मत समझो दहशतगर्दी से ज़िंदगी हार गयी
एक दिन लाएगा रंग खून मासूमों का.
Mat samjho dahshatgardi se zindgi haar gaayi
Ek din layega rang khoon masoomo kaa.
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सरहद पार से आवाज़ है आई
साँझा चूल्हा जल नहीं सकता
माओं के आंसू सूख गए हैं
आज आटा गुंद नहीं सकता
Sarhad paar se awaaz hai aayi
Sanjha chulha jal nahi sakta
Maaon ke aansoo sookh gaye hain
Aaj aata gund nahi sakta.
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मौत से भी बदतर
यह कैसी मौत है
बाप के सामने पड़ा जिगर का लोथ है
"पहले दिया ही क्यों फिर लिया ही क्यों?"
ईश याद इसकी अब मेरे गले की जोत है.
Maut se bhee badtar yah kaisi maut hai
Baap ke same pada jaigar ka loth hai
“Phele diya hee kyun phir liya hee kyun ?”
Ish yaad iski ab mere gale mein bandi jot* hai.
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन कौल
जोत = चमड़े की पट्टी जो घोड़े या बैल के गले में हांकने
के लिए बांधी जाती है.
·
Chamde
kee pattiyan jog ode/bail ke garden mein gadi chalane ke liye bandi jati hai.
Dinesh K Vohra 11:46am Dec 19
ReplyDeleteSACH KAHA
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Facebook Today at 11:51 AM
ReplyDeleteTo
me
Seharyar Khan commented on a link you shared.
Seharyar wrote: "Beautifully presented"
Santosh Bakaya 12:01pm Dec 19
ReplyDeletepoignant...
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Main Hoon Ali 12:05pm Dec 19
ReplyDeleteBahot dard hai dear Tribhawan Kaul ji.
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Vijay Varma Ajanabee 6:44pm Dec 19
ReplyDelete(15) गर छोड़ सरहदों की राजनीती ए मेरे सियासी दोस्तों -
तो इन्सानियत और खुद ख़ुदा भी तुम्हे चूमने आयेंगे दोस्तों
(16) न खिंची जाती सीमा रेखाएं- न कभी भी राष्ट्र-द्रोह होतादोस्तों
गर आदमी अबतलक आदमी बन गया होता दोस्तों
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Vijay Varma Ajanabee 6:43pm Dec 19
(26) तुम्हारे जीस्म में भी लाल खून है दोस्तों कभी तो ख़ुद के अंदर झाँककर देखो दोस्तों
कभी तो हमारे पास आकर भी देखो दोस्तों
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Narendra Rai 12:10pm Dec 19
♥
Jeetesh Vaishya 7:43pm Dec 19
ReplyDeleteBahut hi umda sir
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प्रियंका पांडे 8:44pm Dec 19
ReplyDeleteबेहतरीन समसामयिक रचना Tribhawan Kaul सर
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प्रियंका पांडे 8:46pm Dec 19
ReplyDeleteआज कुछ बस्ते,
घर नहीं जायेंगें।
आज कुछ सपने,
सदा के लिए सो जायेंगें।
कल धरती हमारी थी,
पर हथियार तुम्हारे थे।
आज धरती भी तुम्हारी है,
हथियार भी तुम्हारे हैं।
वो 26/11 था,
आज 16/12 है।
हमें दुःख कल भी था,
हमें दुःख आज भी है...!
☝
रहे दिलों में मुहब्बत बस,
हटे दुनिया से दहशत अब।
पेशावर में मारे गए सैकड़ों मासूम स्कूली बच्चों को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि !
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Kiran Sharan 8:46pm Dec 19
याद इसकी...
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Vinayak Suman 9:00pm Dec 19
ReplyDeleteऔर दहक जाएगा उन बेरहमों का संसार ऐसी होगी कुदरत की मार
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Ramkishore Upadhyay 10:31pm Dec 19
ReplyDeleteसत्य कहा आपने..
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Shailesh Gupta 1:42pm Dec 20
ReplyDeleteबेहद स्ंज़ीदा...अंदाज़-ए-बयां.....
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Soumya Mohanty Vilekar 3:18pm Dec 20
ReplyDeleteek maarmik prastuti
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savi0301 Yesterday, 21:22
ReplyDeletewhen there is darkness in each and every house, who will wipe others tears???
emotion filled poem dear TK, hope the world learns from such incidents and come together ..........
via verdurez
Babu 38 minutes ago
ReplyDeleteThis incident is an eye opener how terrorists can ruthlessly behave. The
person who master minded is said to have been killed in an air attack. He himself had 3 children, it is an irony.
Good poem, TK....
via verdurez
Hari1941 28 minutes ago
ReplyDeleteSoul searching poem. I hope it does not escalate. There are news that they may attack again if their associates are harmed in any manner.
via verdurez
Nida Aftab 1:18pm Dec 21
Bahut khoob
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Rakesh Chandra Awasthee 8:26pm Dec 20
behad steek bahut khoob
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(Aroona Reejhsinghani) 2:57pm Dec 21
ReplyDeletetouching lines , nice poem
Via fb/admin of AAI.