मुक्तक/ Muktak
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अलसाई सी आँखों में यह कैसा निमंत्रण है ?
सुर्ख होंठ दांतों तले क्यूँ आने को आतुर है ?
प्यार का आलिंगन तब कितना मधुर होगा
जब नैनों से काजल चुराने को कोई तत्पर है.
Alsaaee see ankhon mein yeh kaisa
nimantran hai
Surkh honth daanton tale kyun aane ko
aatur hain
Pyar ka aalingan tab kitna madur hoga
Jab naino se kaajal churane ko koyi
tatpar hai
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आड़ी
तिरछी रेखाओं में यह जिंदगी उलझी है
तभी
तो एक धड़कन दूसरी धड़कन से कहती है
मेरे
बाद तुमको धड़कना ही होगा, मेरी बहन
वर्ना
मौत बेखबर जीवन को, क्षण में डस लेती है.
Aadi
tirchi rakhaon mein yah zindgi ulji hai
Tabhi
to ek dadkan doosri dadkan se kahti hai
Mere
baad tumko dakana hee hoga, meri bahen
Verna
maut bekhabar jeevan ko, kshn men das leti hai.
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क्या
भाषा क्या जाती, क्या कुल क्या धर्म भेद
त्यागो
सब एक करो, कुरान बाइबिल गुरुबाणी वेद
कल
के साए में क्यूँ ,आज की अर्थी निकली जाती है ?
इतिहास
को क्यूँकर अवसर दें, वह जताए कल फिर खेद.
Kya
bhasha kya jaati, kya kul kya dharm bhed
Tyago
sab ek karo, Kuran Bible Gurubani Ved
Kal
ke saaye mein kyun, aaj ki arthi nikaali jaati hai
Itihaas
ko kyunkar avasar dein, vh jataye kal phir khed.
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दुःख, तू भी कभी ग़मज़दा हो, तो तुझे मालूम हो
ख़ुशी भी कोई शह है जहाँ में, तुझे मालूम हो
तेरा आगमन बेशक, लाता है वेदनाओं का तूफ़ान
जिंदा है ईश्वर तेरी वजह से ही, तुझे मालूम
हो.
Dukh, too bhi kabhi gamzada ho, to tujhe
maloom ho
Khushi bhi koyi shah hai jahan mein,
tujhe maloom ho
Tera aagman beshak, laata hai vednaon
kaa tufaan
Zinda hai ishwar teri vajah se hee,
tujhe maloom ho.
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सर्वाधिकार सुरक्षित/त्रिभवन
कौल
Kameshwari Kulkarni commented on your status.
ReplyDeleteKameshwari wrote: "Thank u Tribhuwan ji for treating us to such beautiful lines.was a pleasure understanding each line intently..."
(via facebook dt.15-10-2013
(Comments received on first Muktak via Kavitalok)
ReplyDeleteKalicharan Singh वाह आदरणीय।लाजवाब रचना ।श्रंगार रस में डूबी रचना पढकर आनंदित हूँ।सादर बधाई।
September 27 at 4:38pm via mobile
Mukesh Kumar Pandya सरस है
September 27 at 4:40pm via mobile
Om Neerav .
बहुत सलीके से प्रणय को अभिव्यक्ति दी है ! वाह !!!!!!!
September 27 at 5:21pm •
अतुल सती अक्स Waahh!!!!!!!!
September 27 at 5:30pm •
September 27 at 7:40pm •
Nilesh Shevgaonkar वाह
September 27 at 7:41pm •
Richa Dixit waah
September 27 at 8:05pm •
Kumari Nilam अति सुंदर
September 27 at 8:08pm •
Kanhaiya Tiwari बहुत ही सुँदर और सलीकेदार कहन आपकी आदरणीय कौल सर जी! बधाई आपको आदरणीय!
September 27 at 8:38pm via mobile •
Santosh Kumar Srivastava अलसाई सी आँखों में यह कैसा निमंत्रण है ?
