खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में
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खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में
गुरुओं के द्वार पर, गीता कुरान में
मंदिर की घंटियों में, मस्जिद अज़ान में
जा जा के जिसे ढूंडा जीज़स के मकान में
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में...............
मिला न तू मुझे पंडित की दुकान में
ऊंचे पर्वतों स्थित तीर्थ स्थान में
फूलों से भी पूछा भौरों की जुबान में
बाज़ार में मिला न, ना ही शमशान में
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में...............
झुलसाता रहा मैं ज़िस्म को रेगिस्तान में
शायद मिले तू कंही किसी नखलिस्तान में
तम्मना थी मेरी बस, तुझसे जा मिलूं
रात दिन एक किये अंधी तूफ़ान मैं.
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में.................
झोपड़ियाँ छान मारी, छान मारे बंगले
दर दर भटकता रहा, साधुओं का संग ले
ना मिला मुझे कंही, ज़मीन आसमान में
जंगल में ना पाया, ना मूर्ति चटान में
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में................
गुरुओं के द्वार पर, गीता कुरान में
मंदिर की घंटियों में, मस्जिद अज़ान में
जा जा के जिसे ढूंडा जीज़स के मकान में
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में...............
मिला न तू मुझे पंडित की दुकान में
ऊंचे पर्वतों स्थित तीर्थ स्थान में
फूलों से भी पूछा भौरों की जुबान में
बाज़ार में मिला न, ना ही शमशान में
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में...............
झुलसाता रहा मैं ज़िस्म को रेगिस्तान में
शायद मिले तू कंही किसी नखलिस्तान में
तम्मना थी मेरी बस, तुझसे जा मिलूं
रात दिन एक किये अंधी तूफ़ान मैं.
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में.................
झोपड़ियाँ छान मारी, छान मारे बंगले
दर दर भटकता रहा, साधुओं का संग ले
ना मिला मुझे कंही, ज़मीन आसमान में
जंगल में ना पाया, ना मूर्ति चटान में
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में................
पता लगा मुझे तेरा. जब होश मैं खोने लगा
पास था मेरे हमेशा, ज्ञान यह होने लगा
इंसान का ही रूप धर, इंसानियत में बसा है तू
तू करम, प्यार, सेवा में, आभास यह होने लगा.
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में.................
करना क्षमा तू जो भी है,पहचान सका न मैं तुझे
मांगता हूँ बस यही कि एक जन्म और दे
खोजता रहा जिसे मैं सारे संसार में
रहा हमेशा मेरे संग आचार में विचार में
पास था मेरे हमेशा, ज्ञान यह होने लगा
इंसान का ही रूप धर, इंसानियत में बसा है तू
तू करम, प्यार, सेवा में, आभास यह होने लगा.
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में.................
करना क्षमा तू जो भी है,पहचान सका न मैं तुझे
मांगता हूँ बस यही कि एक जन्म और दे
खोजता रहा जिसे मैं सारे संसार में
रहा हमेशा मेरे संग आचार में विचार में
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में..................
-------------------------------------सर्वाधिकार सुरक्षित/ त्रिभवन कौल
(comments on the poem received via Delhi Poetree)
ReplyDeleteRajeev Nair 9:45am Nov 15
Brilliant poem Sir
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Tribhawan Kaul 11:06pm Nov 14
Bahut danyavaad Reeta Grover JI. Aapki panktiyan bahut hee sunder aur bhaavpoorn hai. Kripya sorry shabd ka istelmaal mat kiyejiye. Hridey se nikle ek us maalik ke babat udgaron kaa main samman karta hoon. Bahut hee sunder :)
Reeta Grover 12:54pm Nov 14
sorry tribhuwan ji, aap ki izazat ke bina kuch panktiya likh dee.apni bhawna ko rok nahi paaye.mujhe laga is vichar our bhawna se juri kuch punktiyan aap is sunder kavita ke ant mein jore.yeh kewal mera vichar hai .acha na lage to maaf karein. ati uttam kavita.
Reeta Grover 12:44pm Nov 14
agle janam me pehchanu tujhe aarmbh se, rakhun tujhe saath sada her karykram me.rakhna hai yaad milta hai tu anter mein , teri dikhaye raah dekhu her andhkaar mein, pa gya use jise main doondta ved puraan mein.
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Nirmala Shukla 6:18pm Nov 8
aapki kavita padkar kabir das ji ke pad ki yaad aa gai.
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Tribhawan Kaul 4:28pm Nov 8
Bhaut abhaar apka Ashok Lal jI. It is so nice of you to appreciate the poem. As an Indian I believe in re-incarnation theory. That is why I prayed/begged HIM to be with him next time if my karmas do not allow to be ONE in this present life. :)
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Sakshi Khanna 3:39pm Nov 8
sachmuch bht achhi h...ye kavita santoshi h...uttar h humare sawalo ka...bht adhbhut sir :)
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Ashok Lal 11:09am Nov 8
Tribhuvan ji, the poem is so well written that it leaves nothing more to learn about our spirituality. One wonders though why you have begged Him for ONE more life? Do you still believe that you will meet him in next "janma"?
