Wednesday, 21 August 2013

कवि की पत्नी
-----------------
एक बार जाने क्या सूझी
पत्नी को जो पास बुलाया
बड़े प्यार से बड़े प्रेम से
गम्भीर हो यह समझाया …1

"हे देवी, हे मुन्ने की जननी
सुनो ध्यान से मेरी संगनी 
कवि मैं हूँ  तुम कविता मेरी
मैं कलाकार, तुम प्रेरणा मेरी..2

तुम चाँद तो सूरज मैं हूँ,
तुम गुलाब तो पंकज मैं हूँ  
तुम शबनम तो पत्ता मैं हूँ,
तुम मोरनी तो सावन मैं हूँ….3

तुम माटी की सुंदर मूरत सी 
मैं कुम्हार का एक खिलौना 
तुम चादर मखमल सरीखी
मैं नर्म नर्म एक बिछौना……..4

मैं साइकिल का हूँ एक पहिया 
तुम उसकी चमकीली तारें
तुम आसमान की चंचल बिजली
मुझ सरीखे बादल कारे ………… 5

तुम ईश्वर का एक करिश्मा 
मैं कुदरत का एक नमूना 
मैं पर्वत तो तुम गिरता झरना 
तुम कुची तो मैं हूँ चूना …………….6

मैं लोकी तो तुम हो कद्दू
तुम बुद्धिमान और मैं बुद्दू 
तुम नारंगी , संतरा मैं हूँ
तुम गीत तो अंतरा मैं हूँ………………..7

तुम डार-डार
मैं पात -पात 
तुम आगे आगे 
मैं साथ साथ …………………………….8

यह प्रलाप सुन वह घबराई 
मांग के थर्मामीटर लाई 
हे भगवान, यह क्या हो गया
दिमाग पति का किधर खो गया ?.....9
क्या तुम कुछ बौरा गए हो ?
या कुछ खा चकरा गए हो 
अच्छा मैं मैके नहीं जाती 
ठीक हो जाओ मेरे साथी………………..10

पागलपने की छोड़ो बातें 
आओ हिलमिल काटे रातें 
लोग कंहे तुम कवि बने हो 
मैं कहती पागल हुए हो………………..11

यह सुन दिल मेरा जला
इच्छाओं पर पानी पड़ा 
पहली कविता थी यह भाई 
तभी समझ मैं बात यह आई
क्यूँ कविगण पत्नी से भागे 
पोथा ले एकांत को साधे 
कवि की पत्नी विपदा होती है ?
असली पत्नी कविता होती है………….. इति
-------------------------------------------------------------

सर्वाधिकार सुरक्षित/सबरंग-२०१०/त्रिभवन कौल

3 comments:

  1. Facebook comments on the poem:
    Anupama Dafre, Nalini Priyadarshni, Ahsan Khan and 14 others like this.

    Aparna Pathak haha....wah... .bahut khoob........soooooooo good ...and sooooooooo hilarious......
    August 21 at 11:44am · Unlike · 1

    Mishra Yogytaa
    August 21 at 11:52am · Unlike · 1

    Mishra Yogytaa
    August 21 at 11:52am · Unlike · 1

    Shahzia Batool what..is...this
    August 21 at 12:02pm · Unlike · 1

    Hasmukh Mehta chalo ek or kavita aap ke support me.. alag se bhi prakashit hogi..बात में दम कम है

    कवी का मन निराला
    पर क्या करे अबला ?
    एक ही पती है
    वरना उनको बनना तो सती ही है

    वो बाण साधते है
    पर रुक से जाते है
    नहीं बनता उनसे निशान अंकित करना
    पर सिर्फ जानते है अपने आपलो कलंकित करना

    पत्नी जानती है "ये मस्का मार रहे है"
    अपनी मार दुसरे पे जाहिर कर रहे है
    कितनी तितलिया सवार हे उनके दिमाग में
    बताना चाहते है में ही हु उनके विचारों में

