यह तन्हाई ,यह अकेलापन
जाने क्यूँ अच्छा लगता है
प्रेम का कोई बीज उगा
या जोग का रोग लगता है.
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Yeh tanhai, yeh akelapan
Jane kyun achcha lagta hai
Prem ka koyi beej ugga
Ya jog ka rog lagta hai.
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सर्वाधिकार सुरक्षित त्रिभवन कौल
राजेश श्रीवास्तव
ReplyDeleteFebruary 3 at 7:10am
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् वाहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् सर
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Prabhakar Pandit
February 3 at 11:03am
Very nice
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Jatinder Singh Bhogal
February 3 at 2:54pm
bahut khoob
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Ramesh Rai
February 3 at 7:18pm
अति सुंदर ।
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वसुधा कनुप्रिया
February 3 at 8:56pm
Bahut khoob, Sir
-------------------------via /fb
Manju Bhatnagar
ReplyDeleteBahut khoob
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रंजना नौटियाल
वाह जी
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नीलोफ़र नेहा
Bahut khoob Tribhawan Kaultribh ji
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via fb/purple pen
Tapeshwar Prasad
ReplyDeleteWah... Bahut khub!
The seed or the unity..
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Rajeshwer Sharma
बहोत उत्तम। दो ही तन्हा हैं इस प्रेम नागरी मैं
एक जोगी और दूसरा प्रेम रोगी।
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via fb/PSOI
Abhishek Dua
ReplyDeleteWah sir
------------------via fb/PAU February 3, 2016
Aparna Jha
ReplyDeleteसच में .
February 3 at 10:44am
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Jai Krishna
हृदय की एक बड़ी सच्ची अभिब्यक्ति ! यह तनहाई ही रचनाशीलता का स्रोत है. कविता इस तनहाई की ही उपज है और प्रेम ही सर्जन का बीज है. यह सम्पूर्ण संसार ब्रह्म की तनहाई में रोपे गये प्रेम-बीज से उत्पन्न एक वृक्ष है , इसे सम्पूर्ण रूप में देखना ही योग (कवि ने जोग लिखा है) है . छोटी सी कविता एक विस्तार समेटे हुये है . वाह !
---------------------------------------------------------------via fb/Poetry Society Of India