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Deepak Sharga 9:10pm Nov 7
खोजता रहा जिसे मैं सारे संसार में
रहा हमेशा मेरे संग आचार में विचार में ..sacchai....
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Amit Dahiyabadshah 8:48pm Nov 7
Such a fine poem Trib Sahib one of your best Sir.
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(comments on the poem received via Kavitalok)
Shubhda Bajpai 6:12pm Nov 7
बहुत सुन्दर रचना आदरणीय
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Tribhawan Kaul 10:26am Nov 7
S.r. Pallav JI:- rachna main nootanta ka abhav shayad is liye lag raha hai kyunki yeh rachna aaj se 20 saal pahle likhi gayi thi aur us smay bahut sahari gayi thii. Aaj ke prevesh mein jab ki lekhkhon ne, kavion ne Ishwar ke madayam se hazaron kavitain likhi hai, us karan se is rachna mein naveenta ka abhaav zaroor lagta hoga. Pathakgan aur shrota hee is baat ko samaj sakten hai..bahut aabharri hoon. Rachna main ek naveenta hona zaroori hai aapki baat 100% sahi hai. Sprem :)
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Ashok Sahni 10:11am Nov 7
Thoughtful
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S.r. Pallav 10:09am Nov 7
यह ऊर्जा का अपव्यय नहीँ अपितु समुचित व्यय है । अनुभूतियोँ का शब्दांकन करने की क्षमता माँ शारदा की अनुकम्पा से ही मिलती है । हाँ कथ्य मेँ नूतनता नहीँ मिली जिसकी अपेक्षा थी ।
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Kanhaiya Tiwari 9:48am Nov 7
आदरणीय डॉ. प्रणयजी! निश्चित ही आप अब ऊर्जा संरक्षण वाली पोस्ट डालकर हम सबको कृतार्थ करेँगे।सादर प्रतीक्षित।
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Tribhawan Kaul 9:44am Nov 7
डॉ. प्रणय JI. Bahut danyavaad appne is rachna ko pada. Yehi mere liye anandayak hai. Kavi ko pathak milne chahiye. Bus. Han kavi jo dekhta hai, mehsoos karta hai wohi likhta hai. Main bhi aaj se 20 saal pahle yeh mehsoos kiya tha so likh dala. Sprem :)
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विनोद भारती 'वियग्र' 9:39am Nov 7
adarniye..naswar sansar main aadmi u hi bhatakta rehte h..apne bahut sundar dhang se samjhaya..aabhar
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Gumnam Kavi 9:38am Nov 7
आदरणीय डॉ. प्रणय जी, आपसे विनम्र निवेदन कि कवितालोक में आप अपनी रचित कोई ऐसी रचना पोस्ट करें जिसमें उर्जा का अपव्यय न हो। मुझे याद आ रहा है कि एक निवेदन मैंने आपसे एक बार पहले भी Kanhaiya Tiwari जी की पोस्ट पर किया था परंतु तब आपने स्वीकार नहीं किया था। आशा है कि इस बार निराश नहीं करेंगें। सादर‚
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Om Prakash Nautiyal 9:35am Nov 7
वाह, बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति है !!
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डॉ. प्रणय 9:27am Nov 7
* जो आप भी बचपन से सुनते -पढ़ते आ रहे हैं, .....उसे प्रसारित करने में उर्जा का अपव्यय क्यों ?
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Gumnam Kavi 9:24am Nov 7
खोजता रहा जिसे मैं, वेदों पुराण में..................
बहुत सुंदर रचनाǃ
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Yamuna Prasad Dubey Pankaj 9:14am Nov 7
wah adarneey,,jeevan darshan ka mool tatwa aapne bataa diya hai,,hum khud me nihit khuda ko kahan kahan talaashte rahte hain,,,jeevan ke rahasy se parda hataati ye rachna badhai ki patr hai,,aapko hardik badhai
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Rajneesh Tapan 8:44am Nov 7
वाह आदरणीय वाह ।कश्तूरी कुंडल बसे...चरित्रार्थ होती आपकी इस रचना मे।सुप्रभात
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Kanhaiya Tiwari 8:35am Nov 7
बहुत ही सुंदर सार्थक और बेहतरीन सृजन!सटीक विवेचन किया है आपने! हार्दिक बधाई!
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Kanhaiya Tiwari 8:35am Nov 7
बहुत ही सुंदर सार्थक और बेहतरीन सृजन!सटीक विवेचन किया है आपने! हार्दिक बधाई!
