Thursday 25 February 2016

नियति

नियति  
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हर फूल की क़िस्मत है जुदा जुदा
चढ़ा मन्दिर,तो कोई मसला गया.

हर आंसू की कीमत है जुदा जुदा
मोती बना या धूल में समा गया .

हर आरज़ू की मंजिल है जुदा जुदा
मिली किसीको, कोई हो फ़ना गया .

हर रात का माहौल है जुदा जुदा
ग़मगीन कंही तो कंही बहका हुआ

हर शमा का शोला है जुदा जुदा
जले खुद या किसी को जला गया

सबका फ़साना यहाँ  है जुदा जुदा
मर मर जिए या मरकर जीता यहां 

नियति सबकी यहाँ है जुदा जुदा
भरोसा खुद  पर या जानता ख़ुदा
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सर्वाधिकार सुरक्षित/ त्रिभवन कौल

3 comments:

  1. Sushil Sarna
    February 26 at 12:50pm
    आ.Tribhawan Kaul जी मंच को सुरभित करती इस मनोहारी प्रस्तुति के साथ ये मंच आपके आगमन का हार्दिक स्वागत करता है।
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    Lata Yadav
    वाह अति सुंदर रचना आदरणीय सुंदर संदेश दिया आपने,हार्दिक शुभकामनाएँ आपको
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    Rekha Lodha
    वाह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह् बहुत बढ़िया सृजन की बधाई आद त्रिभवन कौल जी सादर नमन
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    Shyamal Sinha
    अतीव सुन्दर सृजन माननीय वाह वाह
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    मुरारि पचलंगिया
    बहुत सुन्दर संदेश देती हुई रचना
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    Pankaj Soni 'sagar'
    वाह.. सुंदर भावों से युक्त सार्थक रचना सादर नमन आदरणीय
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    Omprakash Chaurasia
    वाहहह....बहुत खूब...अति सुन्दर...सादर नमन...
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    Subodh Chaturvedi
    ,वाह वाह बहुत सुन्दर सृजन
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    Veena Nigam
    वाह्ह्ह्हह्ह अत्यंत सुन्दर सृजन
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    Pnb Maheshh Asthana
    वाह
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    गुप्ता कुमार सुशील
    वाह्ह्ह,,,, अति उत्तम सृजन आदरणीय |
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    Chandrawati Nageshwar
    अत्यंत सुंदर सृजन बधाई आपको
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    Via fb/muktak lok/ February 26

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  2. Pawan Batra
    आदरणीय बहुत ख़ूब
    March 14 at 8:47pm
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    कवि संयम
    वाह लाजवाब सृजन सर बधाई हो
    March 14 at 8:49pm
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    Sanjay Kumar Giri
    वाह्ह वाह वाह ----नियति सबकी यहाँ है जुदा जुदा
    भरोसा खुद पर या जानता ख़ुदा----बहुत सुन्दर लिखा आपने आदरणीय आपको सादर नमन करता हूँ
    March 14 at 8:57pm
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    Satish Gupta
    vah
    March 14 at 9:37pm
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    Ramkishore Upadhyay
    नियति सबकी यहाँ है जुदा जुदा
    भरोसा खुद पर या जानता ख़ुदा--अनुपम अभिव्यक्ति ..गागरमें सागर
    • March 14 at 10:23pm
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    Rudra Mishra
    सुंदर
    March 14 at 10:34pm
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    Fatima Afshan
    Waah! Bahut hi sundar abhivyakti. Satya vachan
    March 14 at 10:38pm
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    Deo Narain Sharma
    वाहहहहहहहलाजवाव सुन्दर भाव और रचना
    सुन्दर सृजन।वाहहहह
    March 14 at 10:38pm
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    रंजना नौटियाल
    वाह सर जी अति सुन्दर । हर शै के दो पहलू ।
    March 14 at 10:48pm
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    Jyotsna Saxena
    शानदार भावों से सजी उत्तम अभिव्यक्ति ,,,, नमन
    March 14 at 10:59pm
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    DrDamyanti Sharma
    वाह !! वाह !! बहुत सुंदर सृजन
    March 14 at 11:23pm
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    वसुधा कनुप्रिया
    नियति सबकी यहाँ है जुदा जुदा
    भरोसा खुद पर या जानता ख़ुदा..... वाहहहहह वाहहहहह, बहुत ख़ूब, आदरणीय कौल सर
    March 14 at 11:33pm
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    All via fb/ Yuva Utkarsh Sahityk Manch

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  3. Shivani Sharma
    नमन आपकी लेखनी को आदरणीय...
    March 15 at 12:07am
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    गुप्ता कुमार सुशील
    वाह्ह अति उत्तम लेखनी .....सुन्दर सृजन आदरणीयश्री
    March 15 at 12:55am
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    Shipra Shilpi नियति सबकी यहाँ है जुदा जुदा
    भरोसा खुद पर या जानता ख़ुदा.....

    सच कहा सर नियति यहां सबकी जुदा जुदाकिसको क्या मिला किस्मत की बात है वाह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह् बहुत बहुत और बहुत सुन्दर, अद्भुद, भावों की अनुपम अभिव्यक्ति ।वआह्ह्ह्ह् ।हार्दिक बधाई .
    Unlike • Reply • 1 • March 15 at 2:52am • Edited
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    Brahma Dev Sharma
    हर फूल की क़िस्मत है जुदा जुदा
    चढ़ा मन्दिर,तो कोई मसला गया. वाह्ह
    March 15 at 6:22am
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    Chanchala Inchulkar Soni
    वाहह्ह्ह् वाहह्ह्ह् लाज़वाब सृजन
    March 15 at 6:27pm
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    Deepshikha Sagar
    वाह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह् शब्द सार्थक हुआ सृजन से ....अतीव सुंदर शब्दालंकृत , खूबसूरत भाव लिए बेजोड़ लेखन .....नमन लेखनी को
    March 15 at 11:00pm
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    Pramila Pandey
    आ0अति सुंदर रचना बधाई
    March 15 at 11:12pm
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    Prince Mandawra
    शानदार वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह
    March 15 at 11:38pm
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    all via fb/Yuva Utkarsh Sahitik Manch

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