Sunday 18 February 2018

सूक्ष्म कथा-3


एक माँ के जुड़वाँ बेटे थे।

एक बोला :- मुझको पड़ोस से भरपूर प्यार मिलता है। घरवालों से नहीं।  

दूसरा बोला :- मुझको घरवालों से भरपूर प्यार मिलता है पड़ोस से नहीं।

माँ के एक वक्ष से खून निकलने लगा दुसरे से दूध।

त्रिभवन कौल

3 comments:

  1. via fb/TL
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    Rajinder Sharma Raina
    February 19 at 11:17am
    Jai jai

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  2. via fb/TL
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    Rajeshwer Sharma
    February 19 at 10:40pm
    Waahhhh! Marmik

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  3. via fb/TL
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    Hasmukh Mehta
    February 19 at 9:04pm
    Nice one,,,देश में ही..Desh - Poem by Hasmukh Amathalal धन को देश रखने का पहले गंगा मैली हो गई मौत का सन्देश ले आई हम समले ही थे की बारिश आ गई! तैयार फसल की बर्बादी हो गई। nदियाँ कीबात ही छोडो बैंको में लूट काराग छेड़ो ये राजकारणी कैसे हमारे उद्धारक हो सकते है पप्पूभाई कैसे विचारक हो सकते है? उनको नहीं लगता था देश डूब जाएगा लक्ष्मी बता देगी ठेंगा अपना बनाया हुआ राज ध्वस्त हो जाएगा "कई लाख से करोडो कैसे बन गए " ये राज खुल जाएगा। आज हर शाख पर उल्लू बैठा है उनको शर्म नहीं आती की कुसूर उनका ही है इतने साल देश को लुटते रहे अपने ही सपनों में राचते रहे। । खाना पीना सरकारी खर्चो से हवाईसफर और चिकित्सा सब पार्टी के खाते से चारपाई और दुसरा आवंटननौटंकी कीनोकपर जवान मर रहे कश्मीर की पॉलिसी पर। अब आ गया वक्त उन्हें बाहर करने का देश के कलेवर को बदलने का सामान्य आदमी के भरोसे को कायम करने का

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