सुर्ख होंठ दांतों तले क्यूँ आने को आतुर है ?.....................वाह आदरणीय वाह क्या शिल्प में सधी हुई चतुष्पदी है आपकी भाव भी आकाश छू रहे है ..बधाई आपको आदरणीय
September 27 at 8:42pm •
Anoop Shukla बहुत ही सुन्दर ।
September 27 at 9:51pm via mobile
C.m. Upadhyay सुन्दर ....
September 28 at 12:21am •
Pradeep Pareek Waah ... bahut khoob ...
September 28 at 12:29am •
धीरज श्रीवास्तव आदरणीय त्रिभुवन कौल सर! वाह! अत्यन्त खूबसूरत प्रस्तुति दी है आपने कवितालोक के पटल पर अपनी इस चतुष्पदी के माध्यम से! प्रणय का माधुर्य शब्द शब्द से फूटकर बह रहा है पाठक के हृदय मेँ, आपकी इस रचना से! बड़ी ही मोहक कल्पना प्रणय की, की है आपने सुन्दर शब्दोँ के साथ! वह भी बड़े सलीके से! इस सुंदर आनंदमयी रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई एवं सादर नमन।
September 28 at 12:41am via mobile •
Sunil Gupta waah
September 28 at 11:04am •
Mohd Moosa Khan Ashant Sundar abhivykti wah
September 28 at 1:21pm via mobile.
Dk Nagaich Roshan Wahhh... Bahut sunder abhivyakti...
September 28 at 2:39pm •
Chidanand Shukla बहुत खूब सुंदर प्रभावशाली चतुष्पदी वह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
September 28 at 5:06pm •
Vinita Surana बहुत सुन्दर !
September 29 at 12:50am •
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ReplyDelete( comments received on second muktak via kavitalok)
Deepak Shukla apke sundar shabdo ne ek bahut hi sundar kriti ko janm diya hai manyvar!! apko barmbar namskar!!
September 20 at 9:10pm •
सीमा अग्रवाल वाह कितनी सूक्ष्मता से बात कही है कॉल जी
तभी तो एक धड़कन दूसरी धड़कन से कहती है
मेरे बाद तुमको धड़कना ही होगा, मेरी बहन///क्या बात है
September 20 at 9:12pm •
Rajneesh Tapan बहुत सुंदर,आदरणीय
September 20 at 9:13pm via mobile •
Rajneesh Tapan बहुत सुंदर,आदरणीय
September 20 at 9:13pm via mobile •
Kanhaiya Tiwari बहुत ही खूबसूरती से आपने जीवन और उसके जीने का ढँग बताया है।बधाई आपको।
September 20 at 9:30pm via mobile •
Mohd Moosa Khan Ashant सुंदर अंदाज़ सर जी वाह वाह लाजवाब
September 20 at 9:53pm via mobile •
Ashok Awasthi सुदंर चतुष्पदी
September 20 at 10:35pm •
अतुल सती अक्स Wahhh!!!!!!!1
September 20 at 11:20pm •
Shubhda Bajpai वर्ना मौत बेखबर जीवन को क्षण में डस लेती है --बहुत खूब आदरणीय
September 20 at 11:24pm •
Pradeep Pareek Waah ... Bahut khoob ... kya kahne ...
September 20 at 11:40pm •
Richa Dixit wah
September 21 at 12:38am •
Dk Nagaich Roshan WAAHHHHH...... bahut hi sunder soch.... sunder abhivyakti.... bahut badhayi aapko
September 21 at 1:34am •
Pramila Arya waaah bahut sundar abhivyakti
September 21 at 2:35am •
Om Neerav धड़कनों का जीवन से रिश्ता क्या खूब दिखाया है आपने ! धड़कनों के मानवीकरण के साथ आपकी बिम्ब योजना मन को मुग्ध कर गयी , Tribhawan Kaul जी ! मैंने आपके मुक्तक को कई बार पढ़ा है , बहुत आनंद आया !
बहुत बहुत बधाई !
