हॉस्पिटल !
बेपन्हा कष्टों और दुखों को देखा है मैंने
हस्पतालों में आसरा लेते हुए
लाचारी की भी हिम्मत देखी है मैंने
निराशाओं से टक्कर लेते हुए
आंसन नहीं रोगियों की मनोबल को समझना
जिन्दगी को भी देखा है मैंने
मौत के चंगुल से निकलते हुए.
एक नई दुनिया है यह , अपने में हर दर्द समेटे हुए
आशा निराशा में हर कोई त्रिशंकु बने हुए
जो जीत जाये यहाँ , बस वह मुस्कुरा देता है
जो हIर गया ,वह मौत को दुआ देता है.
----------------------------------------------
सर्वाधिकार सुरक्षित/मन की तरंग/2012/त्रिभवन कौल
Comments via Kavitalok/FB
ReplyDeleteOm Neerav Nov 21
.लाचारी की भी हिम्मत देखी है मैंने
निराशाओं से टक्कर लेते हुए
आंसन नहीं रोगियों की मनोबल को समझना
जिन्दगी को भी देखा है मैंने
मौत के चंगुल से निकलते हुए......... जीवन मृत्यु के संघर्ष को इतनी निकटता से या तो डॉक्टर देख सकता या फिर कवि ! ..... लेकिन उसकी सकारात्मक अभिव्यक्ति कोई आप जैसा धनि कवी ही कर सकता है ! आपकी लेखनी का अभिनन्दन
Via Kavitalok/FB
ReplyDeleteसंदीप कुमार पटेल Nov 21
बहुत सुन्दर रचना बधाई हो आदरणीय
Vikas Nema Nov 21
बहुत बढ़िया कहा है,त्रिभवन जी.
Comments via Kavitalok/FB
ReplyDeleteYamuna Prasad Dubey Pankaj Nov 21
bahut shandaar rachna,badhai
Rajesh Kumari Nov 21
जी इसी को जीवन चक्र कहे हैं --जो जीत जाये यहाँ , बस वह मुस्कुरा देता है
जो हIर गया ,वह मौत को दुआ देता है.
----बहुत गहन मार्मिक पंक्तियाँ किन्तु यही सच है ,बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति पर
Gautam Jain Nov 21
v.nice
----------------------------
Stark realities of our lives expressed powerfully and beautifully.
ReplyDeleteVia fb/Muktak Lok as on 03/04 May 2016
ReplyDelete---------------------------------------
Nirmla Kapila
त्रिभवन कौल जी सुन्दर रचना
पतझड़ बसंतो का सिलसिला है ज़िंदगी कभी इनायतें तो कभी गिला है जिंदगी।
आपकी रचना को समर्पित मेरी कविता की दो पंक्तिया।
June 3 at 1:15pm
-----------------------------------------------
Chhaya Shukla
वाह्ह्हह्ह
June 3 at 1:25pm
--------------------------------------
Via fb/Muktak Lok as on 03/04 May 2016
ReplyDelete--------------------------------------
Lata Yadav
आदरणीय
Tribhawan Kaul ji
नमस्कार
'कितनी आसानी से हँसकर कह दिया और चल दिये,
दर्द की दुनिया में जी कर देख लेते एक दिन,
रोज जीते रोज मर कर जिन्दगी की गोद में,
मौत से लड़ कर कभी थक जाएंगे हम एक दिन
हार्दिक शुभकामनाएँ आपको वीर जी
June 3 at 1:29pm
---------------------------------------------
Ramaniwas Tiwari
बहुत सुंदर वाहहहह
June 3 at 2:51pm
----------------------------------------------
Via fb/Muktak Lok as on 03/04 May 2016
ReplyDelete--------------------------------------
Om Narayan Saxena
अनुपम
June 3 at 3:13pm
-------------------------------
Shyamal Sinha
बहुत सुन्दर सृजन
June 3 at 5:24pm
-------------------------------
Yashodhara Singh
बहुत सुंदर सृजन आदरणीय
June 3 at 5:48pm
-------------------------------------
Kanti Shukla
अति सुंदर
June 3 at 5:53pm
--------------------------------------
हेमन्त कुमार कीर्ण
अत्यन्त मार्मिक चित्रण।
June 3 at 7:34pm
--------------------------------------
Veena Nigam
अत्यंत सुन्दर सृजन
June 4 at 2:56am
--------------------------------
Musafir Vyas
बहुत सुदंर आगाज सर
June 4 at 8:08am
-------------------------------
Snehprabha Khare
बहुत ही मार्मिक
June 4 at 8:55am
--------------------------------
Devkinandan Saini
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्
खूबसूरत सृजन
------------------------------------------------