Sunday 24 September 2017

चिंता निवारक (लघुतम कथा)

चिंता निवारक (लघुतम कथा)
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एक मानवी थी।  एक मानव था। एक प्रेयसी बनी दूसरा प्रेमी बना। प्रेम भरे  विलक्षण से संसार में एक दुसरे को समन्वेषण करते हुए वह दोनों  रंगीन  सपनो के बागीचे में विचरण करने लगे।  प्रेयसी से पत्नी और प्रेमी से पति बनने तक का काल उन दोनों के लिए सबसे सुखद और मधुमासीय रहा। इसके बाद का काल दोनों के लिए तो अनिश्चित काल की परिभाषा को ही सार्थक करने लगा । कब , क्या, कैसे , क्यों , कहाँ , कौन  इन सब  प्रश्नो की सुरंगों में उत्तर  ढूँढ़ते , ग्रहस्थी के भवँर से  दोनो झूझते रहे। प्रेम -नफरत, आशा -निराशा, विश्वास -अविश्वास, दुःख -सुख  के घेरों से  सफलतापूर्वक बाहर निकल आने को आतुर दोनों लेखन की दुनिया में प्रवेश  कर गए। लेखन, एक सक्षम चिंता  निवारक राम बाण। 
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सर्वाधिकार सुरक्षित /त्रिभवन कौल

5 comments:

  1. All comments via fb/Purple Pen
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    Rajesh Srivastava
    सुन्दर ,सार्थक सृजन ,सराहनीय
    Sep 24 at 2:21pm
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    नीलोफ़र नीलू
    बेहद सार्थक व सुंदर सृजन आदरणीय कौल साहब😊💐👌
    Sep 24 at 3:20pm
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    वसुधा कनुप्रिया
    सार्थक सृजन आदरणीय । अंग्रेज़ी में कहा जाता है "राइटिंग इज़ थैराप्यूटिक"। आपने एक रामबाण नुस्ख़ा दे दिया । सादर नमन
    Sep 24 at 3:52pm
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    Indira Sharma
    Ek or Tulsi das .anupam srijan
    Sep 24 at 4:34pm

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  2. All comments via fb/TL
    रकमिश सुल्तानपुरी
    वाह संक्षिप्त परन्तु अथाह भाव समेटे हुये सारगर्भित
    Sep 24 at 1:39pm
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    वसुधा कनुप्रिया
    इस रचना की जितनी प्रशंसा करें कम है । सादर नमन आदरणीय
    Sep 24 at 4:35pm
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    Vishal Narayan
    क्या बात है
    आपने तो लाखों की
    आंखें खोल दीं....
    बहुत खूब आदरणीय....
    Sep 24 at 4:45pm
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    Ramkishore Upadhyay
    अति सुंदर
    Sep 24 at 5:47pm
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  3. All comments via FB/YUVA उत्कर्ष साहित्यिक मंच
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    Sonia Gupta
    😊👌👌वाह सर ! अति सुन्दर सृजन!
    Sep 24 at 2:51pm
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    Kviytri Pramila Pandey
    बहुत खूब
    लेखन एक सक्षम चिंता निवारक राम बाण --- बधाई आदरणीय
    Sep 24 at 2:54pm
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    Deo Narain Sharma
    "प्रेयसी से पत्नी और प्रेमी से पति बनने तक का काल उन दोनों के लिए सबसे सुखद और मधुमासीय रहा।"

    " इसके बाद का काल दोनों के लिए तो अनिश्चित काल की परिभाषा को ही सार्थक करने लगा । कब , क्या, कैसे , क्यों , कहाँ , कौन इन सब प्रश्नो की सुरंगों में उत्तर ढूँढ़ते , ग्रहस्थी के भवँर से दोनो झूझते रहे। प्रेम -नफरत, आशा -निराशा, विश्वास -अविश्वास, दुःख -सुख के घेरों से सफलतापूर्वक बाहर निकल आने को आतुर दोनों लेखन की दुनिया में प्रवेश कर गए। लेखन, एक सक्षम चिंता निवारक राम बाण। "
    जीवन उतार चढाव की नींव पर आधारित रहता है।
    व्यक्ति को समय के वज्र समान समयचक्र और सुखद.समय में कभी.भी न निराश होना चाहिए और न अधिक हर्षयुक्त.जीवन जीना.चाहिए।समय होत.है बलवानः
    सुख दुख आंखमिचौली सदृश्य आते जाते.है।धैर्य और साहस को.कभी भी कमजोर नही पडनें देना चाहिए।
    वाहहह बहुत सुन्दर जीवन के उतारचढा़व की विवेचना प्रशंसनीय.है।कवि हृदय अनन्त की.छाया में ही पल्लवित पुष्पित होता रहता है।
    Sep 24 at 3:26pm
    +++
    Tribhawan Kaul
    अदरणीय ।आपके इस विश्लेषण का हार्दिक धन्यवाद। सप्रेम।
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    Ramkishore Upadhyay
    गम्भीर कथा
    Sep 24 at 4:27pm
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    Savita Saurabh
    बहुत सुन्दर समाधान
    Sep 24 at 4:35pm
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    Vishal Narayan
    बहुत खूब आदरणीय
    Sep 24 at 4:46pm
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    वसुधा कनुप्रिया
    अलग चिंतन व अभिव्यक्ति, आदरणीय
    Sep 24 at 6:47pm
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  4. नीरजा मेहता 8:23pm Sep 24
    बहुत ही सार्थक सृजन आदरणीय
    ---------------------------via fb/Purple Pen

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  5. All comments via fb/युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (न्यास)
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    Fatima Afshan
    bahut khoob
    September 25 at 12:35pm
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    Sudha Mishra Dwivedi
    वाह
    September 30 at 11:43am
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    Rajnee Ramdev
    वाहह क्या रामबाण है
    September 30 at 6:59pm
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    ओम प्रकाश शुक्ल
    वाह सर वाह
    अभिनन्दन आदरणीय
    October 01
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