मेरी गौरैया
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मेरी गौरैया बच कर रहियो
यहाँ दरिन्दे आम हैं
ना उनके बेटी ना उनकी
बहना
उनका संगी ‘काम’ है ।
पहन मुखौटे तरह तरह के
सब को यह भरमाये हैं
मानवी रिश्तों का मोल
नहीं
राक्षसों के यहाँ जाए हैं
।
मानसिकता है गिरी हुई
चेतना शुन्य लोग यहाँ
इनसे बचके रहना गौरैया
नोचने को तत्पर यहाँ ।
इन गिद्दों से बच कर रहना
आकाश में मंडराते
हैं
जहाँ देखी इकली गौरैया
झपटा मार ले जाते हैं ।
छतरी के नीचे कब तक
रखूँ मैं
आखिर बाहर निकलना है
लड़ना मरना सीख ले गौरैया
अब तो यही तेरा गहना है ।
निर्भया संस्कृति दिव्या
गीता हो या आसिफा
कब तक भोग्या बन रहेंगी
भारत की ऐसी बेटियां
पंजों को तू पैने कर ले
पंखों को तू डैने कर ले
समाज नपुंसक तब भी अब भी
कुत्तों का तू पौरुष हर
ले ।
एक गौरैया निर्भया भी
थी
जागृत कर, जो विलीन हो गई
मशाल बन तुम, जलते रहना
जो अपना अस्तित्व बचाना है ।
मेरी गौरैया बच कर रहियो
यहाँ दरिन्दे आम हैं
ना उनके बेटी ना उनकी
बहना
उनका संगी ‘काम’ है । ।
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सर्वधिकार सुरक्षित
/त्रिभवन कौल
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Deepika Maheshwari
ReplyDeleteJuly 10 at 9:21 PM
बहुत सुन्दर.. सरल.. सरस.. अभिव्यक्ति.. 💐💐💐
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via fb/निर्झरणी भावनाओं की
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Ramkishore Upadhyay
July 11 at 9:55 PM
यह अमर कृति है
Rajnee Ramdev
ReplyDeleteJuly 10 at 9:42 PM
कविता का एक एक शब्द अन्तस् तक बींध जाता है
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Jai Bhagwan Sharma
ReplyDeleteJuly 10 at 9:44 PM
आपकी कविता आज भी उतनी ही परसंगिक है जितनी उस समय थी। समाज में दरिंदगी बढ़ती ही जा रही हैजो की चिंता का विषय है जो आपकी कविता में झलकता है।
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निशि शर्मा 'जिज्ञासु'
ReplyDeleteJuly 10 at 9:57 PM
बहुत भावपूर्ण रचना
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Rajeshwer Sharma
ReplyDeleteJuly 10 at 11:31 PM
Marmik rachna
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Sharda Madra
ReplyDeleteJuly 11 at 6:25 AM
अति सुंदर मार्मिक कविता।
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Hasmukh Mehta
July 12 at 11:46 AM
nice poem...स्त्रियों की सुरक्षा गुरुवार, १२ जुलाई २०१८ सही मायनो में कलियुग हम में समा गया है हमारे उसूलों को खोखला कर गया है हमारी आँखों में पर्दा डाल गया है इंसानी रिश्तों को शर्मसार कर गया है। क्या देहांतदंड ही इसका इलाज है ? किसी को बेइज्जत करना जायज है ? "घृणास्पद काम करके मार देना " कितना उचित है समाज में रहना है तो स्त्रियों की सुरक्षा हमारा जिम्मा है। हसमुख अमथालाल मेहता
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हरियाणा गौरव सुनील शर्मा 1:38pm Jul 12
बहुत मार्मिक आदरणीय
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वसुधा कनुप्रिया 1:38pm Jul 12
आत्मा को झकझोरती, भावपूर्ण अभिव्यक्ति व प्रभावी प्रस्तुति आदरणीय ।
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Ramkishore Upadhyay 1:38pm Jul 12
मार्मिक रचना ,,कालजयी
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A S Khan Ali 1:38pm Jul 12
saarthak Rachna ki Sundar Prastuti!
वसुधा कनुप्रिया
ReplyDeleteJuly 14 at 4:33 PM
अत्यंत मार्मिक अभिव्यक्ति! दुखद है कि परिस्थिति और बिगड़ रही है दिन प्रतिदिन
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