September 21 at 8:02am •
S.r. Pallav शुभ प्रभातम । शिल्प से बहर पर सधी श्रेष्ठ रचना । अच्छे भाव के साथ सुन्दर शब्द संयोजन ।
September 21 at 8:08am via mobile •
SP B Yadav Aadarniya aapka andaze bayan niral hai. bahut aanupam prastuti.
September 21 at 8:24am •
Santosh Kumar Srivastava आड़ी तिरछी रेखाओं में यह जिंदगी उलझी है
तभी तो एक धड़कन दूसरी धड़कन से कहती है..............भावनात्मक अभिब्यक्ति को नमन
September 21 at 8:30am •
धीरज श्रीवास्तव आदरणीय त्रिभुवन कौल सर! वाह अतिसुन्दर चतुष्पदी प्रस्फुटित हुई आपकी समर्थ लेखनी से! सुन्दर भावोँ से ओत प्रोत,सारगर्भित, कहने का सुंदर ढ़ंग इस रचना को श्रेष्ठ बनाता है! सादर बधाई एवम नमन आदरणीय।
September 21 at 9:09am via mobile •
Prahlad Pareek ati uttam
September 21 at 9:33am •
Laxmanprasad Ladiwala जिन्दगी की हकिकत बया करती अच्छी रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री त्रिभुवन कौल साहब | सादर
September 21 at 9:42am •
Om Prakash Nautiyal वाह , बहुत खूब !
September 21 at 11:50am •
Narayan Das Gupt वर्ना मौत बेखबर जीवन को, क्षण में डस लेती है.wah bahut khoob aadarniy
September 21 at 12:36pm •
Nirmala Joshi Adarneey Tribhawan Kaul ji
बहुत ही खुबसूरत रचना ...मेरे बाद तुमको धडकना ही होगा ..
क्या खूब कहा है आपने ।धड़कन है तो जीवन है ।धडकन और जीवन का सम्बन्ध बखूबी उभर आया है ।बधाई आपको तथा नमन ।
September 21 at 1:05pm via mobile •
Sahaj Sahaj परम सत्य की पेशकश. बधाई.
September 21 at 1:16pm • Unlike • 1
Shashi Kant Pathak सुन्दरम ----- अतिसुन्दरम , सादर नमन सर जी
September 21 at 3:54pm • Like
Harish Prathwani WAH WAH WAH SHANDAR
September 21 at 3:55pm via mobile
Abhishek Jain वाहहहहह बहुत खूब
September 21 at 3:56pm via mobile •
C.m. Upadhyay सुन्दर
September 21 at 7:45pm •
ReplyDelete( Comments received on third muktak via kavitalok)
Siddhant Bajpai सटीक व सुंदर रचना...वाह
September 13 at 12:44pm via mobile •
Rajneesh Tapan बहुत वाजिब चिँता है आपकी चतुष्पदी मे,आदरणीय नमन।
September 13 at 12:44pm via mobile •
S.r. Pallav हिन्दी मेँ है सरल अति कहना अपनी बात । भाव झरेँ कुछ इस तरह जैसे झरे प्रपात ।।
September 13 at 12:46pm via mobile •
Nirmala Joshi कल के साये में क्यू आज की अर्थी निकली जाती .....
बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर चतुष्पदी ।
September 13 at 12:51pm via mobile •
Kanhaiya Tiwari हिँदी के प्रति पूर्ण रूपेण समर्पित आपके ये शब्द महान है। मजहब और जाति धर्म तथा भाषावादिता यदि इसी प्रकार हावी रही तो देश के विकास की तो बात दूर हम विकास का स्वप्न भी नही देख सकते और ये तभी सम्भव है जब हमारी हिँदी भाषा को उचित सम्मान मिले। बधाई स्वीकारेँ मान्यवर।
September 13 at 12:55pm via mobile •
Om Prakash Nautiyal बहुत सुन्दर , सार्थक और प्रभावशाली चतुष्पदी है !