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Om Neerav 6:49pm Nov 7
.
खोजता रहा जिसे मैं सारे संसार में
रहा हमेशा मेरे संग आचार में विचार में ..... सार्थक सटीक दार्शनिक चिंतन के साथ धार्मिक विडंबनाओं पर तीक्ष्ण व्यंग है आपकी रचना में ! आपकी समर्थ लेखनी का अभिनन्दन !
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Raghunath Misra 11:36am Nov 27
ReplyDeleteहार्दिक बधाई और अनवरत श्रेष्ट सृजन की मंगलकामनाएं
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Sonia Gupta 11:27am Nov 27
भीतर ही रहता वो तो अपने इस मनमें
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via fb/Muktak Lok Nov 27,2015
Neelam Hasteer 12:12pm Nov 27
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ढंग से सच्चाई बयान करती ख़ूबसूरत पक्तियाँ ।
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via fb/Muktak Lok Nov 27,2015
Lata Yadav 1:52pm Nov 27
आदरणीय नमन आपको व हार्दिक शुभकामनाएँ
आपकी रचना से मुक्तांगन महक गया
काश समझ पाये कि "मोको कहाँ ढूढे रे बंदे मैं तो तेरे पास में
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via fb/Muktak Lok
Ashwani Kumar 2:08pm Nov 27
ReplyDeleteवाह्ह्ह ... बहुत खूब, सुन्दर सात्विक तथा भावपूर्ण सृजन I सादर I
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Pushp Lata 1:27pm Nov 27
वाह्ह्ह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह्ह्ह्
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via fb/Muktak Lok Nov 27, 2015
Via FB/TL/February 07, 2016
वसुधा कनुप्रिया
February 7 at 10:37pm
अनुपम सृजन!
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Shwetabh Pathak
February 7 at 11:11pm
वाह वाह वाह ! लाजवाब ! प्रसंशनीय
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Ravinder Jugran
February 7 at 11:21pm
उत्तम
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Jatinder Singh Bhogal
February 8 at 4:46am
बिखरा पड़ा है तेरे ही घर में तेरा वजूद बेकार महफ़िलों में तुझे ढूँढता हूँ मैं
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Ramkishore Upadhyay
February 8 at 6:29am
यह अंतर आत्मा की ओर अयन । स्वयं की खोज ।।यही मिकेगा वो जिसे ढूंढ रहा तू रोज ।अद्भुत संत प्रकृति का परिचय
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Himanshu Sahni
February 8 at 8:47am
Brilliant
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Jeetesh Vaishya
February 8 at 10:49am
Khoob umda
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Pushp Lata
February 8 at 11:53am
super
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Hari Lakhera
February 8 at 6:46pm
Very true.
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गुप्ता कुमार सुशील
February 9 at 2:49am
वाह्ह बहुत ही भावपूर्ण सृजन आदरणीय
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प्रदीप शर्मा
February 9 at 9:58am
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् लाज़वाब
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Shyamal Sinha
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति माननीय वाहहह वाहहह
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Lata Yadav
लाजवाब अभिव्यक्ति
--------------------------- via fb/Vish Hindi Sansthan/ February 7,2016
Tapeshwar Prasad
ReplyDeleteइंसानियत से रुबरूह होना हीं इंसानियत है .... अति उत्तम
---------------------------------------via fb/Kafia/ February 07,2016
Rajinder Singh Arora
ReplyDeleteShandar nazam janab
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Om Prakash Shukla
वाह वाह अद्भुत सृजन
अभिनन्दन वंदन है
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Mona Singh वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् अनुपम अति सुन्दर आदरणीय
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चंद्रकांता सिवाल
अतिउत्तम साधुवाद रूहानियत में लीं रचना बधाई नमन
--------------------------------via. FB/YUSM/February 08,2016
Main Hoon Ali
ReplyDeleteFebruary 15 at 12:57am
AATMA MILI MUJHE DIL KI DUKAN MEIN...............DHOONDHTA RAHA JISE VED O PURAN MEIN.................Unique writing sir.
-------------------------------via fb/2016
Comments via fb/TL-year 2018
ReplyDelete-----------------------------
Neelam Sahu
February 12 at 12:56am
नमन अतीव सुंदर
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Deepak Deep
February 12 at 8:06am
लाजवाब रचना आदरणीय
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Deepak Deep
February 12 at 8:06am
नमन
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Arun Dev Yadav
February 12 at 2:03pm
सुंदर रचना आदरणीय
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Main Hoon Ali
ReplyDeleteFebruary 13 at 1:23pm
बहुत ही सुंदर और प्रभावशाली रचना। मैं आश्चर्यचकित हूँ और दिल की अथाह गहराईयों से मुबारकबाद पेश करता हूँ।
---------------------------via fb/TL/2018