    पर ये विवश कभी नहीं
    निराशा के सुर ये बांधते नहीं
    पकडे जाय तो कह देते है "तुम ही तो हो मेरे बंदगी"
    वरना जहन्नुम है ये पूरा दोजख और जिन्दगी

    असल मसला कही और है
    कवी के मन में शोर है
    किसी ओर अबला के वो अभिलाषी है
    घरवाली के सामने मितभाषी है

    अहर्निश अपनी कविता में राचते रहते है
    गुनगुनाते और आकश की और देखकर कहे रहता है
    मानो चाँद उनकी जागीर और तारे सम्बन्धी है
    घरवाली को क्या पता पडेगा वो तो अकल से अंधी है

    उनका दिल कहता है "में डाल डाल चहुंकू "
    मोर जैसी कला करकर बार बार टहूँकु
    "पर वो ऐसा कर नहीं सकते" इसका गम है
    पत्नी का जिक्र जरुर है पर बात में दम कम है
    August 21 at 12:08pm · Edited · Unlike · 1

    Himanshu Sahni Wah wah kya baat kahi hai
    August 21 at 12:14pm via mobile · Unlike · 1

    Kalpana Shah yeh baat hamare ghar ki keh di.. jab khana achha bnta hai to shaq unko mere kavita sunane pe hota hai
    August 21 at 5:27pm · Unlike · 1

    Hasmukh Mehta kavita ho to sarita ho, bahte ho to kavita ho, khana dena aapka kaam hai, suno to thik na suno to gam kam hai... hahahahah
    August 21 at 5:33pm · Unlike · 1

    Sushil Fotedar 'असली पत्नी कविता होती है'...वाह,क्या बात है!!

    एक सुंदर हास्य-कविता!
    August 21 at 6:36pm · Unlike · 1

    Tribhawan Kaul Hasmukh Mehta JI.....असल मसला कही और है
    कवी के मन में शोर है
    किसी ओर अबला के वो अभिलाषी है
    घरवाली के सामने मितभाषी है.....is abhivyakti se shayad main sahmat na ho sanku par kavita aapne bahut hee sunder likhi hai.
    August 21 at 8:29pm · Like · 2

    Tribhawan Kaul Hasmukh Mehta jI aapka dhyaan mein kavita ke akhrir se doosri pankti ki aur dilana chanhuga janha maine ant main ? chinh lagaya hai. Ab yeh mein apne pathko par chodta hoon ki ve iska kya arth lagate hai. .....Ha ha ha...
    August 21 at 8:32pm · Like · 1

    Tribhawan Kaul Thank you all dear friends for reading and enjoying the poem, liking it and commenting on it. Stay blessed.
    August 21 at 8:33pm · Like

    Pranesh Nagri Bahut sundar.
    August 21 at 9:02pm · Unlike · 1

    Nalini Priyadarshni Kia baat hai,
    August 21 at 9:38pm · Unlike · 1

    Anupama Dafre Beautiful, blessed is the beloved who is the muse of the poet and it is also imperative that she is not as poetic as the poet, else the poems would never reach the world, poetry would remain only a part of the romance between the two. And if the muse understood, what would the poet write about ? Loved the poem, Tribhawan ji....
    3 hours ago · Unlike · 1

    Tribhawan Kaul Thanks you so much Anupama JI. I fully agree with you. Stay blessed
    a few seconds ago · Like

    ReplyDelete

  2. Shahbaz Khan commented on your status.
    Shahbaz wrote: "Mujhe Dr. Sunil Jogi ki kavita yaad aa gai... Mushkil hai apna mel priye, ye pyar nahi hai khel hai priye, tum M.A first division ho, mai hua matric fail priye..... Nice sir.

    via Facebook/23-08-2013

    ReplyDelete
  3. Comment via facebook

    Pawan Amba commented on your status.
    Pawan wrote: "मैं साइकिल का हूँ एक पहिया तुम उसकी चमकीली तारें तुम आसमान की चंचल बिजली मुझ सरीखे बादल कारे ………… 5..puri jindagi ke anubhav daal diye sir.....Bahut achhi likhi ....beech beech mei isi tarah kuch likh diya karo sir.."

    ReplyDelete