September 13 at 12:58pm •
Shashi Bhushan Jauhari बहुत सटीक परामर्ष
September 13 at 12:58pm •
Kalicharan Singh वाह आदरणीय लाजवाब अभिव्यक्ति।वास्तव में चेतने का समय अभी ही है नहीं तो देर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।।
September 13 at 3:41pm via mobile •
सीमा अग्रवाल सद्भाव और सद्विचार हेतु बधाई
September 13 at 3:51pm • Unlike • 2
अतुल सती अक्स Bahut Sunder Rachnaa.... Chetna jagaatii...is rachna ko Naman..
September 13 at 4:23pm •
Shubhda Bajpai बहुत सुन्दर आदरणीय
September 13 at 7:27pm •
Rajkumar Chunni Sharma अच्छी भावना है .....
September 13 at 10:03pm •
Pradeep Pareek Waah ... Waah ... Bahut sundar bhaawon se bhari aap ki khoobsoorat chatushpadi ke liye Badhai ...
September 14 at 12:41am •
Anita Mehta Waah bahut sunder..
September 14 at 12:43am •
C.m. Upadhyay सुन्दर भाव
September 14 at 2:18am •
Pramila Arya bahut sundar bhavabhivyakti waaah
September 14 at 6:00am •
SP B Yadav बहुत सुन्दर प्रस्तुती ।
September 14 at 8:46am •
Om Neerav अद्भुत अनुपम पर्स्तुती !
September 14 at 9:57am •
Vinita Surana वाह्ह्ह्हह्ह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
September 14 at 11:59am •
Laxmanprasad Ladiwala आपसी भेद सम्पाप्त करने के सुन्दर सन्देश देती अच्छी रचना के लिए बधाई
September 14 at 12:00pm •
Ashok Awasthi SAARTHAK SANDSH
September 14 at 3:43pm •
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ReplyDelete( Comments received on fourth muktak via kavitalok)
Om Prakash Nautiyal बहुत सुन्दर , सार्थक और प्रभावशाली चतुष्पदी है !हार्दिक बधाई ।
September 6 at 12:02pm •
अतुल सती अक्स Umda!!!!!!!!!!!!!
September 6 at 12:33pm •
Kanhaiya Tiwari बहुत ही लाजवाब कहन है आपकी आदरणीय! विरोधाभासी अलंकार ने चुम्बक का कार्य किया! अनायास ही कई बार पढा! यदि दु:ख दर्द और गम दुनिया से खतम हो गये तो फिर ईश्वर का अस्तित्व? ..... वाह!
September 6 at 1:24pm via mobile •
Rajesh Kumari आदरणीय त्रिभुवन कौल जी बहुत सार्थक मुक्तक हुआ सच कहा दुःख नहीं होंगे तो सुख को कौन पहचानेगा ,बहुत बहुत बधाई आपको
September 6 at 1:30pm •
Vinita Surana वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत गहरी व सार्थक बात कही है आपने ....बहुत उम्दा !
September 6 at 3:01pm via mobile •
Vijay Kumar Pandey Waaah. Bahut sundar chatushapadi. Badhai.
September 6 at 3:05pm via mobile •
सीमा अग्रवाल दोनों तरफ dollar खड़े कर दिए त्रिभवन जी रचना वैसे ही महंगी हो गयी
तेरा आगमन बेशक, लाता है वेदनाओं का तूफ़ान
जिंदा है ईश्वर तेरी वजह से ही, तुझे मालूम हो ....वाह सच में अनमोल बात कह दी .....इश्वर की सत्ता मज़बूती से इस दुःख की वजह से ही कायम है
दुःख के ग़मज़दा होने की कल्पना रोचक लगी
September 6 at 3:32pm •
Anita Mehta वाह एक खुबसूरत सत्य .
September 6 at 4:00pm •
Deepak Shukla bahut hi sundar shabd!! manyvar!!
