संग नयी आस का घूँट पीता हूँ
कल अच्छा नहीं था, आज अच्छा होना चाहिए
यह सोच कर ही तो जीता हूँ.
मंहगाई की मार, घोटालों की धमक
गिरते मूल्यों के बीच नोटों की चमक
रोष भरपूर है पर दोष किसे दूं
आम आदमी हूँ, मन की किसे कहूं
महाभारत सी बन गयी है मेरी जिंदगी
एक चक्रव्यूह में फँस कर रह गयी है मेरी जिंदगी.
दुर्योधन, दुशासन, शकुनि सरीखे
हमेशा मोंकों की तलाश में रहते हैं
धृतराष्ट्र और भीष्म जैसों के मूंह पर
हमेशा की तरह ताले पड़े रहते हैं
आज भी अभिमन्यु जैसे नौजवान
चक्रव्ह्यु न भेदने का बोझ ढ़ो रहें हैं
रोज कंही न कंही द्रोपिदिओं के चीर हरण हो रहें हैं
तब एक द्रोपदी के पीछे मचा था महाभारत
आज आंखे खोले ही सब के सब महारथी सो रहें हैं.
आज के इस भारत में
महाभारत के पात्र सब उपस्थित हैं
पर कृष्ण नदारद हैं
हजारों अर्जुनों के हाथ गांडीव तो है
पर उन्हें एक नयी गीता की अपेक्षा है
इसी आस में आम आदमी
जीता है बस जीता है.
गाँधी जी के तीन बंदरों की तरह.
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सर्वाधिकार सुरक्षित/Safina-2014/त्रिभवन
कौल
Pranesh Nagri commented on your status.
ReplyDeletePranesh wrote: "Very good."
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Hasmukh Mehta
ReplyDeleteहजारों अर्जुनों के हाथ गांडीव तो है
पर उन्हें एक नयी गीता की अपेक्षा है ice lines until we introspect our selves...
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Parul Rastogi
ReplyDeleteVery nice!
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Aparna Pathak
ReplyDeleteBahut khoob. . As always
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Vishwash Hanswar
ReplyDeleteबहुत सुंदर श्रीमान जी, salute for your poem sir
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Seharyar Khan
ReplyDeleteVery well explained the painful life of aam admi lovly uncle ji
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Diwakar Pokhriyal
ReplyDeletebahut sahi Sir
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शुभदा बाजपेई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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रजनीश 'तपन'
ReplyDeleteवाह वाह वाह आदरणीय एकदम सत्य व्यंग
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Monica Oswal
ReplyDeleteWaah...kitna sach aur steek ..
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Nalini Priyadarshni
ReplyDeleteBitter truth....well said.
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Shantnu Barar
ReplyDeleteSacahi hai
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Neha R. Krishna
ReplyDeleteBahut ache
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Abhinav Kaul
ReplyDelete"Very nice read Baijan"
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Nazre Imam 1:02am Oct 3
ReplyDeleteLajawaab.. kiya kamal ka likha hai aapne
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Nazre Imam 1:02am Oct 3
ReplyDeleteLajawaab.. kiya kamal ka likha hai aapne
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Vivek Dubey 10:42am Oct 3
ReplyDeleteitt is bleeding funny that man waits for god to come and give the same solution for the same problems that have plagued us since the beginning
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Balram Nigam 12:50pm Oct 3
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्द सयोंजन
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Prithviraj Singh 1:28pm Oct 3
ReplyDeleteविजय दशमी का पर्व, हम मनाएं बड़ी शान से
भारत की जय हो, भारतीयों की आन बान से
सर्वत्र हो रही चर्चा आज भारत की संसार में
स्तंभित हैं सब, मॉम,मेरी,मोदी की पहचान से,,,,,,,,,,,,,, वाहहहहहहहहहहहहह,, वाहहहहहहहहहहहह ,,,,,,,, बहुत ही उम्दा,,, अति सुन्दर,, लेखन को नमन !!!!
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हरीश लोहुमी 2:32pm Oct 3
ReplyDeleteस्तंभित हैं सब, मॉम,मेरी,मोदी की पहचान से :)
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बृजेश कुमार 3:21pm Oct 3
ReplyDeleteक्या कहने....बहुत ही सुन्दर...
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Charu Dev commented on your status.
ReplyDeleteCharu wrote: "समाज के आम आदमी की छटपटाहट को बहुत सुंदर शब्दों में व्यक्त किया है. आपको सादर नमन:) (y)"
Anupama Sarkar 7:31am Oct 4
ReplyDeleteAaj ka sach...khoob ukera aapne...sarthak
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Deepak Shukla
ReplyDelete"atynt sundar srijan kiya hai adrniy!! Tribhawan Kaul ji!! gzb ke bhav laaye hain!! aap!! sadr naman hai apki lekhni ko!! :)"
on aam admi/ status
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Jeetesh Vaishya 2:31pm Oct 4
ReplyDeleteबहोत बहोत बहोत ही उम्दा रचना......अच्छा लगा पढ़ के....♥
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Yaseen Anwer 12:00am Oct 6
ReplyDeleteKhoobsurat
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Vinay Kumar 12:41am Oct 6
ReplyDeleteVery nice
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Gurdeep Singh Kohli 11:47pm Oct 5
ReplyDeleteWaah
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Deepak Sharga commented on your status.
ReplyDeleteDeepak wrote: "आज के इस भारत में महाभारत के पात्र सब उपस्थित हैं पर कृष्ण नदारद हैं ...बहुत ख़ूब ...."
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October 6 at 10:58am
ReplyDeleteShefalika Verma
जीता है बस जीता है.
गाँधी जी के तीन बंदरों की तरह......bahut dardnak...
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October 7 at 1:02pm
Kamlesh Dwivedi
Bahut sundar rachna
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1:44 PM Oct 16
ReplyDeletefacebook
Driftwood Ashore commented on your status.
Driftwood wrote: "Great sirjee"
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