September 6 at 8:12pm •
Tribhawan Kaul सीमा अग्रवाल jI: Bahut he sunder dang se aapne meri chatushpadi ke marm ko bayaan kiya hai....tehadil se shukriya aapka
Kalicharan Singh वाह आदरणीय ।लाजवाब आपका चिन्तन।इस भावपूर्ण प्रस्तुति के लिये हृदय से आपको बधाई।सादर।
September 6 at 8:36pm via mobile •
Dk Nagaich Roshan WAAHHHH....bahtu hi sachchi baat kahi hai aapne is shandaar muktak me...bahut umda
September 6 at 8:41pm •
बृजभूषण गोस्वामी wah जिंदा है ईश्वर तेरी वजह से ही, तुझे मालूम हो .wah
September 6 at 8:46pm .
Narayan Das Gupt दार्शनिक चिंतन से परिपूर्ण रचना बहुत बहुत बधाई आदरनीय
September 6 at 10:16pm •
Prahlad Pareek badhiya
September 6 at 10:52pm •
Ashok Sahni Behtreen
September 7 at 1:11am •
Sumitra Pareek ati sundar
September 7 at 7:14am •
SP B Yadav बहुत अनुपम रचना ।
September 7 at 8:30am •
Pramila Arya bahut sundar aur satya lahaa aapne dukh nahin honge to sukhaanubhuti kaise kar paayenge wah
September 7 at 9:09am •
डॉ आशुतोष वाजपेयी bahut badhiya rachna waah
September 7 at 1:05pm •
Rajesh Kummar Sinha बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
September 7 at 6:06pm • Like
Ajay Kumar Chaudhary ati sunderam.......!
September 7 at 7:06pm •
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अलसाई सी आँखों में यह कैसा निमंत्रण है ?
ReplyDeleteसुर्ख होंठ दांतों तले क्यूँ आने को आतुर है ?
प्यार का आलिंगन तब कितना मधुर होगा
जब नैनों से काजल चुराने को कोई तत्पर है.
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Via fb/Purple Pen April 2016
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Ramesh Pathania
Bahut khoob
April 23 at 12:01pm
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रंजना नौटियाल
सुन्दर श्रृंगार रस ।
April 25 at 3:07pm
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नीलोफ़र नीलू
Waah! Bahut khoob janab Tribhawan Kaul ji😊👌
April 26 at 7:52am
via fb/ Purple Pen. May 2016
ReplyDelete--------------------------------
वसुधा कनुप्रिया
May 2 at 7:45am
Bahut khoob aadarniya Kaul Sir. Agar hum aisa kuch likhte hain to log aakar puchhcte hain "kahan se aate hain aise ideas"... gender bias I see in writers too. Very sad. I wish that seniors like you raise voice in this regard.
Tribhawan Kaul
Deleteबहुत सही कहा आपने वसुधा कनुप्रिया जी. शायद इसका कारण यही हो सकता है की केशव, बिहारी, रसखान जैसे श्रृंगार रस के महाकवि सभी पुरुष थे ही और आधुनिक काल में श्रृंगार रस को कभी कभी लिखने वाले भी गिने चुने ही हैं वह भी पुरुष जैसे नीरज, दिनकर, निराला लेकिन विड़म्बना यह रही की महिला कवियत्री रूप में कोई श्रृंगार रस में शायद ही किसी ने लिखा या किसी ने लिखा भी हो मुझे ज्ञात नहीं। पर यह सही है की हमारी मानसिकता अभी तक पुरुष प्रधान ही रही है. यदि यही चतुष्पदी किसी कवियत्री ने लिखी होती तो तरह तरह की अटकलें लगाईं जाती , आक्षेप और आरोप भी लगाए जाते। इस मानसिकता को बदलना ही होगा आज नहीं तो कल. Yes we as a writer have to raise our voice to create awareness that poets whether a man or a woman, has every right to express her feelings relating to all rasas given in kavyashastra.
Kavita Bisht
ReplyDeleteबहुत लाजबाब सर।
--------------via purple pen May 02, 2016